सोमवार, 30 जुलाई 2012

सेहत बनाता नहीं बिगाडता है खुले मे शौच जाना total sanitation campaign

सेहत बनाता नहीं बिगाडता है खुले मे शौच जाना Total Sanitation Campaign

संगोष्ठी का आयोजन
रा.व.मा.वि.अलाहर मे  सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगड़ा की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस के अंतर्गत सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करते हुए वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे।
इमली इको क्लब के प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि सुबह की सैर सेहत के लिए बहुत जरूरी है परन्तु सैर पर जाने वाले यदि खेत या नजदीकी खुले स्थानों पर शौच भी जाते हैं तो ऐसी गातिविधि से सेहत बनती नहीं बिगड़ती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि केवल गरीब ही खुले में शौच को जाता है बल्कि सम्पन्न लोग भी खुले में शौच की परम्परा को सेहतवर्धक मानते हैं। इसी सोच को बदलने के लिए एक विशाल जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। अध्यापक सुनील कुमार ने अपने वक्तव्य में बताया कि गावों के साथ साथ शहरों में भी खुले में शौच जाने का प्रचलन यथावत बना हुआ है। यमुनानगर का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि यहाँ बहुत बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं जो यहाँ की विभिन्न इण्डस्ट्रीज में काम करते हैं और  छोटे छोटे कमरों में एक साथ रहते हैं जहां उन्हें शौचालय की सुविधा प्राय नहीं मिलती। पश्चिमी यमुना नहर के किनारे किनारे प्रात और शाम को बहुत से लोगों को खुले में शौच जाते देखा जा सकता है। मानसून के दिनों में नहर की पटरी पर गुजरना भी साहस का कार्य माना जा सकता है।
प्रवक्ता संजय शर्मा जी
प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि शौचालय किसी भी राष्ट्र के विकास की न्यूनतम शर्त मानी जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत ऐसे देशों का मुखिया है जहां खुले में लोग शौच जाते हैं क्योंकि उन्हें शौचालय की सामान्य सुविधाएं हासिल नहीं हैं। भारत में 60 प्रतिशत लोग आज तक खुले में शौच को जाते हैं यानि कि दुनिया में जितने लोग खुले में शौच जाते हैं उनमें से 58 प्रतिशत भारतीय हैं। दुनिया के कुल 11 देशों में 81 प्रतिशत आबादी शौच की उचित सुविधा से वंचित है जिनमें भारत और उसके चार पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल तथा बांग्लादेश भी शामिल हैं। वैसे भारत के बाद इस मामले में इंडोनेशिया तथा चीन का नंबर आता है लेकिन इन दोनों देशों में ऐसे लोगों की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। खुले में शौच जाना बीमारियों के साथ साथ अन्य संगीन अपराधों को भी जन्म देता है।
श्रमदान करते क्लब सदस्य
इस अभियान के अंतर्गत इको क्लब सदस्यों ने श्रमदान किया और खुद की व अपने आसपास के स्थानों वे सामुदायिक स्थलों की सफाई का महत्व समझा। क्लब सदस्यों व अध्यापको ने महात्मा गांधी के सपने को साकार करने का प्रण लिया।
इस अवसर पर क्लब सदस्य कपिल, अंशुल, अरुण, शिवम, वंशिका, सोनम, मानक दिव्या का योगदान सराहनीय रहा।
अखबारों  में 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

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