सोमवार, 3 जनवरी 2011

विश्व ओजोन दिवस पर गोष्टी World Ozone Day 16Sept-10

                                      विश्व ओजोन दिवस पर गोष्टी 
                                       World Ozone Day
                                                               (16-09-2010)
आज विद्यालय में विश्व ओजोन दिवस पर गोष्टी का आयोजन किया गया इस् अवसर पर क्लब सदस्यों व अन्य बच्चों को ओजोन गैस परत  के बारे में बताया गया |
छात्र  मंजुल द्वारा इस् विषय पर वक्तव्य इस  प्रकार से था
ओजोन पर्त
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जहां हमारा जीवन संभव है । वायुमंडल ठोस, द्रव्य व गैस के कणों से मिलकर बना है । हमारी पृथ्वी चारों ओर से वायुमंडलीय कवच से घिरी हुई है । यह कवच दिन में सूर्य की तेंज पराबैगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है, और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है । वायुमंडल में ७८ प्रतिशत नाइट्रोजन, १६ प्रतिशत आक्सीजन, ०.०३ प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड गैस है, इसके अतिरिक्त अन्य गैसों में नियान, हाइड्रोजन, मीथेन, नाइट्रस आक्साइड भी अल्प मात्रा में पायी जाती है ।
वायुमंडल को मुख्य चार मंडलों में विभाजित किया गया है, जिन्हें क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्य मंडल व ताप मंडल कहते है । क्षोभमंडल वायुमंडल की सबसे निचली पर्त है । इस मंडल में ऊचांई बढने के साथ तापमान कम हो जाता है । समता मंडल में ऊँचाई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता है । धुवों पर इसकी मोटाई अधिक होती है, जबकि विषुवत् रेखा पर इसका अस्तित्व कभी-कभार नही के बराबर होता है । मध्य मंड़ल में पहले तो तापमान बढ़ता है, परन्तु बाद में कम हो जाता है । तापमंडल में तापमान लगभग १७०० सेन्टीग्रेड तक पहुंच जाता है, और इसकी कोई निश्चित सीमा नही होती है । समतापमंड़ल में ही ओजोन गैस से निर्मित एक पर्त पायी जाती है, जिसे ओजोन पर्त कहते है । ओजोन पर्त के इस मंडल में पाये जाने के कारण ही इसे ओजोन मंडल भी कहते है । यह ओजोन मंड़ल पृथ्वी से २०-२५ किमी पर सबसे अधिक है और लगभग ७५ किमी की ऊचांई से ज्यादा पर यह न के बराबर हो जाता है । ओजोन हल्के नीले रंग की सक्रिय वायुमंडलीय गैस है । यह समताप मंडल में प्राकृतिक रूप से बनती है । यह आक्सीजन का ही रूप है । एक ओजोन अणु में तीन आक्सीजन परमाणु होते है । इसका रासायनिक सूत्र ०३ है । वायुमंडल में ओजोन का प्रतिशत अन्य गैसों की तुलना में कम है । यह हवा में व्याप्त् दूसरे कार्बनिक पदार्थों से शीघ्रता से क्रिया करती है । इसकी खोज जर्मन वैज्ञानिक किस्चियन श्योन बाइन ने सन् १८३९ में की थी । जब सूर्य की घातक पराबैगनी किरणें वायुमंडल में आक्सीजन के साथ क्रिया करती हैं, तो प्रकाश विघटन के कारण ओजोन की उत्पत्ति होती है और यही ओजोन एक पर्त के रूप में सूर्य की तेज पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर सम्पूर्ण जीव-जगत की रक्षा करती है । प्राणवायु आक्सीजन अपने तीन आक्सीजन परमाणुओं से मिलकर ओजोन गैस का निर्माण करती हैं परन्तु हर्ष का विषय है कि यह ओजोन गैस समताप मंडल में एक रक्षक छतरी की भांति कार्य करती है । सम्पूर्ण जैव मंडल के लिये यह ओजोन छतरी रक्षा कवच कहलाती है । वे रसायन जो ओजोन परत को क्षति पहुंचाते है, उन्हें ओजोन क्षयक रसायन कहते हैं । इनमें क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स (सी.एफ.सी), मिथइल ब्रोमाइड आदि प्रमुख है । इनकी खोज सन् १९२८ में हुई थी । क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स फ्लोरीन, क्लोरीन व कार्बन से मिलकर बनते है । सी.एफ.सी. का उपयोग फ्रीजव एअर कंडीशनर में प्रशीतलक के रूप में होता है ।
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

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