मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

नवीकरणीय उर्जा पर पेंटिंग प्रतियोगिता PAINTING COMPETITION ON RENEWABLE ENERGY

नवीकरणीय उर्जा पर पेंटिंग प्रतियोगिता  PAINTING COMPETITION ON  RENEWABLE ENERGY 
                      (DATE  27-11-2009)    
 नवीकरणीय उर्जा पर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिस में क्लब सदस्यों ने भाग लिया और सुंदर सुंदर चित्र बना कर पर्यावरण और उर्जा संरक्षण पर अपने उदगार प्रकट किये |



TOTAL PARTICIPANTS =23
SELECTED PAINTINGS=02
 NAME OF THE WINNERS
1st SHIVANI KAMBOJ (X B)*
2nd DIVYA KAMBOJ    (IX B)*
*NAME OF WINNERS SEND FOR STATE LEVEL
प्रस्तुति:- ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)
                                 

अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष का मनाना INTERNATIONAL YEAR OF ASTRONOMY

अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष का मनाना
CELEBRATION OF INTERNATIONAL YEAR OF ASTRONOMY IN SCHOOL
                 (DATE  03 -10- 2009) 
अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष  2009 के कार्यक्रमों के अंतर्गत आज क्लब सदस्यों ने एस्ट्रोनोमी से सम्बन्धित गतिविधीयाँ आयोजित की जैसे 
पिन होल कैमरा बनाना और उस से सूर्य का प्रतिबिम्ब बनाना 
सोलर फिल्टर की गतिविधि 
सूर्य के प्रकाश के सातों रंग बना कर देखना 
आकाश दर्शन 
आदि क्रियाकलाप कर के देखे गए |  




 इस प्रकार ईको क्लब के सदस्यों ने खगोलीय गतिविधियों का आनंद लिया और नया सीखा |
प्रस्तुति:- ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)
 

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

विश्व ओजोन दिवस पर व्याख्यान WORLD OZONE DAY

विश्व ओजोन दिवस पर व्याख्यान 
Lecture on World Ozone Day
            DATE :-  16-09-2009
LECTURE DELIVERED BY Mr.Darshan Lal Science Master
What is the ozone layer?

The ozone layer is a deep layer in the stratosphere, encircling the Earth, that has large amounts of ozone in it. The layer shields the entire Earth from much of the harmful ultraviolet radiation that comes from the sun. Interestingly, it is also this ultraviolet radiation that forms the ozone in the first place. Ozone is a special form of oxygen, made up of three oxygen atoms rather than the usual two oxygen atoms. It usually forms when some type of radiation or electrical discharge separates the two atoms in an oxygen molecule (O2), which can then individually recombine with other oxygen molecules to form ozone (O3). The ozone layer became more widely appreciated when it was realized that certain chemicals mankind manufactures, called chlorofluorocarbons, find their way up into the stratosphere where, through a complex series of chemical reactions, they destroy some of the ozone. As a result of this discovery, an international treaty was signed, the the manufacture of these chemicals was stopped. The ozone layer has since begun to recover as a result of these efforts.
This stratospheric ozone, which protects us from the sun, is good. There is also ozone produced near the ground, from sunlight interacting with atmospheric pollution in cities, that is bad. It causes breathing problems for some people, and usually occurs in the summertime when the pollution over a city builds up during stagnant air conditions associated with high pressure areas.

