मंगलवार, 4 जून 2013

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day



विश्व पर्यावरण दिवस पर क्लब सदस्यों ने किया चिंतन मनन व पौधारोपण 
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर  पर सी वी रमन विज्ञान क्लब व टेमारिंड इको क्लब के सदस्यों द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे एक पर्यावरण संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे  विश्व पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक मनुष्य के योगदान विषय पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण के उन बिन्दुओं पर चर्चा की जिन को जीवन मे अपना कर हम पर्यावरण संरक्षण कर अपना कर्त्तव्य निभा सकते हैं। इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पौधारोपण  किया और सोच समझ कर भोजन करने व भोजन बचाने की शपथ भी ली। 
क्लब संरक्षक व विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने सदस्यों को विश्व पर्यावरण दिवस के बारे मे बताते हुए कहा कि हम घर मे ही अपने स्तर पर बहुत सी अच्छी आदते अपना कर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं। इन बिन्दुओं पर चर्चा के दौरान क्लब सदस्यों के ज्ञानकोष से बहुत से क्रियाकलाप निकल कर आये जन्हें जीवन मे अपना कर व अपनी दैनिक गतिविधियों मे सुधार करके हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने कर्त्तव्यों को आसानी से निभा सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण मे क्लब सदस्यों के सुझाव
सभी व्यक्ति हर वर्ष यादगार अवसरों जैसे जन्मदिन आदि पर  पौधारोपण करे।
प्रत्येक गांव शहर में हर स्कूल व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनायी जाये।
निजी वाहनों को धोने मे कम से कम पानी प्रयुक्त  किया जाए।
टेलीविजन आवश्यकता अनुसार चलायें व उसकी की आवाज़ धीमी रखें।
जल व्यर्थ न बहायें और नलो की लीकेज ठीक करवाए।
सोलर उपकरणों का प्रयोग करना शुरू करें।
फर्श धोने में कम पानी का प्रयोग करें।
अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें।
कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरणों  को स्टैंडबाई ना छोड़े। 
पॉलीथिन का उपयोग न करें ना ही उसे जलाएं।
कचरा कूड़ेदान में ही डाले व ठोस कचरा प्रबंधन अपनाये।
पशु पक्षियों को पानी पिलायें।
नहाने व बर्तन कपड़े धोने मे जल का उचित प्रयोग करें।
घर मे किचन गार्डन बनाए नहीं तो गमलों मे पौधे अवश्य लगाए।
 कबसे शुरू हुआ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना
विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्यावरण पर्व है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्वीडन के स्टाकहोम में दुनिया भर के देशों का प्रथम पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन मे विश्व के एक सौ उन्नीस देशों ने भाग लिया था यहीं पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मना कर नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से रूबरू कराने का निश्चय किया गया। पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए नागरिक व राजनीतिक चेतना की आवश्यकता को समझा गया।
 पर्यावरण के प्रदूषित होने के मुख्य करण
लगातार बढ़ रही आबादी, उद्योगीकरण, अनियंत्रित शहरीकरण, कृषी अवशेषों का जलाया जाना, वनस्पति इंधन, वाहनों कारखानों द्वारा छोड़ा जाने वाला धुंआ, नदियों तालाबों में गिरता हुआ दूषित जल, वनों का कटान, खेतों में कीटनाशकों उर्वरकों  का असंतुलित प्रयोग, पहाड़ों में भूस्खलन, मिट्टी का कटाव, पालीथिन को जलना आदि।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
उन्नीस नवम्बर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ जिसके अंतर्गत, पर्यावरण मे जल, वायु, भूमि से सम्बन्धित मनुष्य पोधे, सूक्ष्म जीव  अन्य जीवित पदार्थ आदि आते है। इस अधिनियम के पर्यावरण संरक्षण व गुणवत्ता हेतु सभी आवश्यक क़दम उठाना। पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निधर्रित करना। पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना व उनका क्रियान्वन। उद्योगिक स्थलों का चयन व उद्योगों की स्थापना के मापदंड निर्धारित करना। अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान आदि।
 ना बनाये महज एक रस्म अदायगी
ऐसा नहीं है कि आमजन पर्यावरण संरक्षण मे योगदान नहीं दे सकता परन्तु यदि कहा जाए तो यह पुनीत कार्य शुरू ही यहीं से होता है। मनुष्य अपने स्तर पर अपनी सूझबूझ से दैनिक क्रियाकलापो मे आमूलचूल परिवर्तन से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत कुछ कर सकता है। बस आवश्यकता है तो सुझबुझ की न की महज रस्म अदायगी की।   
  

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