आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर के इमली इको क्लब के सदस्यों ने वर्षा को मापना सीखा। क्लब प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बच्चों को रेन गेज से वर्षा मापने की गातिविधि करवाई। क्लब सदस्यों को यह वर्षामापी यंत्र विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग भारत सरकार से प्राप्त हुआ है। प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगड़ा ने बताया कि यदि वर्षा मापने की गातिविधि व मौसम के अन्य पैरामीटर्स मापने की गतिविधियां स्कूली बच्चों को करवाई जाए तो वह आंकड़ों की तुलना से मौसम के तीव्र बदलाव के प्रति गंभीर होंगे और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे।
अलाहर स्कूल के इको क्लब सदस्य अपना वर्षामापी यंत्र स्थापित करते हुए |
बारिश को मापने के लिए वर्षामापी यंत्र को खुले स्थान पर रख दिया जाता है। यह यंत्र प्लास्टिक का बेलनाकार डिब्बा जैसा होता है जिस के मुहं पर उसी नाप की एक कीप लगी होती है। यंत्र को खुली जगह पर इस तरह रखा जाता है कि उसमें हर तरफ से आती वर्षा की बूंदें गिरें और यह भी ध्यान रखा जाता है कि तेज हवाएं आने पर वह वर्षामापी यंत्र गिरे नहीं। यंत्र की ऊंचाई 30 से 40 सेंटीमीटर होती। वर्षा के दौरान 24 घंटे में जितना पानी उस में भरता है उसे मापक सिलेंडर से माप कर पाठ्यांक नोट कर लेते हैं। वही बारिश का माप होता है जिसकी तुलना मानक माप से करके विस्तृत परिणाम घोषित किये जाते हैं। आमतौर पर एक दिन में 25 सेमी. से अधिक वर्षा नहीं होती। वर्षा मापी यंत्र कभी पेड़ या भवन के पास नहीं रखना चाहिए। इससे वर्षा का सही सही माप नहीं मिल पाता। यंत्र हमेशा खुले स्थान पर ही रखना चाहिए ताकि वर्षा की बूंदें उसमे नियमित रूप से गिरती रहें।
amrujala news my city date 26-8-2012
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)
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