मंगलवार, 5 जुलाई 2011

मलेरिया जागरूकता पर गोष्टी mosquito attack


मलेरिया जागरूकता पर गोष्टी का आयोजन किया गया.
आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे मलेरिया रोग से बचाव के बारे मे बताते हुए प्रधानाचार्य श्री साहिब सिंह ने घोषणा की कि जुलाई का पूरा महीना मच्छर जनित रोगों के प्रति जागरूकता संचार के रूप मे मनाया जाएगा जिस मे छात्रों को मलेरिया,डेंगू,चिकन गुनिया आदि मच्छर जनित रोगों के बारे मे जागरूक किया जाएगा। विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने कहा कि मच्छरदानी सब से उत्तम और सरल उपाय है परन्तु अब मच्छरदानी प्रचलन से बाहर हो गयी है परन्तु व्यापक प्रचार के कारण लोग समझ  चुके हैं कि टिकिया,रिपेलेंट,स्प्रे आदि सब हानिकारक भी हैं इसलिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिये.मोटे तौर पर देखा जाए तो रोगों का वाहक मच्छर गंदगी में पनपता है। देश में आज भी बड़े भाग में शौचालय की सुविधाएं विशेषकर उसके निकास के तरीके उचित नहीं हैं जो गंदगी फैलाते हैं। वहीं दूसरी ओर खुले गटर, गड्ढे पानी भरी होदियां, नालियां सब कुछ खुला है और गंद लाता है। उस पर शहरों में कूलर, पानी की खुली टंकियां, टायर जैसा अन्य कबाड़ मच्छरों के इस परिवार को बढ़ाता है। मादा मच्छर क्योंकि दिन में ही काटता है, इसलिए दोपहर में मच्छरों से बचाव पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
 दर्शन लाल ने बच्चो को मच्छर और मलेरिया व अन्य रोगों के बारे मे भी विस्तार से  बताया मानसून के दिनों में जो बीमारी आमतौर पर देखने को मिलती है, उनमें मलेरिया का नाम प्रमुख है। मलेरिया का प्रमुख कारण प्लाज्मोडियम परजीवी है। वैज्ञानिक रॉनल्ड रॉस ने जब पहली बार यह बात उजागर की कि मलेरिया फैलाने के पीछे केवल मादा मच्छर का डंक है तो लोगों को हैरानी हुई थी। तब और शोध सामने आए पता चला कि मच्छर तो निमित्त मात्र है, वह केवल वाहक है। मलेरिया का दोषी तो कोई और ही है जो उसको और मनुष्य को अपना ठिकाना बनाए हुए है। मच्छर ने जब स्वस्थ मनुष्य को काटा तो यह आराम से उसके खून में उतर गया और अपना कहर दिखा गया। इसके बाद जब किसी रोगी को मच्छर ने काटा तो फिर परजीवी मच्छर के अंदर जा पहुंचा। इस तरह से मच्छर और मनुष्य के बीच दूषित रक्त का आदान-प्रदान होता रहा और आराम से रोग बढ़ता-फैलता रहा। इस परजीवी की चार प्रजातियां हैं, प्लाज्मो-डिपम वाईवेक्स, प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लाज्मोडियम मलेरियाई और प्लाज्मोडियम ओवेल।
संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम मरीज की लाल रक्त कणिकाओं को तेजी से प्रभावित करता है,वाईवेक्स आम है जबकि फाल्सीपेरम सबसे ज्यादा खतरनाक है जो सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। मच्छर की ही देन डेंगू बुखार भी है। मादा एडीस मच्छर के काटने का असर डेंगू बुखार के रूप में सामने आता है। 
यह जागरूकता कार्यक्रम पूरे माह तक चलेगा और इस कार्यक्रम मे  दर्शन लाल, संजय शर्मा, मुकेश रोहिल, सुभाष काम्बोज,मनोहरलाल, नित्यानंद,  रविंदर कुमार, सुनील कुमार आदि अध्यापको ने भी विशेष सहयोग दिया।  
अमर उजाला ६-७-२०११ 



प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)


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