मंगलवार, 24 मई 2011

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2011 International biodiversity day 2011



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ibdaymay2011_13अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2011 International biodiversity day 2011
संयुक्त राष्ट्र ने 22 मई को जैव विविधता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस  की इस घोषणा करने के पीछे उद्देश्य जैव विविधता के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक विश्व्यापी समझ विकसित करना था| पहली बार 1993 के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा की समिति द्वितीय के द्वारा जैव विविधता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया. दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा आईडीबी के रूप में 22 मई को अपनाया है|जैव विविधता, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। सन् 2010 को जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष, घोषित किया गया है।
क्या है जैव विविधता
किसी भी स्थान पर वहां के वातावरण के अनुसार वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की उपलब्धता और उस मे विभिन्नता ही जैव विविधता कहलाती है। जैव विविधता वनस्पतियों और जीवों की उपलब्धता के साथ ही उनके आपसी संबंधों के बारे में भी बताती है। यह पूरा चक्र जैव विविधता के अंतर्गत आता है। जैव विविधता ही जीवन को आधार प्रदान करती है। विशेषज्ञों के अनुसार जहां पर जैव विविधता कम हो जाती है या फिर समाप्त हो जाती है, वहां पर जीवन की संभावनाएं भी समाप्त होती जाती हैं। अब वक्त बहुत कम है सभी देशों को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा। हमारे सामने प्रजातियों के विलुप्त होने का गंभीर खतरा है। यह सिर्फ विलुप्त होने वाली प्रजाति की समस्या नहीं यह पूरी धरती के लिए खतरनाक है।इस बारे एकदम किसी को पता नहीं चलता कि पेड़ों की जीव जंतुओं की प्रजातियाँ खत्म हो रही हैं, लेकिन जब हमें यह समझ में आता है, तो यह भी सामने आता है कि इस विलुप्त होने की इस प्रक्रिया के साथ पूरी प्रणाली खत्म हो सकती है।हरखत्म हो गई एक पीढ़ी भी यह सीखाती ही रह गई कि इन्सान को अगर जीना है तो दूसरे पेड़-पौधों को भी जीने देना होगा।

आज विद्यालय मे दिन सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2011 के उपलक्ष्य मे एक फिल्ड विजिट पर ले जाया गया;जहां कल्ब सदस्यों ने स्थानीय जैव विविधता को समझा और परपोषी,स्वपोषी पौधो के बारे मे जाना अमरबेल के बारे मे सदस्यों को विस्तार से बताया गया कल्ब सदस्यों ने काफी नजदीकी से अमरबेल के जीवन चक्र और निर्वाह के बारे मे समझा |
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और बाद मे विद्यालय मे आकर बच्चो ने विभिन्न जीवों की विविधता के बारे ने सीखा बायो लैब से विभिन्न स्पेसिमेन लाये गए और बच्चों ने झींगा,आक्टोपस,स्टारफिश,स्नेल,सीप,एस्केरिस,फीताकृमि,मेंडक का जीवनचक्र,घरेलू मक्खी का जीवनचक्र,काक्रोच का जीवनचक्र,तितली का जीवनचक्र आदि को समझा.
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इस दिवस को मनाने मे सोनिया,किरण,अरुण,कपिल,विशु,शिवम आदि क्लब सदस्यों का विशेष योगदान रहा.

प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

शुक्रवार, 13 मई 2011

राष्ट्रीय तकनीकी दिवस National Technology Day

राष्ट्रीय तकनीकी दिवस National Technology Day
तकनीक से कोई काम आसान करने का इतिहास आदि काल से है मगरमच्छ के डर से चटान के उपर बैठे आदि मानव ने जब सब से पहले सरकंडे को खोखला कर के पानी पीया होगा या फिर २०वीं सदी  मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख कर चाँद पर अपने कदम रखें होंगे; एक जैसा सुखद अहसास हुआ होगा | 
विभिन्न ओज़ारो और उँगलियों का प्रयोग करता मानव आज पृथ्वी का सबसे विकसित जीव बन गया है | तकनीकी का प्रयोग काम को आसान बनाने के लिए भले ही सदियों से हो रहा हो परन्तु भाषा लिपि के लिए यह शब्द  २० वीं सदी की ही देन है ; विज्ञान ,अभियांत्रिकी और तकनीकी मे गहरा सम्बन्ध है यहाँ विज्ञान आविष्कार,नवाचार और सिद्धांत प्रदान करती है तो तकनीक विज्ञान का व्यवहारिक रूप और इस तकनीक का व्यवसायिक उपयोग जो है  वो है अभियांत्रिकी, इस का ज्ञाता कहलाया अभियंता |
पहीयें का बनाया जाना और फिर उसके  अनगिनत उपयोग तकनीक के विकास मे अगुआ साबित हुआ | ऊर्जा और परिवहन मे पहीयें क्रान्ति ला दी |  प्रथम औद्योगिक क्रान्ति और  द्वितीय औद्योगिक क्रांति के बाद तकनीकी के छुपे योगदान को नाम सहित पर्दे पर लाया जा सका |

