मंगलवार, 19 जुलाई 2011

क्लब सदस्यों ने बनाया पर्यावरण मित्र पम्प Eco friendly Pump

अलाहर के छात्रों मे उत्साह 
बच्चो को बच्चा समझने की भूल अक्सर सब कर बैठते है परन्तु असल मे बच्चों मे एक गज़ब का कल्पनाशील दिमाग होता है बच्चा हर उम्र मे यह सोचता रहता है कि यदि यह काम ऐसे ना  हो कर ऐसे होता तो कितना अच्छा होता फिर वो अपनी कल्पना को अपने से बड़े के आगे रखता है तो लोग हस कर बच्चा कह कर टाल देते हैं परन्तु येही कल्पना ना होती तो मनुष्य की हवाई यात्रा दूर संचार की इच्छा कभी पूरी नहीं होती. बच्चो की कल्पना और कुछ नया करने की इच्छा पूर्ति के आगे धन और मार्गदर्शन की कमी आड़े आती है इसी को ध्यान मे रख कर केंद्रीय विज्ञानं और प्रोद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वाराएक योजना चलाई गयी है जी के अंतर्गत कल अलाहर के सरकारी स्कूल के विद्यार्थी जिले के अन्य सैकड़ों छात्र छात्राओं के साथ  इंस्पायर अवार्ड के विज्ञान माडल प्रस्तुत करेंगे.इस बारे जानकारी देते हुए अलाहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि इंस्पायर  यानि "इनोवेशन इन साईंस प्रसुइट फार इंस्पायर्ड रिसर्च” केंद्रीय विज्ञानं और प्रोद्योगिकी विभाग,भारत सरकार द्वारा प्रतिभाओ को विज्ञानं और अनुसन्धान के क्षेत्र कि ओर आकर्षित करने के लिए यह नवाचार प्रारम्भ किया गया है. इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य विज्ञानं अध्ययन के लिए प्रतिभाओ को प्राम्भिक अवस्था में ही आकर्षित कर भविष्य के विज्ञानं और तकीनीकी के क्षेत्र के लिए एक व्यापक प्रतिभाशाली मानव संसाधन विकसित करना है. विज्ञान आधारित विषय जैसे भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान आदि में अनुसंधान कम हो रहे है. युवाओं का ध्यान इस ओर से हट रहा है. विद्यालयों में अध्ययनरत उत्कृष्ट विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने एवं विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से इंस्पायरयोजना के तहत पांच हजार रुपए का पुरस्कार प्रदान किया जाता है.इसके अंतर्गत कक्षा 6 से 8 तथा 9 से 10 तक में अध्ययनरत मेधावी विद्यार्थियों का चयन किया जाता है.
इस योजना के तीन मुख्य घटक है पहले घटक मे विज्ञान के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए योजना है इस के तहत १० से १५ साल की प्रतिभाओ को भविष्य में विज्ञानं अध्यन के लिए आकर्षित करना है.|इस के अंतर्गत कक्षा ६ से १० के वे विधार्थी जिन्होंने कक्षा में विज्ञानं और गणित विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए है को ५००० रु. मौलिक मॉडल या विज्ञानं परियोजना बनाने के लिए दिए जाते है इन मोडलो को प्रदर्शनी के द्वारा ब्लाक ,जिला, और राज्यस्तर पर प्रदर्शित किए जाते है. माध्यमिक और प्रारम्भिक शिक्षा के समस्त विद्यालयों के कक्षा ६ से १० के प्रतिभाशाली विधार्थियो को इस योजना का लाभ मिल रहा है.

