गुरुवार, 24 मार्च 2011

विश्व जल दिवस मनाया गया World Water Day

विश्व जल दिवस मनाया गया World Water Day
आज राजकीय व.मा.विद्यालय अलाहर में इमली इको क्लब के सदस्यों द्वारा विश्व जल दिवस मनाया गया,इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया| विश्व जल दिवस के बारे में बताते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि प्रत्यक वर्ष 22 मार्च का दिन जल को बचाने के संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाता है, जल जीवन की एक बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है, छोटे से लेकर बड़े बड़े कार्यों में जल नितांत आवश्यक है, हमारे इलाके में जल की कोई कमी नहीं है परन्तु यदि उचित जल प्रबन्धन ना किया गया तो वह समय दूर नहीं है जब हमे भी भयंकर जल संकट से रूबरू होना पडेगा  हमारे पास जल के उचित प्रबंधन का ज्ञान नहीं है जिस कारण हम जल को व्यर्थ करते है कुछ ऐसी जानकारियाँ दी गयी जिन कार्यों को हम अनजाने में कर रहे है और कीमती जल को बर्बाद कर रहे है|
अपने वाहनों बाईक,कार आदि को धोने में कितना ही शुद्ध जल बर्बाद कर रहें है,पानी संग्रहण टैंक के ओवरफ्लो से पानी की बर्बादी हो रही है,नलों व पाईप लाईनों की लीकेज से पानी की बर्बादी हो रही है |
स्कूल में बच्चों द्वारा ओक(चुल्लू) से पानी पीने से दोगुना जल लगता है और हाथ अच्छी तरह से धुले हुए ना होने के कारण बीमारियों का खतरा अलग से रहता है पानी गिलास से ही पीया जाए|
टूथ ब्रश ओए शेव करते वक्त नल खुला रखने से पानी की बर्बादी हो रही है,नहाने के लिए शावर और बाथ टब के प्रयोग से पानी की बर्बादी हो रही है,धान की साठी फसल लेने के लिए किसान बेइंतहा जल प्रयोग करते है यहाँ जल स्तर नीचे जाने का यह एक मुख्य कारण है |
अध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि हमारी पृथ्वी पर एक अरब चालीस घन किलो लीटर पानी है. इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो कि खारा(नमकीन)  है, शेष 1.5  प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुवीय प्रदेशों में है। इसमें से बचा 1 % पानी नदी, सरोवर,तलाबो, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में प्रयुक्त होता है। शेष का 40वाँ हिस्सा हम नहाने, कपड़े धोने,पीने, भोजन बनाने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं।
अध्यापक मनोहर लाल जी ने एक रोचक जानकारी देते हुए बताया कि एक  लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है शहरी इलाको में दूध के तबेले यानी डेयरी वाले पशुओ के मल-मूत्र को भी पानी से ही बहाते है जिस कारण वहां एक लीटर दूध के पीछे खर्च जल का अनुपात और भी  बढ़ जाता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। जल के उचित प्रबंधन के अंतर्गत पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
अध्यापिका गगनज्योति ने बताया कि  इज़राइल देश में औसत प्रतिवर्ष 10 सेंमी वर्षा होती है, इतनी ही वर्षा के जल के प्रबंधन से वहां के किसान  इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात भी कर लेता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है। भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन 4 मील पैदल चलती है।
आज इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों शिल्पा,दिव्या,सोनम,रवि,नेहा,दिलबाग,रुबिता,शिवकुमार,मंजुल,मोहित,अंजली दत्त,सोनिया,शुभम को प्रधानाचार्य साहिब सिंह जी ने पुनः पुरस्कार दे कर सम्मानित किया |
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इसी कड़ी में आज 23-03-2011 को  ग्रामीणों को बुला कर सोख्ता गड्डा बनाने बारे प्रेरित किया गया | सभी ने बहुत ध्यान से सोख्ता गड्डा बनाने की विधि को समझा और अपने घर-आंगन में इस को बनाने का निर्णय लिया इस अवसर पर प्राध्यापक संजय शर्मा ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जो भी इसको अपने घर-आंगन में बनाएगा उस को कोई भी समस्या आने पर सारा तकनीकी ज्ञान मौके पर कल्ब प्रभारी द्वारा प्रदान किया जाएगा |
इस अवसर पर विद्यालय के सभी अध्यापको/प्राध्यापकों सुनील कम्बोज,मुकेश रोहिल,संजय शर्मा,सुभाष काम्बोज,रविन्द्र सैनी,मनोहर लाल,संदीप जी का योगदान सराहनीय रहा |
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 23 मार्च 2011