मेलिन क्रांजबर्ग (Melvin Kranzberg) ने छ: "प्रौद्योगिकी के नियम" प्रतिपादित किये हैं जो निम्नवत् हैं-

प्रथम - प्रौद्योगिकी न अच्छा है, न बुरा और न ही तटस्थ (neutral)।
द्वितीय - अनुसंधान, आवश्यकता की जननी है।
तृतीय - प्रौद्योगिकी छोटे-बड़े पैकेजों के रूप में आती है।
चतुर्थ - यद्यपि बहुत से लोहहित के मुद्दों में प्रौद्योगिकी प्रमुख अवयव (prime element) होती है किन्तु प्रौद्योगिकि-नीति सम्बन्धी निर्णय लेते समय गैर-तकनीकी बातों को अधिक महत्व दे दिया जाता है।
पंचम - सारा इतिहास महत्वपूर्ण (relevant) है किन्तु प्रौद्योगिकी का इतिहास सबसे महत्वपूर्ण है।
षष्टम् - प्रौद्योगिकी बहुत ही मानवीय क्रियाकलाप (human activity) है; इसी तरह प्रौद्योगिकी का इतिहास भी मानवीय क्रियाकलाप है।(सोजन्य विकी)
      आज 11मई को  राष्ट्रीय राष्ट्रीय तकनीकी दिवस पर कल्ब सदस्यों को आदिम युग से लेकर अत्याधुनिक टैक्नोलोजी से अवगत किया गया और स्कूली शिक्षा पूरी करने  कर बाद तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना भी बहुत जरूरी है |

इस गोष्टी मे सभी ने वाद विवाद किया और निष्कर्ष निकाला कि विज्ञान और तकनीकी ने जीवन को आसान और लंबा बना दिया है | 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 4 मई 2011

धरती पर बढ़ता शहरीकरण का बोझ : गोष्ठी Urbanization

धरती पर बढ़ता शहरीकरण का बोझ : गोष्ठी Urbanization
कल्ब सदस्य 
महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि आज़ाद भारत से कुटीर उद्योग नहीं समाप्त होने चाहियें परन्तु आज उस से उल्ट हुआ है| आज गावं में लुहार के पास काम नहीं है क्यूंकि हल बैल के स्थान पर आ गए टरेक्टर,आज दर्जी के पास काम नहीं है क्यूंकि रेडीमेड गारमेंट्स की धूम मची है आज मोची,जुलाहा,भड्भुन्जा,कुम्हार,मुश्की,सुनार,बुनकर,खेत मजदूर सब के सब काम से खाली है आबादी बढ़ी है और काम कम हुआ है ऐसी स्तिथि में गावं से मंगत रामू श्यामू हर कोई भागा है शहर की और इसमें  चाहे शहरी चकाचौंध का आकर्षण हो या रोटी कमाने की मजबूरी शहर सब को खीच रहा है अपनी और,फिर शुरू होता है  स्लम बस्तियों का घुटन से भरा जीवन, दुनिया की आधी आबादी शहरों में बसने लगी है विकासशील देशों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है शहरों में सीवरेज,जलापूर्ति,बिजली व अन्य सेवाएं अनावश्यक तनाव ग्रसित हो रही हैं |
 भारत जैसे विकासशील देशों के संदर्भ में यह स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर है। वजह यह कि विश्व संसाधन संस्थान के मुताबिक विकासशील देशों में शहरी आबादी साढ़े तीन प्रतिशत  सालाना की दर से बढ़ रही है, जबकि विकसित देशों में यह दर एक प्रतिशत से भी कम है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक अगले 20 सालों में शहरों की आबादी जितनी बढ़ेगी, उसका 95 प्रतिशत बोझ विकासशील देशों पर ही पड़ेगा। यानी 2030 तक विकासशील देशों में दो अरब और लोग शहरों में रहने लगेंगे। शहरों पर ज्यों-ज्यों बोझ बढ़ रहा है, लोगों को मिलने वाली सुविधाएं घट रही हैं। बेहतर जिंदगी की चाह में लोग शहरों की ओर भागते हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें मुसीबतें ही मिलती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विकासशील देशों में 70 प्रतिशत से ज्यादा करीब 90 करोड़ आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है। वर्ष 2020 तक यह संख्या दो अरब हो जाने का अनुमान है। ऐसे में जहां उनके लिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ती हैं, वहीं पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर शहरों पर बढ़ रहे बोझ और प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले बड़े शहरों पर भविष्य में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा काफी बढ़ जाएगा। दुनिया के ऐसे 21 बड़े शहरों में से 75 फीसदी विकासशील देशों में ही हैं। कुछ आंकड़ों के मुताबिक 2015 तक ऐसे 33 में से 27 शहर विकासशील देशों में होंगे।
शहरों में विकास और बढ़ती जनसंख्या के चलते प्रदूषण भी खूब बढ़ रहा है। तेजी से विकास कर रहे चीन के खाते में दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 16 शहर हैं। प्रदूषण के चलते शहरों में हर साल करीब दस लाख लोग समय से पहले मर जाते हैं। इनमें ज्यादातर विकासशील देशों के ही होते हैं।
कल्ब सदस्य