ओज़ोन परत समतापमंडल के तापमान को संतुलित बनाए हुए है तथा सूर्य से निकलने वाली हानिकारण पराबैंगनी किरणें को अवशोषित कर ग्रह पर जीवन की रक्षा करता है। ओज़ोन कण अथवा ओज़ोन परत समताप मंडल में 15-35 किमी की ऊँजाई पर स्थित है। यह माना जाता है कि लाखों वर्षों से वायुमंडलीय संरचना में अधिक बदलाव नहीं आया है। लेकिन पिछले पचास वर्षों में मनुष्य ने प्रकृति के उत्कृष्ट संतुलन को वायुमंडल में हानिकारक रसायनिक पदार्थों को छोड़कर अस्त-व्यस्त कर दिया है जो धीरे-धीरे इस जीवरक्षक परत को नष्ट कर रहा है।
ओज़ोन की उपस्थिति की खोज पहली बार 1839 0 में सी एफ स्कोनबिअन के द्वारा की गई जब वह वैद्युत स्फुलिंग का निरीक्षण कर रहे थे। लेकिन 1850 0 के बाद ही इसे एक प्राकृतिक वायुमंडलीय संरचना माना गया। ओज़ोन का यह नाम ग्रीक (यूनानी) शब्द ओज़ेन (ozein) के आधार पर पड़ा जिसका अर्थ होता है "गंध" इसके सांन्द्रित (गाढ़ा) रूप में एक तीक्ष्ण तीखी/कड़वी) गंध होती है। 1913 0 में, विभिन्न अध्ययनों के बाद, एक निर्णायक सबूत मिला कि यह परत मुख्यतः समतापमंडल में स्थित है तथा यह सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। 1920 के दशक में, एक ऑक्सफोर्ड वैज्ञानिक, जी एम बी डॉब्सन, ने सम्पूर्ण ओज़ोन की निगरानी (मानीटर करने) के लिए यंत्र बनाया।
समताप मंडल में ओज़ोन की उपस्थिति विषुवत-रेखा के निकट अधिक सघन और सान्द्र है तथा ज्यों-ज्यों हम ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, धीरे-धीरे इसकी सान्द्रता कम होती जाती है। यह वहाँ उपस्थित हवाओं की गति, पृथ्वी की आकृति और इसके घूर्णन पर निर्भर करता है। ध्रुवों पर मौसम के अनुसार यह बदलता रहता है। ओज़ोन परत की क्षीणता दक्षिणी ध्रुव जो अंटार्कटिका पर है, पर स्पष्ट दिखाई देती है, जहाँ एक विशाल ओज़ोन छिद्र है। उत्तरी ध्रुव में ओज़ोन परत बहुत अधिक नष्ट नहीं हुई है। विश्व मौसम-विज्ञान संस्था (WMO) ने ओज़ोन क्षीणता की समस्या को पहचानने और संचार में अहम भूमिका निभायी है। चूँकि वायुमंडल की कोई अंतर्राष्ट्रीय सीमा नहीं है, यह महसूस किया गया कि इसके उपाय के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर विचार होना चाहिए।
(UNEP)
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण योजना ने विएना संधि की शुरूआत की जिसमें 30 से अधिक राष्ट्र शामिल हुए। यह पदार्थों पर एक ऐतिहासिक विज्ञप्ति थी, जो ओज़ोन परत को नष्ट करते हैं तथा इसे 1987 0 में मॉन्ट्रियल में स्वीकार कर लिया गया। इसमें उन पदार्थों की सूची बनाई गई जिनके कारण ओज़ोन परत नष्ट हो रही है तथा वर्ष 2000 तक क्लोरोफ्लोरो कार्बन के उपयोग में 50% तक की कमी का आह्वान किया गया। क्लोरोफ्लोरो कार्बन अथवा सी एफ सी को हरितगृह प्रभाव के लिए ज़िम्मेदार गैस माना जाता है। यह मुख्यतः वातानुकूलन मशीन, रेफ्रिजरेटर से उत्सर्जित होती है तथा एरोसोल अथवा स्प्रे इसके प्रणोदक (बढ़ाने वाला) हैं। एक अन्य बहुत ज्यादा उपयोग किया जाने वाला रसायन मिथाइल ब्रोमाइड है जो ओज़ोन परत के लिए एक चेतावनी है। यह ब्रोमाइड उत्सर्जित करता है जो क्लोरीन की तरह 30-50 गुणा ज्यादा विनाशकारी है। इसका उपयोग मिट्टी, उपयोगी वस्तुओं और वाहन ईंधन संयोजी के लिए धूमक के रूप में होता है (रोगाणुनाशी के रूप में प्रयोग किया जाने वाला धुआँ) वर्तमान समय में कोई ऐसा रसायन मौजूद नहीं है जो पूरी तरह से मिथाइल ब्रोमाइड के उपयोग को हटा दें। यह स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि ओज़ोन परत की आशा के अनुरूप प्राप्ति पदार्थों के मॉन्ट्रयल प्रोटोकॉल के बिना असंभव है जो ओज़ोन परत को नष्ट करता है (1987) जिसने ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले सभी पदार्थों के उपयोग में कमी के लिए आवाज उठाया। विकासशील राष्ट्रों के लिए इसकी अंतिम तिथि 1996 थी, जबकि भारत को 2010 0 तक इस बड़े विनाशकारी रसायन को पूर्णतः समाप्त कर देना है।
प्रस्तुति:- ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)