सोमवार, 27 दिसंबर 2010

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान TOTAL SANITATION CAMPAIGN

TOTAL SANITATION CAMPAIGN
   सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान 
                           (14-20 JULY 2009)
14 से 20 जुलाई तक विद्यालय में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान सप्ताह मनाया गया इस के अंतर्गत जागरूकता,स्वच्छता कार्य किये गए|  




 
                           मुख्य मुद्दा
            खुले मे शौच
शौचालय सभ्यता के विकास का हिस्सा रहे हैं। यह विकास की न्यूनतम शर्त भी मानी जा सकती है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच..) तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि हिंदुस्तान ऐसे देशों का सरगना है जहां खुले में लोग शौच जाते हैं क्योंकि उन्हें शौचालय की सामान्य सुविधाएं हासिल नहीं हैं। दुनिया में जितने लोग खुले में शौच जाते हैं उनमें से ५८ प्रतिशत भारतीय हैं। गांवों में तो यह प्रतिशत बढ़कर ६९ तक हो जाता है। २००८ के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में आज भी एक अरब दस करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा ४४ प्रतिशत दक्षिण एशियाई देशों में हैं। भारत में ये ६४ करोड़ हैं। दुनिया के कुल ११ देशों में ८१ प्रतिशत आबादी शौच की उचित सुविधा से वंचित है जिनमें भारत और उसके चार पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल तथा बांग्लादेश भी शामिल हैं। वैसे भारत के बाद इस मामले में इंडोनेशिया तथा चीन का नंबर आता है लेकिन इन दोनों देशों में ऐसे लोगों की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। इंडोनेशिया में . करोड़ हैं तथा चीन में पांच करोड़। जाहिर है कि खुले में शौच जाने की अपनी स्वास्थ्यगत गंभीर समस्याएं हैं जिनमें दस्त लगना (डायरिया होना) तथा अंतड़ी संबंधी रोग होना शामिल है। खासतौर पर हमारे जैसे देश में स्त्रियों के लिए यह समस्या अधिक विकट है जो खुले में हर समय शौच नहीं जा सकतीं। उन्हें जबर्दस्ती अपने शरीर पर अत्याचार करना पड़ता है जिससे औरतें कई गंभीर बीमारियों की शिकार हो जाती हैं। हमारे शहरों की हालत गांवों से वैसे काफी ठीक है मगर शहरी आबादी का वह हिस्सा- जो झुग्गी-झोपड़ियों में रहता है- इस सामान्य, मानवीय सुविधा से वंचित है। अनुमान है कि शहरों के १८ प्रतिशत लोग इन वंचितों में शामिल हैं। फिर हमारे ज्यादातर शहरों-कस्बों में सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल इतनी खराब है कि चाहकर भी उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अनेक सार्वजनिक स्थलों पर तो स्त्रियों के लिए ऐसी नाममात्र की सुविधा तक नहीं है। हम वैश्वीकरण पर, नई अर्थव्यवस्था पर, आर्थिक प्रगति की दर पर गौरव करते हैं मगर हमारे यहां साफ-सुथरे शौचालयों का घरों तथा सार्वजनिक स्थलों में भयानक अभाव है।
प्रस्तुति:- ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक) 

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