इसके दूसरे घटक मे उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ती की योजना है इस के तहत १७ से २२ साल की युवा प्रतिभाओ को मूल विज्ञानं स्ट्रीम में अध्यन हेतु प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृति प्रदान की जाती है.
इसके तीसरे घटक मे अनुसंधान मे कॅरिअर के लिए निश्चित अवसर योजना है इस के तहत २२ से ३२ साल के विधार्थियो को फेलोशिप प्रदान की जाती है. यह फेलोशिप बेसिक और अप्लाइड विज्ञानं दोनों में अनुसन्धान करने वालो को दे जाती है.|
प्रधानाचार्य  श्री साहिब सिंह ने बताया कि  अलाहर  स्कूल के बच्चो विज्ञान की विभिन्न गतिविधियों मे बहुत  बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और इस स्कूल से बच्चो ने गत ५ वर्षों मे विज्ञान की विभिन्न प्रतियोगिताओं मे राज्य और राष्ट्रीय स्तर  पर भाग लेकर स्कूल व जिले का नाम रोशन किया है. इस प्रदर्शनी मे भी विद्यालय से दो माडल प्रस्तुत किये जा रहें हैं. वंशिका और कपिल ने साइकिल पर एक पम्प फिट करके बिना बिजली से छत पर पानी चढ़ाने  की डिवाईस विकसित की है और जबकि शिवम और दिव्या ने कम बल से मशीन द्वारा खेत मे बीज और उर्वरक डालने की विधि विकसित की है और एक ऐसी मशीन बनाई है जिस से कम समय लगा कर बिजाई की जा सकती है और उर्वरक फैलाया जा सकता है .
  प्रधानाचार्य  एवं सभी अध्यापकों ने प्रदर्शनी मे भाग लेने वाले सभी बच्चो को शुभकामनाएं दी.     
अमर उजाला अखबार मे आज २०-०७-२०११ को 


प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान खुले मे शौच बीमारियों को न्योता TOTAL SANITATION CAMPAIGN

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान खुले मे शौच बीमारियों को न्योता
रा.व.मा.वि.अलाहर मे  सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान सप्ताह मनाया गया इस के अंतर्गत जागरूकता,स्वच्छता सम्बन्धित विभिन्न गतिविधियां की गयी.
समापन के अवसर पर आज के मुख्य मुद्दे खुले मे शौच बीमारियों को न्योता विषय  पर चर्चा की गयी इस विषय पर बोलते हुए विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि शौचालय सभ्यता के विकास का हिस्सा रहे हैं। 
यह विकास की न्यूनतम शर्त भी मानी जा सकती है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि हिंदुस्तान ऐसे देशों का सरगना है जहां खुले में लोग शौच जाते हैं क्योंकि उन्हें शौचालय की सामान्य सुविधाएं हासिल नहीं हैं। दुनिया में जितने लोग खुले में शौच जाते हैं उनमें से ५८ प्रतिशत भारतीय हैं। गांवों में तो यह प्रतिशत बढ़कर ६१ तक हो जाता है।  आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में आज भी एक अरब दस करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा ४४ प्रतिशत दक्षिण एशियाई देशों में हैं।
 भारत में ये ६४ करोड़ हैं। दुनिया के कुल ११ देशों में ८१ प्रतिशत आबादी शौच की उचित सुविधा से वंचित है जिनमें भारत और उसके चार पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल तथा बांग्लादेश भी शामिल हैं। वैसे भारत के बाद इस मामले में इंडोनेशिया तथा चीन का नंबर आता है लेकिन इन दोनों देशों में ऐसे लोगों की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। इंडोनेशिया में ५.८ करोड़ हैं तथा चीन में पांच करोड़। जाहिर है कि खुले में शौच जाने की अपनी स्वास्थ्यगत गंभीर समस्याएं हैं जिनमें दस्त लगना (डायरिया होना) तथा अंतड़ी संबंधी रोग होना शामिल है। खासतौर पर हमारे जैसे देश में स्त्रियों के लिए यह समस्या अधिक विकट है जो खुले में हर समय शौच नहीं जा सकतीं।
 उन्हें जबर्दस्ती अपने शरीर पर अत्याचार करना पड़ता है जिससे औरतें कई गंभीर बीमारियों की शिकार हो जाती हैं। हमारे शहरों की हालत गांवों से वैसे काफी ठीक है मगर शहरी आबादी का वह हिस्सा- जो झुग्गी झोपड़ियों में रहता है- इस सामान्य, मानवीय सुविधा से वंचित है। अनुमान है कि शहरों के १८ प्रतिशत लोग इन वंचितों में शामिल हैं। फिर हमारे ज्यादातर शहरों-कस्बों में सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल इतनी खराब है कि चाहकर भी उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अनेक सार्वजनिक स्थलों पर तो स्त्रियों के लिए ऐसी नाममात्र की सुविधा तक नहीं है। हम वैश्वीकरण पर, नई अर्थव्यवस्था पर, आर्थिक प्रगति की दर पर गौरव करते हैं मगर हमारे यहां साफ-सुथरे शौचालयों का घरों तथा सार्वजनिक स्थलों में भयानक अभाव है।
बच्चों को इस अवसर पर श्री संजय शर्मा ,मुकेश रोहिल,सुभाष चंद,संदीप कुमार,रविन्द्र कुमार,मनोहर लाल आदि अध्यापको ने भी सम्बोधित किया। 
  
