सोमवार, 14 जनवरी 2019

प्रगतिशील किसान धर्मबीर काम्बोज से मुलाकात Meeting with a Progressive farmer Dharmbir Kamboj

श्री धर्मबीर काम्बोज
 योग्यता कभी शिक्षा की मोहताज नहीं होती। शिक्षा जहां एक तरफ मनुष्य के लिए आवश्यक है वहीं यदि मनुष्य हुनरमंद है तो वह भी समाज में अपना एक उच्च स्थान बना सकता है। इस बात को सच करते हुए हरियाणा राज्य के जिले यमुनानगर के गांव दामला में रहने वाले श्री धर्मवीर कंबोज ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। प्रगतिशील कृषक के रूप के रूप में पहचाने जाने वाले श्री धर्मवीर कंबोज ने अपने जीवन काल में में बहुत कठिनाइयों का सामना किया लेकिन अंततः वह कामयाब हुए।
वर्कशॉप
आज उनके द्वारा बनाई गई 'बहुद्देशीय खाद्य प्रसंस्करण मशीन' कईं देशों में भी सप्लाई होती है। आज उनके पास 'मल्टीपर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन' बनाने की खुद की एक वर्कशॉप है। कभी खुद रोजगार के लिए देश की राजधानी में मेहनत-मजदूरी करके परिवार का गुजारा चलाने वाले श्री धर्मवीर कंबोज आज 20 से 30 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहे हैं। अप्रत्यक्ष रूप से ना जाने कितने ही किसान उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करके अपना स्वयं का रोजगार उत्पन कर रहे हैं। श्री धर्मवीर कंबोज जड़ी बूटियां और गैर परंपरागत कृषि करने के भी विशेषज्ञ है।
जड़ीबूटियों का फार्म
उनका कहना है कि 'किसान को केवल उत्पादन तक सीमित न रहकर बाजार में अपने सामान के साथ खुद उतरना पड़ेगा, तभी हालात बदलेंगे' उन्होंने अपने खेतों में उन्होंने अपने खेतों में घीक्वार (एलोवेरा), स्टीविया, पांच प्रकार की तुलसी, दो प्रकार का लहसुन, स्ट्राबेरी व आँवला, मशरूम सहित अन्य बहुत से औषधीय पौधे भी लगाए हुए हैं।
प्रसंस्करण के बाद उत्पाद
वह उस समय पर जब स्थानीय किसान को कृषि उपज का सही मूल्य नहीं मिलता तो वह उनसे उचित मूल्य पर उनके कृषि उत्पाद खरीद कर उनका प्रसंस्करण करके डिब्बा बंद कर लेते हैं या बहुत से कृषक अपनी उपज को उनसे खाद्य संस्करण मशीन में प्रोसेस करवा लेते हैं। उनका कहना है कि किसानों को खुद का भाग्यविधाता खुद ही बनना होगा क्योंकि खेती और मार्केट को समझने वाला हर आदमी कहता है, खेती में कमाई करनी है तो अनाज नहीं उसको प्रोडक्ट बनाकर बेचो।
तुलसी के भगत
श्री कंबोज की खाद्य प्रसंस्करण मशीन को 'नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन' द्वारा मान्यता प्राप्त है। उनकी पूर्व मशीन में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के वैज्ञानिकों द्वारा सुधार करके जो नई मशीन तैयार करवाई है वह 100 प्रकार के कार्य कर लेती है। जिनमें मुख्यत सभी फलों का और सब्जियों का जूस निकालना, एलोवेरा का जूस निकालना, एलोवेरा जेल बनाना, मिक्स फलों का जूस निकालना, फ्रूट जेल/कैंडी बनाना, आँवला का जूस निकालना, आँवला कैंडी बनाना, स्ट्रॉबेरी कैंडी/जैम बनाना, जामुन-पपीता-आम जैसे फलों का संस्करण करना, ब्लैक गार्लिक यानी काला लहसुन बनाना, अदरक का प्रसंस्करण, ड्राई मशरूम, तुलसी का अर्क निकालना, गुलाब का अर्क निकालना व अन्य जिस भी पत्ते फूल या फल का अर्क निकालना हो वह कार्य भी यह मशीन कुशलता पूर्वक कर लेती है।
नव डिज़ाइन वाली मशीन
श्री काम्बोज अपनी मशीन के द्वारा विभिन्न फलों की कैंडी तैयार करते हैं। उनकी वर्कशॉप में जापान, इंग्लैंड, कीनिया, इटली, जिम्बाब्वे व नेपाल इत्यादि देशों से प्रतिनिधि समय समय पर समय पर आते रहते हैं जो उनसे बहुत प्रभावित होते हैं। श्री कंबोज का कहना का कहना है कि देश का किसान सिर्फ उपज उत्पादन करना और फिर उसे मंडियों में ले जाकर ओने ओने पौने दामों में बेचना ही सीखा है। यदि देश का किसान अपनी उपज को प्रोसेस कर ले ले तो उसे 10 से 50 गुना  अधिक मुनाफा सकता है। बहुत से किसान, टमाटर, लहसुन, प्याज, गोभी, मूली, गाजर, आलू जैसी फसलों को सड़कों के किनारे फेंक