शनिवार, 10 नवंबर 2012

प्रदूषण मुक्त दिवाली Pollution Free Diwali

प्रदूषण मुक्त दिवाली Pollution Free Diwali


आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने में लिए इमली इको क्लब के सदस्यों ने एक जागरूकता इको मार्च गावं अलाहर में निकाला। इस रैली को विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने रवाना किया।
प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा
इस इको मार्च में बच्चों को सम्बोधित करते हुए प्रधानाचार्य ने कहा कि दिवाली भारतीयों का बहुत हर्षोल्लास का त्यौहार है । इस त्यौहार में आतिशबाजी पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाती है पटाखों से निकला धुंआ और ध्वनि जीव जंतु व वनस्पति सब को प्रभावित करता है। 
मानव को जितना प्रदूषण से कष्ट होता है, उसकी अपेक्षा सौ गुना अधिक कष्ट कुत्ते, बिल्ली, पशु-पक्षी एवं सूक्ष्म जीव-जंतुओं को होता है।
दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक
इको क्लब इंचार्ज दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि पटाखों का कुछ पल का मज़ा वातावरण में ज़हर घोल देता है। इनमें मौजूद नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड जैसी  हानिकारक प्रदूषक गैसे दमा व ब्रान्काइटिस जैसी सांस से संबंधी बीमारियों को जन्म देते हैं। पटाखोंमें बडी मात्रा में विषैले घटक होते हैं । उसमें विद्यमान तांबा, कैडनियम, सीसा, मैग्नेशियम, जस्ता, सोडियम इत्यादि घटकों के कारण पटाखे जलाने पर उससे विषैली वायु उत्सर्जित होती है।  ध्वनि का स्तर दिन के समय 55 डेसिबल तथा रात्रि के समय 45 डेसिबल तक होना चाहिए । रात्रि दस बजे से प्रातः छः बजे तक पटाखे जलाना प्रतिबंधित है । मनुष्य व प्राणी 70  डेसिबल तक ध्वनि सह सकता है । इस लिए इस बार की दिवाली पर सब पटाखों को चलाने से बचें और पर्यावरण की रक्षा करें। पटाखों में विद्यमान धातु तथा रासायनिक पदार्थों के संयोग से निर्माण होने वाला प्रदूषण मानवीय स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। इसी प्रकार पटाखे जलाते समय लगने वाली चोट अथवा दुर्घटना बच्चों के लिए चिंताजनक है। कार्बन मोनोआक्साईड एवं नाइट्रोजन डाइआक्साईड जैसी विषैली गैसें आतिशबाजी के जलने से से निर्माण उत्पन्न होती  है, जो मानवीय जीवन के लिए अत्यंत घातक है। 
प्रवक्ता संजय शर्मा
प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि वास्तव में सिर दर्द, बहरापन तथा मानसिक अशांति इत्यादि व्याधियां उत्पन्न होती हैं। हृदयरोग, रक्तदाब, अस्थमा, क्रोनिक ब्राँकायटिस इत्यादि से पीडित लोगों के लिए यह अधिक घातक है । गर्भवती स्त्रियां, वृद्ध मनुष्य, छोटे बच्चों के लिए भी अधिक खतरे की संभावना होती है।  पटाखे जलाते समय सर्वसाधारण निरोगी व्यक्तियों को भी अपच, सर्दी-खांसी, मानसिक अशांति, सिर दर्द, धडकन बढना इत्यादि रोग होते हैं।  मानव को जितना प्रदूषण से कष्ट होता है, उसकी अपेक्षा सौ गुना अधिक कष्ट कुत्ते, बिल्ली, पशु-पक्षी एवं सूक्ष्म जीव-जंतुओं को होता है। दीपावली में पटाखे जलाने के प्रचलन के संदर्भ में हिंदु धर्म शास्त्र  में कोई भी आधार नहीं है। आनंद के क्षणों में पटाखे जलाने की प्रथा विदेशी है, परंतु अब पर्यावरण के लिए यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गई है।
श्री नित्यानन्द
श्री नित्यानन्द ने बताया कि हिंदू देवता एवं राष्ट्रपुरुषों के चित्र अथवा उनके नाम वाले पटाखोंका उत्पादन बडी मात्रा में किया जाता है। दीपावली तथा अन्य उत्सवों के अवसर पर पटाखे जलाने से देवता एवं राष्ट्रपुरुषों के चित्रों का अनादर होता है और हमें इस पाप से बचना चाहिए। 
जागरूकता रैली
इस अवसर पर संजीव कुमार, दर्शन लाल गगन ज्योति, सोनिया शर्मा, नित्यानन्द, संजय गौतम, जसविंदर कौर अध्यापकों का योगदान सराहनीय रहा। 


पंजाब  केसरी अखबार में ........

दैनिक  जागरण अखबार में ........ 


प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)