      
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)


मंगलवार, 5 जुलाई 2011

मलेरिया जागरूकता पर गोष्टी mosquito attack


मलेरिया जागरूकता पर गोष्टी का आयोजन किया गया.
आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे मलेरिया रोग से बचाव के बारे मे बताते हुए प्रधानाचार्य श्री साहिब सिंह ने घोषणा की कि जुलाई का पूरा महीना मच्छर जनित रोगों के प्रति जागरूकता संचार के रूप मे मनाया जाएगा जिस मे छात्रों को मलेरिया,डेंगू,चिकन गुनिया आदि मच्छर जनित रोगों के बारे मे जागरूक किया जाएगा। विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने कहा कि मच्छरदानी सब से उत्तम और सरल उपाय है परन्तु अब मच्छरदानी प्रचलन से बाहर हो गयी है परन्तु व्यापक प्रचार के कारण लोग समझ  चुके हैं कि टिकिया,रिपेलेंट,स्प्रे आदि सब हानिकारक भी हैं इसलिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिये.मोटे तौर पर देखा जाए तो रोगों का वाहक मच्छर गंदगी में पनपता है। देश में आज भी बड़े भाग में शौचालय की सुविधाएं विशेषकर उसके निकास के तरीके उचित नहीं हैं जो गंदगी फैलाते हैं। वहीं दूसरी ओर खुले गटर, गड्ढे पानी भरी होदियां, नालियां सब कुछ खुला है और गंद लाता है। उस पर शहरों में कूलर, पानी की खुली टंकियां, टायर जैसा अन्य कबाड़ मच्छरों के इस परिवार को बढ़ाता है। मादा मच्छर क्योंकि दिन में ही काटता है, इसलिए दोपहर में मच्छरों से बचाव पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
 दर्शन लाल ने बच्चो को मच्छर और मलेरिया व अन्य रोगों के बारे मे भी विस्तार से  बताया मानसून के दिनों में जो बीमारी आमतौर पर देखने को मिलती है, उनमें मलेरिया का नाम प्रमुख है। मलेरिया का प्रमुख कारण प्लाज्मोडियम परजीवी है। वैज्ञानिक रॉनल्ड रॉस ने जब पहली बार यह बात उजागर की कि मलेरिया फैलाने के पीछे केवल मादा मच्छर का डंक है तो लोगों को हैरानी हुई थी। तब और शोध सामने आए पता चला कि मच्छर तो निमित्त मात्र है, वह केवल वाहक है। मलेरिया का दोषी तो कोई और ही है जो उसको और मनुष्य को अपना ठिकाना बनाए हुए है। मच्छर ने जब स्वस्थ मनुष्य को काटा तो यह आराम से उसके खून में उतर गया और अपना कहर दिखा गया। इसके बाद जब किसी रोगी को मच्छर ने काटा तो फिर परजीवी मच्छर के अंदर जा पहुंचा। इस तरह से मच्छर और मनुष्य के बीच दूषित रक्त का आदान-प्रदान होता रहा और आराम से रोग बढ़ता-फैलता रहा। इस परजीवी की चार प्रजातियां हैं, प्लाज्मो-डिपम वाईवेक्स, प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लाज्मोडियम मलेरियाई और प्लाज्मोडियम ओवेल।
संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम मरीज की लाल रक्त कणिकाओं को तेजी से प्रभावित करता है,वाईवेक्स आम है जबकि फाल्सीपेरम सबसे ज्यादा खतरनाक है जो सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। मच्छर की ही देन डेंगू बुखार भी है। मादा एडीस मच्छर के काटने का असर डेंगू बुखार के रूप में सामने आता है। 
यह जागरूकता कार्यक्रम पूरे माह तक चलेगा और इस कार्यक्रम मे  दर्शन लाल, संजय शर्मा, मुकेश रोहिल, सुभाष काम्बोज,मनोहरलाल, नित्यानंद,  रविंदर कुमार, सुनील कुमार आदि अध्यापको ने भी विशेष सहयोग दिया।  
अमर उजाला ६-७-२०११ 



प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)