रविवार, 27 मई 2012

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस International Biodiversity Day

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस International Biodiversity Day 
22 मई 2012 को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया गया इस अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इमली इको क्लब के सदस्यों ने बड़े ही उत्साह के साथ इस विचार गोष्ठी में भाग लिया और वक्ताओं के वक्तव्य सुने। इस अवसर पर क्लब सदस्यों को जैव विविधता के बारे में बताया गया और इसके संरक्षण के प्रति संकल्प लिया गया।
क्षेत्र भ्रमण करते और जैव विविधता को समझते सदस्य
विज्ञान अध्यापक व क्लब इंचार्ज श्री दर्शन लाल ने बताया कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ज्ञात ग्रह है जहां जीवन है और जीवन के साथ साथ इसके के असंख्य रूप विद्यमान हैं। जीवन में यही विविधता जैव विविधता कहलाती है। जैव विविधता के अंतर्गत पृथ्वी पर पाए जाने वाले सारे  जीव-जंतु, वनस्पतियां और सूक्ष्मजीव सम्मिलित होते हैं। पृथ्वी पर जीवन के असंख्य रूप पाए जाते हैं असंख्य   प्रजातियां पाई जाती हैं।  चम्पा, चमेली, कनेर, कमल एवं गुलाब फूलदार पौधे और नागफनी व खेजड़ी  रेगिस्तानी पौधे नीम, पीपल और वट जैसे विशाल वृक्ष, हिरण, खरगोश और मोर जैसे सुंदर जीवों के साथ शेर एवं बाघ, हाथी, मोर, कबूतर, मैना, गौरैया उपस्थित हैं जो पृथ्वी पर जीवन की विविधता बताते है। पृथ्वी का कोई भी स्थान गिस्तान , महासागर, हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्र या फिर बर्फीली धरती, जीवन सभी दूर-दराज जगहों पर जीवन अपने अनगिनत रूपों में खिलखिला रहा है। ज़मीन से कहीं गुणा अधिक जैव विविधता समुद्रों-महासागरों में मिलती है।महासागरों में कोरल रीफ की आश्चर्यजनक रंग-बिरंगी दुनिया उपस्थित है। महासागरों में मिलने वाली वाली हज़ारों किस्म की मछलियां और अनेक जीव जीवन की विविधता का अनुपम उदाहरण हैं। अब तक पृथ्वी पर जीवों एवं वनस्पतियों की करीब 18 लाख प्रजातियों की पहचान हो चुकी है और यह अनुमान है कि इनकी वास्तविक संख्या इससे दस गुना अधिक हो सकती है । सूक्ष्मजीव पृथ्वी पर दिखाई देने वाले जीव जगत से कहीं अधिक तादाद तो सूक्ष्म जीवों की है जिन्हें हम नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं । एक ग्राम मिट्टी में करीब 10 करोड़ जीवाणु और पचास हज़ार फफूंद जैसे जीव होते हैं । अत्यंत छोटे होने के बावजूद जीवन के स्थायित्व में सूक्ष्मजीव जटिल अपशिष्ट पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित करके पर्यावरण स्वच्छ करते हैं। यदि सूक्ष्मजीव न हों तो पृथ्वी पर जीवों की लाशों व पत्तों का ढेर इतना बढ़ जाएगा कि पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं रहेगा। सूक्ष्मजीव ही तो खाद्य सुरक्षा का आधार होते हैं। सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियां मिट्टी से विभिन्न पोषक तत्वों खास तौर पर नाइट्रोजन को फसलों तक पहुंचाते हैं जिससे फसल को पोषण प्राप्त होता हैं। यह सूक्ष्म जीव बस इतना ही नहीं करते बल्कि यह भूमि से नाइट्रोजन को वायुमंडल में पहुंचाने की क्रिया में भी महत्वपूर्ण योगदान देते है। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में सूक्ष्मजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैव विविधता के स्तर प्रकृति में जीव-जंतु वनस्पति प्रजातियों की सही-सही संख्या का अनुमान लगाना कदापि संभव नहीं है।
pH ज्ञात करना
इस  अवसर पर सभी क्लब सदस्यों को जैव विविधता किट के प्रयोग भी करवाए गए, जिसमे क्लब सदस्यों ने निम्न प्रयोग करके देखे। 
मिट्टी में वायु की उपस्तिथि का प्रयोग
लिटमस पेपर से अम्ल क्षार में अंतर। 
दालों के नमूने एकत्र करना
तलाब के पानी की pH ज्ञात करना
गावों में पाले जाने वाले पशू-पक्षियों की सूचि बनाना
आस पास की वनस्पति की जानकारी एकत्र करना
पत्तों का जैविक विघटन समझना
इस अवसर पर 60 क्लब सदस्य व अध्यापक उपस्तिथ थे 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)
    