देता है क्योंकि कभी-कभी उसके पास इतना भी रेट नहीं आता कि वह उन्हें ट्रांसपोर्टेशन खर्च ही निकाल कर मंडियों तक ले जा सके। ऐसी स्थिति में यदि किसान अपनी उपज को प्रोसेस करके डिब्बा बंद करके रख ले तो वह उसे महंगे दामों पर बेच सकता है। उदाहरण के तौर पर श्री कंबोज ने बताया कि यमुनानगर के रादौर क्षेत्र में टमाटर की पैदावार बहुत अधिक होती है और यहां का टमाटर सीधा दिल्ली की मंडी में जाता है। रादौर बेल्ट के मशहूर टमाटर दिल्ली से फिर आगे देश में बहुत दूर-दूर तक जाते हैं। लेकिन बहुत अधिक संख्या में जब किसान टमाटर की खेती करते हैं तो टमाटर का उचित मूल्य नहीं मिल पाता ऐसी स्थिति में बहुत बार में टमाटर की उपज को फेंक देते हैं या खेत में ही हल से जोत देते हैं। उन्होंने अपनी मशीन के द्वारा टमाटर को सुखा (ड्राई) करके दिखाया। 1 किलो ग्राम साबुत टमाटर एक छोटे से जार में आ गए। उन्होंने बताया कि जब टमाटर 60 से 80 रुपये किलोग्राम तक पहुंच जाता है तब यह टमाटर जो 'फूड प्रोसेसिंग मशीन' यूनिट के द्वारा ड्राई करके संरक्षित किया गया है उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मशीन द्वारा प्रसंस्करण से टमाटर की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और टमाटर का वही स्वाद आता है। इसी तरह से श्री कंबोज ने अपनी मशीन के द्वारा और भी बहुत सी चीजों को प्रोसेस करके चंद रुपए किलोग्राम के माल को हजारों रुपये किलोग्राम का माल बना दिया।
श्रीमति काम्बोज के साथ
आइए जानते हैं श्री कंबोज जी के जीवन के बारे में, श्री कंबोज गांव में रहने वाले बहुत ही सीधे-साधे व नेक दिल इंसान हैं वह अपने घर आए हुए हर व्यक्ति का पूरा आदर सत्कार करते हैं और उनको बहुत खुशी से अपनी वर्कशॉप, अपनी उपलब्धियां, अपने सर्टिफिकेट, अपनी ट्राफियां दिखाते हैं। अपने परिवार से भी उनकी मुलाकात करवाते हैं फिर वह उनको अपने खेतों की तरफ ले जाते हैं और जो-जो जड़ी-बूटियां उन्होंने उगाई हुई हैं उनके बारे में विस्तार से बताते हैं। श्री काम्बोज के सुपुत्र श्री प्रिंस काम्बोज भी इस कार्य में उनका सहयोग करते हैं। वह वर्कशॉप, मशीनों के आर्डर  व सप्लाई के कार्य को देखते हैं। श्री धर्मवीर कंबोज को पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभा पाटिल, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, श्री प्रणब मुखर्जी व वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। श्री कंबोज राष्ट्रपति भवन में 20 दिन तक महामहिम राष्ट्रपति के मेहमान बनकर भी रह चुके हैं। वह हर वर्ष राष्ट्रपति भवन में लगने वाले इनोवेशन फेस्टिवल मैं अपनी मशीन की डेमोंसट्रेशन करते हैं। अपने द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग राष्ट्रीय इन्नोवेशन फाउंडेशन, हनी-बी नेटवर्क, सृष्टि, ज्ञान सहित बहुत से सरकारी ग़ैरसरकरी संस्थानों के साथ जुड़े हुए हैं।
श्री कांबोज हरियाणा के प्रतिष्ठित कृषि विश्वविद्यालय हिसार के बोर्ड के भी सदस्य हैं। श्री धर्मवीर कंबोज एक प्रगतिशील किसान के रूप में पूरे देश में मशहूर हैं। बहुत से राज्यों के कृषि विभाग उनकी सेवाएं समय समय पर लेते रहते हैं। उन्हें अपने राज्यों में आमंत्रित करते हैं और वहां के कृषकों को प्रशिक्षित करवाते हैं। श्री कंबोज देश के लगभग सभी कृषि मेला और इंडस्ट्रियल प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए जाते हैं श्री धर्मवीर कंबोज खुले दिल से किसानों को व बेरोजगार व्यक्तियों को इस मशीन के द्वारा खाद्य प्रसंस्करण करना सिखाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो श्री धर्मवीर कंबोज एक जमीन से जुड़े हुए किसान ही हैं जिनमें अभिमान लेश मात्र मात्र भी नहीं है। हमें उनसे मुलाकात करके व उनके जड़ी बूटियों के फार्म में भ्रमण करके बहुत सीखने को मिला। मैं उनका तहेदिल से शुक्रिया करता हूं कि उन्होंने अपना कीमती समय हमें दिया।
दर्शन लाल बवेजा
पर्यावरण प्रेमी विज्ञान अध्यापक