सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

विश्व खाद्य दिवस World Food Day oct 16, 2012

विश्व खाद्य दिवस World Food Day oct 16, 2012  
प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा
आज रा.व.मा.वि. अलाहर में विश्व खाद्य दिवस 2012  के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिस में इको क्लब के सदस्यों को विश्व खाद्य दिवस के बारे में बताया गया। प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने बताया कि यह दिन पूरे विश्व में इस लिए मनाया जाता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया में भूख के खिलाफ लड़ाई में किए गए प्रयासों को जाना जा सके। गत वर्ष  संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की पहल पर दुनिया भर में विश्व खाद्य दिवस के मौके पर ‘बढ़ती खाद्य कीमतों’ को मुख्य विषय बनाया गया था, और इस वर्ष का थीम ‘खाद्य कीमते - संकट से स्थिरता के लिए’ चुना गया है। खाद्य पदार्थो की बढ़ती वैश्विक कीमतों से जूझ रहें दुनिया के अधिकतर देश आज चिंता ग्रसित हैं।
दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक
दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया  कि दुनिया के देशों में नित  नए नए हथियारों को प्राप्त करने की होड़ चल रही है और इस पर अरबों-खरबों  रुपए खर्च हो रहे हैं तो दूसरी ओर आज भी 85.5 करोड  लोग पुरुष, महिलाएं और बच्चे हैं जो भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भरपूर खाद्यान्न भंडार है जो सभी का पेट भरने के लिए पर्याप्त है लेकिन इसके बावजूद आज 85.50 से अधिक ऐसे लोग हैं जो दीर्घकालिक भुखमरी और कुपोषण या अल्प पोषण की समस्या से जूझ रहे हैं। हमारे देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर आबादी खाद्य पदार्थो के अनियमित बटंवारे से जूझ रही है। एक अरब से भी अधिक वैश्विक आबादी दैनिक आधार पर भूखी है और चौकाने की हद तक आबादी कुपोषण का शिकार है।

लोगो WFD
इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस आयोजन के निम्न लक्ष्य व उद्देश्य निर्धारित किये गये हैं। 
कृषि खाद्य उत्पादन बढाने के लिए राष्ट्रीय
, द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और गैर - सरकारी प्रयासों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना;
विकासशील देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना;
खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहन सहन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण फैसलों और गतिविधियों में महिलाओं और निम्न विशेषाधिकार प्राप्त श्रेणियों की प्रतिभागिता बढ़ाने को प्रोत्साहन देना;
दुनिया भर में भूख की समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना;
विकासशील देशों को प्रौद्योगिकियों  के हस्तांतरण को बढ़ावा देना;
भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना, खाद्य और कृषि विकास के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए ध्यान आकर्षित करना।
अध्यापक मनोहर लाल
इस गोष्ठी में समाजसेवी, अध्यापक, प्राध्यापकों ने अपने विचार सांझा किये अध्यापक मनोहर लाल  ने बच्चों को बताया गया कि एक ओर हमारे और आपके घर में रोज सुबह रात का बचा हुआ खाना बासी समझकर फेंक दिया जाता है तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें एक वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता और वह भूख से मर रहे हैं इसलिए वो अपनी थाली में उतना ही भोजन लें जितना वो खा सकते हैं जूठन के रूप में भोजन बर्बाद ना करने की शपथ दिलवाई गयी। 
प्रवक्ता संदीप कुमार
इतिहास प्रवक्ता संदीप कुमार ने कहा की आर्थिक मंदी की मार के कारण पूरी दुनिया त्रसित है जिस कारण महंगाई बेकाबू हो रही है जमाखोरी और ज्यादा मांग कीमतों को टिकने नहीं दे रही हैं इसीलिए यह मुद्दा वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता और बहस का विषय बन गया है। सत्तर के दशक से सन 2000 तक अनाज की कीमते इतनी तेज़ी से नहीं बढ़ी जितनी कि गत 5-6 वर्षों में बढ़ी हैं इस कारण रोटी तक भी गरीब की पहुँच मुश्किल होती जा रही है।
इको क्लब सदस्य
अमर उजाला अखबार में..........
दैनिक जागरण अखबार में ......

इस अवसर पर सभी स्टाफ सदस्य और इको क्लब सदस्य मौजूद थे।

प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)


1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

तस्य पुत्रा भवन्त्येते पादपा नात्र संशयः ।
परलोगतः स्वर्गं लोकांश्चाप्नोति सोऽव्ययान् ॥
(पूर्वोक्त, श्लोक २७)
(एते पादपाः तस्य पुत्राः भवन्ति अत्र संशयः न; परलोक-गतः सः स्वर्गं अव्ययान् लोकान् च आप्नोति ।)
अर्थ - मनुष्य द्वारा लगाए गये वृक्ष वास्तव में उसके पुत्र होते हैं इस बात में कोई शंका नहीं है । जब उस व्यक्ति का देहावसान होता है तो उसे स्वर्ग एवं अन्य अक्षय लोक प्राप्त होते हैं ।