गुरुवार, 3 मई 2012

शुक्र पारगमन की प्रशिक्षण कार्यशाला TOV Workshop


शुक्र पारगमन की प्रशिक्षण कार्यशाला TOV Workshop

सैद्धांतिक कक्षा 
शुक्र पारगमन का सुरक्षित एवं भव्य अवलोकन के लिए आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में एक दिवसीय शुक्र पारगमन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगडा ने बताया कि  इस कार्यशाला में दो विद्यालयों के  ४० छात्र-छात्रओं को पिनहोल कैमरा,बाक्स कैमरापानी में सूर्य का प्रतिबिम्ब बनानाटेलीस्कोप व बाइनाकुलर से प्रतिबिम्ब प्राप्त करना और सोलर फिल्टर से सूर्य को देखना आदि का प्रशिक्षण दिया गया। जैसा कि पता ही है कि 6 जून 2012 को शुक्र पारगमन होने जा रहा है।
बाक्स व पिनहोल कैमरा 
जून 2012 को शुक्र ग्रह का पारगमन होने जा रहा हैअर्थात् शुक्र ग्रह सूर्य के सामने से होकर गुजरेगा। यह बहुत दुर्लभ खगोलीय घटना होने के कारण खगोलविज्ञानियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने इस  दुर्लभ खगोलीय घटना के सुरक्षित अवलोकन के लिए देश भर में व्यापक प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। इसी के अंतर्गत मास्टर ट्रेनर्स द्वारा स्कूलों में शुक्र पारगमन के सुरक्षित अवलोकन का प्रशिक्षण  दिया जाना है।
टेलीस्कोप से प्रतिबिम्बन 
मास्टर दर्शन लाल ने इस बारे बच्चो को विस्तार से बताया और सूर्य का प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के बहुत से तरीके बताए।
क्या करें?
केवल सौर डिस्क का प्रक्षिप्त बिम्ब देंखे।
दूरबीन/बाइनाक्यूलर और पिनहॉल कैमरा से सूर्य के बिम्ब का प्रेक्षेपण पिन होलदूरबीन या बाइनाक्यूलर की एक जोड़ी द्वारा एक छायादार दीवार पर सूर्य के प्रतिबिम्ब को प्रेक्षिपित करें।
सुरक्षित सोलर फ़िल्टर 
केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गये सौर फिल्टर का इस्तेमाल करक ही सूर्य की ओर देखना चाहिए। ध्यान देने वाली बात है कि सिर्फ तीक्ष्ण दृष्टि वाले व्यक्ति ही सूर्य के डिस्क पर शुक्र को एक छोटे काले धब्बे के रूप में देख सकेंगे। पारगमन के दौरान काला धब्बा सौर डिस्क के उत्तरी भाग में पूर्व से पश्चिम की ओर पार करता दिखाई देगा।
क्या न करें?
बिना सुरक्षित सौर फिल्टर केखुली आंखों से पारगमन की किसी भी कला को देखने का प्रयास न करें।
दूरबीन या बाइनाक्यूलर से सीधे कभी न देखें।
धुएंदार कांचरंगीन फिल्मधूप के चश्मेअनवरित श्वेत-श्याम फिल्मफोटोग्राफिक ट्रल डेन्सिटी फिल्टर तथा पोलराइजिंग फिल्टरों का इस्तेमाल न करें। ये सभी सुरक्षित नहीं हैं।
फिल्टर के साथ भी सूर्य की ओर लगातार न देखेंकुछ सकेंड के अंतराल पर देखें।
इस अवसर पर कपिल,विशु,शिल्पा,दिव्या,शिवम,सोनम,प्रियंका,मनीष,जतिन,आकाश ने विशेष योगदान दिया 
अमर  उजाला मई ४ २०१२ माई सिटी यमुनानगर पेज-१
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)