अंतर्राष्ट्रीय
जैव विविधता दिवस International Biodiversity Day 
22 मई 2012
को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता
दिवस मनाया गया इस अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया
गया। इमली इको क्लब के सदस्यों ने बड़े ही उत्साह के
साथ इस विचार गोष्ठी में भाग लिया और वक्ताओं के वक्तव्य सुने। इस अवसर पर क्लब
सदस्यों को जैव विविधता के बारे में बताया गया और इसके संरक्षण के प्रति संकल्प
लिया गया।
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| क्षेत्र भ्रमण करते और जैव विविधता को समझते सदस्य  | 
विज्ञान अध्यापक व
क्लब इंचार्ज श्री दर्शन लाल ने बताया कि हमारे सौर मंडल में
पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ज्ञात ग्रह है जहां जीवन है और
जीवन के साथ साथ इसके के असंख्य रूप विद्यमान हैं। जीवन में यही विविधता जैव
विविधता कहलाती है। जैव विविधता के अंतर्गत पृथ्वी पर पाए जाने वाले सारे
 जीव-जंतु, वनस्पतियां और सूक्ष्मजीव सम्मिलित होते
हैं। पृथ्वी पर जीवन के असंख्य रूप पाए जाते हैं असंख्य   प्रजातियां पाई
जाती हैं।  चम्पा, चमेली, कनेर, कमल एवं गुलाब फूलदार पौधे और नागफनी व खेजड़ी 
रेगिस्तानी पौधे नीम, पीपल और वट जैसे विशाल
वृक्ष, हिरण, खरगोश और मोर जैसे सुंदर
जीवों के साथ शेर एवं बाघ, हाथी, मोर,
कबूतर, मैना, गौरैया उपस्थित
हैं जो पृथ्वी पर जीवन की विविधता बताते है। पृथ्वी का कोई भी स्थान गिस्तान
, महासागर, हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्र या
फिर बर्फीली धरती, जीवन सभी दूर-दराज जगहों पर जीवन अपने
अनगिनत रूपों में खिलखिला रहा है। ज़मीन से कहीं गुणा अधिक जैव विविधता
समुद्रों-महासागरों में मिलती है।महासागरों में कोरल रीफ की आश्चर्यजनक रंग-बिरंगी
दुनिया उपस्थित है। महासागरों में मिलने वाली वाली हज़ारों किस्म की मछलियां और
अनेक जीव जीवन की विविधता का अनुपम उदाहरण हैं। अब तक पृथ्वी पर जीवों एवं
वनस्पतियों की करीब 18 लाख प्रजातियों की पहचान हो चुकी है
और यह अनुमान है कि इनकी वास्तविक संख्या इससे दस गुना अधिक हो सकती है ।
सूक्ष्मजीव पृथ्वी पर दिखाई देने वाले जीव जगत से कहीं अधिक तादाद तो सूक्ष्म
जीवों की है जिन्हें हम नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं । एक ग्राम मिट्टी में
करीब 10 करोड़ जीवाणु और पचास हज़ार फफूंद जैसे जीव होते हैं
। अत्यंत छोटे होने के बावजूद जीवन के स्थायित्व में सूक्ष्मजीव जटिल अपशिष्ट
पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित करके पर्यावरण स्वच्छ करते हैं। यदि
सूक्ष्मजीव न हों तो पृथ्वी पर जीवों की लाशों व पत्तों का ढेर इतना बढ़ जाएगा कि
पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं रहेगा। सूक्ष्मजीव ही तो खाद्य सुरक्षा का आधार होते
हैं। सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियां मिट्टी से विभिन्न पोषक तत्वों खास तौर पर
नाइट्रोजन को फसलों तक पहुंचाते हैं जिससे फसल को पोषण प्राप्त होता हैं। यह
सूक्ष्म जीव बस इतना ही नहीं करते बल्कि यह भूमि से नाइट्रोजन को वायुमंडल में
पहुंचाने की क्रिया में भी महत्वपूर्ण योगदान देते है। इस प्रकार हम समझ सकते हैं
कि पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में सूक्ष्मजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैव
विविधता के स्तर प्रकृति में जीव-जंतु वनस्पति प्रजातियों की सही-सही संख्या का
अनुमान लगाना कदापि संभव नहीं है। 
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|  pH ज्ञात करना | 
इस  अवसर पर सभी क्लब सदस्यों को जैव विविधता किट के प्रयोग भी करवाए गए, जिसमे क्लब सदस्यों ने निम्न प्रयोग करके देखे। 
मिट्टी में वायु की उपस्तिथि का प्रयोग। 
लिटमस पेपर से अम्ल क्षार में अंतर। 
दालों के नमूने एकत्र करना। 
तलाब के पानी की pH ज्ञात करना। 
गावों में पाले जाने वाले पशू-पक्षियों की सूचि बनाना।
आस पास की वनस्पति की जानकारी एकत्र करना।
पत्तों का जैविक विघटन समझना।
इस अवसर पर 60 क्लब सदस्य व अध्यापक उपस्तिथ थे। 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा:
दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक) 
     
 
 
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