गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

विश्व नमभूमि दिवस पर तालाब का भ्रमण World Wetland Day

                       विश्व नमभूमि दिवस पर तालाब का भ्रमण
                                      World Wetland Day
                                          02 फरवरी 2011
आजविश्व नमभूमि दिवस पर क्लब सदस्यों ने नजदीकी तालाब का भ्रमण करके नम भूमि के बारे में जाना और नम भूमि की वनस्पति और जलीय जीवन के बारे में भीजाना |
विद्यालय से कुछ ही दूरी पर इस तालाब को स्थानीय लोग गंगा सागर कह देते है  यह तालाब काफी बड़ा है और काफी पुराना है परन्तु आज इस की दशा सोचनीय बनी हुई है |
गावों में आज से २० - ३० साल पहले तालाबो का बहुत महत्व होता है तालाब जल के महत्वपूर्ण स्रोत हुआ करते थे पशुपालन बहुत होता था कई घरों के पास तो १००-१०० पशु हुआ करते थे दुधारू पशुओं के अलावा बैल बोझा ढोने वाले पशु भेड़-बकरी,घोड़े आदि भी हुआ करते थे
इन सब को पानी पिलाने , नहलाने के लिए तालाबों पर ही लाया जाता तब तालाब को साफ़ सुथरे रखने की सामूहिक जिम्मेवारी बनती थी नए तालाब खोदना पुराने तालाबों से गाद निकाल कर गहरा करना आदि कार्य सब ग्रामीण मिल जुल कर किया करते थे
पुराने समय में हरियाणा के गावों में एक पुराना भाईचारे व सामूहिकता का रिवाज रहा है कि जब भी तालाब (जोहड़) कि खुदाई का काम होता तो पूरा गाँव मिलकर इसको करता था रिवाज यह रहा है कि गाँव के हर एक  घर से एक आदमी तालाब कि खुदाई के लिए आता है  पहले हरियाणा के गावों क़ी जीविकापार्जन पशुओं पर  ज्यादा निर्भर थी, गाँव के कुछ घरों के पास १०० से अधिक पशु होते थे | इन पशुओं का जीवन गाँव के तालाब के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा होता था | गाँव क़ी बड़ी आबादी के पास न ज़मीन होती थी न पशु होते थे प्रत्येक घर एक आदमी खुदाई के लिए भेजता था और बिना ज़मीन व पशु वाला भी एक आदमी भेजता था| यह सामूहिक कारसेवक तालाब खोदा और गहरा किया करते थे परन्तु समय के साथ साथ ना तो उतने पशु ही रहे और ना ही तालाबो की अन्य आवश्यकता ही| 
आज जब क्लब सदस्य नम भूमि भ्रमण के लिए तालाब पर गए तो वहां किनारे पर बड़ी संख्या में मछलियाँ और सांप मरे हुए देखे, इतने ज्यादा सख्यां में इनकी मृत्यु का कारण बच्चो,क्लब सदस्यों की समझ में नहीं आ रहा था तब उन्होंने वहां जाल ठीक कर रहे एक मछुवारे से पूछा तो उसने अपने ज्ञान/अनुभव के अनुसार जवाब दिया की पानी में गैस बन गयी है जिस कारण ये मछलियाँ,सांप और अन्य जीव कछुवे आदि मर रहे है|
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मछुवारे से बातचीत करते क्लब सदस्य
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क्लब सदस्यों ने यह जाना की मछलियों के मरने का क्या कारण है
तालाब बहुत प्रदूषित है
तालाबों का अतिक्रमण कर भूमि का रूप दे दिया जा रहा है।
यहाँ वहां कचरा,पोलिथिन,पशु अपशिष्ट,जूते चप्पल और पानी में कालापन देख कर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह तालाब प्रदूषण से ग्रसित है
तालाब में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा न्यूनतम से भी कम हो गयी है|ऐसा जलीय संदूषण के कारण हुआ है
कैसे होता है संदूषण
जलराशियों में कार्बनिक पदार्थ व खनिज लवण बढ़ जाने पर संदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है। पोषक तत्वों की अधिकता जलीय पौधों को अत्याधिक पोषण व अनुकूल दिशा देता है जिस पूरी जलराशि ही जलीय पौधों व प्लवक से ढंक जाती है। जलराशि में बाहरी स्रोतों से वर्षा जल द्वारा (एन आफ प्रोसेस) निरंतर आते रहते हैं और पौधे अविरल वृद्धि करते रहते हैं। इसी घटनाक्रम के दौरान जलीय पौधों व प्लवक के मृत भाग टूटकर तली पर बैठ जाते हैं जो पुन: जल में पोषक तत्वों की वृद्धि करते हैं। और तलछट के तल को भी लगातार बढ़ाते रहते हैं। तलछट में अपनी जड़े जमाकर रखने वाले पौधे इन तत्वों को पुन: प्राप्त करते हैं। इस तरह पोषक तत्वों की निरंतर वृद्धि से जलराशि अत्यधिक संदूषित हो जाती है।
एल्गी,जलीय खरपतवार सूर्य के प्रकाश की बाधक है जिस कारण जल में आक्सीजन का स्तर कम हो गया है |
घरों व नालियों से आने वाले वेस्ट वाटर में अकार्बनिक अशुद्धियाँ(डिटर्जेन्ट,शैम्पू और साबुन) भी तालाब को अशुद्ध कर रहे है|
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प्राध्यापक रविंदर जी ने क्लब सदस्यों को विस्तार से नम भूमि के बारे में समझाया और नम स्थलों पर उगने वाली वनस्पतियों व वहां रहने वाले जीव जंतुओं के बारे में बताया |




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क्लब सदस्यों ने तालाब के किनारे पर एक खोह 
देखी जो किसी जंगली कुत्ते की थी जो इस में घात लगा कर रात को अपना शिकार जैसे खरगोश,छछुंदर,कछुआ आदि पकड़ते है|
इस प्रकार क्लब सदस्यों ने नम भूमि भ्रमण करके अपना ज्ञानवर्धन किया और प्रदूषण  का जलीय जीवों पर प्रभाव का अध्ययन किया
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)