विश्व वानिकी दिवस मनाया गया World Forestry Day

विश्व वानिकी दिवस मनाया गया World Forestry Day
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आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर में विश्व वानिकी दिवस मनाया  गया इस उपलक्ष्य में  इको मार्च और गोष्टी का आयोजन किया गया, इमली इको क्लब के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि दुनिया भर में विश्व वानिकी दिवस प्रति वर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है । सन् 1872 में अमेरिका के नेबरास्का में इसकी शुरूआत हुई, इस दिवस को मनाये जाने का सारा श्रेय जे-र्स्टीलंग मार्टिन को जाता है| इन्होने नेबरास्का में बड़ी संख्या में पौधे लगाए थे । इसके बाद इन्होंने अन्य निवासियों को फल-फूल, छायादार,पर्यावरण सरक्षंण और खुबसूरती हेतु पौधे लगाने की सलाह दी । उन्होंने सरकार को पौधे लगाने के लिए एक अलग विशेष दिन रखने के लिए राज़ी कर लिया । इस प्रकार तब से इस दिन विश्व वानिकी दिवस की शुरूआत हुई । प्रथम वानिकी दिवस पर एक लाख से ज्यादा पौधे लगाये गए, धीरे-धीरे पुरी दुनिया में यह दिवस एक महापर्व के रूप में मनाया जाने लगा ।
tec_wfd_21-03-11-1 इस अवसर पर एक इको मार्च किया गया इस रैली का संचालन सुनील कुमार और मनोहर लाल अध्यापको ने किया,क्लब सदस्यों ने पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ के नारे लगा कर इस दिवस बारे जागरूकता संचार किया, इस अवसर पर एक गोष्टी भी की गयी जिस में अध्यापको ने क्लब सदस्यों को विश्व वानिकी दिवस और वनों के लाभों के बारे में बताया कि वनों से हमे आक्सीजन गैस मिलती है,वन वर्षा करवाने में सहायक हैं,वन भूमि कटाव रोकते है, वन,वन्य जीवों का आश्रय हैं,वन प्रदूषण दूर करते हैं और वनों से लकड़ी की प्राप्ती तो वनों का बहुत ही गौण लाभ है परन्तु मानव इस को ही सबसे बड़ा लाभ मान कर अंधाधुन्द वनों की कटाई कर रहा है जो कि धरती के लिए घातक है tec_wfd_21-03-11-4 उन्होंने बताया कि एक अनुमान है कि प्रति वर्ष १५ लाख हेक्टेयर वन कटते है । भारत की राष्ट्रीय वन नीति में कहा गया था कि देश एक-तिहाई हिस्से को हरा भरा वनों युक्त रखेंगे,लेकिन पिछले वर्षों में भू-उपग्रह के  चित्रों से पता चलता है कि है कि देश में 33 प्रतिशत के बजाय 13 प्रतिशत ही वन क्षेत्र रह गया है। क्लब प्रभारी एवं क्लब ग्रुप लीडर दिलबाग सिंह ने सभी क्लब सदस्यों के साथ विचार विमर्श कर के यह निर्णय लिया कि इस वर्ष जुलाई अगस्त में विद्यालय के खेल के मैदान में उचित जगहों पर फल-फूल ,छाया दार एवं औषधीय पेड़ पौधे लगाएं जाएँगे
इस अवसर पर सभी सदस्यों व अध्यापकों संजय शर्मा,मुकेश रोहिल,संदीप कुमार,रविंदर कुमार का योगदान सराहनीय था |
अखबार में 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 14 मार्च 2011

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया National Science Day 28 Feb

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया  National Science Day 28 Feb 
     आज 28 फरवरी को रा.व.मा.विद्यालय अलाहर,खंड रादौर जिला यमुना नगर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस  मनाया गया | जिला शिक्षा अधिकारी,हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक,हरियाणा स्टेट कौंसिल फार साईंस एंड टैक्नोलोजी चंडीगढ़ के दिशा निर्देशों के अंतर्गत इस  अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और एक विज्ञानं पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गयी | विद्यालय के विभिन्न छात्र/छात्राओं को जिन्होंने विभिन्न राज्य , राष्ट्रीय स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिताओं में भाग लिया उन को सम्मानित किया गया | 
इस अवसर पर बोलते हुए विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि विज्ञान से होने वाले लाभो के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी सन् 1928 को सर सी वी रमन ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
रमण प्रभाव के बारे में बोलते हुवे प्रधानाचार्य साहिब सिंह ने बताया कि “जब अणु प्रकाश को बिखरते हैं तो उस समय मूल प्रकाश में परिवर्तन हो जाता है नवीन किरणों की उपस्तिथि से हम यह परिवर्तन देख सकते है इस परिक्षिप्त प्रकाश में जो किरणे दिखाई पड़ी वही किरणे ‘रमण किरणे’ कहलाई” मात्र २०० रुपयों के उपकरणों पर की गयी महान खोज 28 फरवरी 1928 को देश के लिए यादगार दिन बन गया |
आज इस अवसर पर विज्ञान की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों शिल्पा,दिव्या,सोनम,रवि,नेहा,दिलबाग,रुबिता,शिवकुमार,मंजुल,मोहित,अंजलीदत्त,सोनिया,शुभम 
को प्रधानाचार्य साहिब सिंह जी ने पुरस्कार दे कर सम्मानित किया  |
इस अवसर पर विद्यालय के सभी अध्यापको/प्राध्यापकों सुनील कम्बोज,मुकेश रोहिल,संजय शर्मा,सुभाष काम्बोज,रविन्द्र सैनी,मनोहर लाल,संदीप जी का योगदान सराहनीय रहा |
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)