गावं यदि इतने सक्षम होते कि सब को काम दिलवा सकते तो शायद आज यह स्तिथि ना आती निम्न कुछ उपाय जो किये जा सकते है शहरीकरण को रोकने के लिए,
1. कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए और इन के उत्पादों को प्रचारित किया जाए.
2. नयें शिक्षण संस्थान,मेडिकल कोलिज,व्यपारिक मंडियां ग्रामीण इलाको में स्थापित हों.
3. बिजली,पेयजल,शिक्षा,चिकत्सा,परिवहन और सड़कें आदि सेवाओं का गावं दर गावं विकास हो.
4. ग्राम निकायों का सुदृडीकरण किया जाए. 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)
    जनसत्ता मे 
 

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

विश्व धरा दिवस World Earth Day

 विश्व  धरा दिवस World Earth Day
 हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है|
पृथ्वी दिवस की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 से  की गयी पर्यावरण से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित यह दिन विश्व भर में मनाया जाता है | "पर्यावरण संकट" की बढती चिंता राष्ट्रों को प्रभावित कर रही है और विश्वस्तर पर इस चिंता के निवारण के विभिन्न उपाय किये जा रहें हैं |
हमारे सौरमंडल में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है और इस आबाद ग्रह पर सब से विकसित हम मनुष्य भी रहते हैं परन्तु मनुष्य ईंटों गारे से बनाए गए अपने मकान को अपना घर समझ बैठा है वास्तव में वो हमारा आश्रय स्थल तो हो सकता है परन्तु हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है आज मनुष्य पृथ्वी का अंधाधुंध दोहन कर रहा है,यह दोहन पृथ्वी के गर्भ  खनिजों के खनन से लेकर उसके शरीर से  वृक्ष रुपी गहने उतारने तक जाता है मनुष्य अपने क्रियाकलापों से उसकी साँसों में वायु प्रदूषण रूपी जहर घोल रहा है और जनसंख्या वृद्धि कर के उस की ममतामयी गोद में अनावश्यक बोझ बढ़ा रहा है |
समूह फोटो कल्ब सदस्य विश्व धरा दिवस के अवसर पर
समूह फोटो कल्ब सदस्य विश्व धरा दिवस के अवसर पर
वैसे तो हर दिन विश्व धरा दिवस होना चाहिए हम कोई एक दिन धरा  को समर्पित कर के अपने दायित्वों का समापन नहीं कर सकते हमें बहुत उचित कदम उठा कर धरती के कष्टों का निवारण करना होगा इसी में समस्त मानवता की भलाई है अब जानते है कि हम अपने जीवनशैली में थोड़ा सा ही बदलाव करके पृथ्वी पर जीवन को और बेहतर बना सकते है पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और पानी का सिमित उपयोग करना चाहिए और तीसरी बात हमें आवश्यकता पड़ने पर ही ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए | इन सब मुख्य बातों के अलावा पोलीथीन का कम से कम उपयोग,जल संरक्षण,फसलो पर कीटनाशकों का छिडकाव कम कर के कार्बनिक और जैविक पद्यति को अपनाना होगा नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम जीवनदायनी पृथ्वी को खो देंगे |विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि इमली इको कल्ब, रा. व. मा अलाहर में  हर वर्ष धरा दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करते है जागरूकता संचार के अंतर्गत रैली,इको मार्च,पेंटिंग,भाषण,वाद विवाद,निबन्ध लेखन प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं इन क्रियाकलापों से बालमन पर अपनी धरा पृथ्वी को बचाने और संरक्षित करने का जज्बा पैदा होता है|  विश्व धरा दिवस पर इको कल्ब अलाहर के बच्चे इको मार्च करते हुए गलियों में नारे लगाते हुऐ यह प्रचारित करते हैं कि हम सब थोड़ा थोड़ा योगदान दे कर अपनी पृथ्वी को बचा सकते हैं |  

विश्व धरा दिवस पर इमली इको कल्ब अलाहर के बच्चे इको मार्च करते हुए 
 

 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

गुरुवार, 24 मार्च 2011

विश्व जल दिवस मनाया गया World Water Day

विश्व जल दिवस मनाया गया World Water Day
आज राजकीय व.मा.विद्यालय अलाहर में इमली इको क्लब के सदस्यों द्वारा विश्व जल दिवस मनाया गया,इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया| विश्व जल दिवस के बारे में बताते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि प्रत्यक वर्ष 22 मार्च का दिन जल को बचाने के संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाता है, जल जीवन की एक बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है, छोटे से लेकर बड़े बड़े कार्यों में जल नितांत आवश्यक है, हमारे इलाके में जल की कोई कमी नहीं है परन्तु यदि उचित जल प्रबन्धन ना किया गया तो वह समय दूर नहीं है जब हमे भी भयंकर जल संकट से रूबरू होना पडेगा  हमारे पास जल के उचित प्रबंधन का ज्ञान नहीं है जिस कारण हम जल को व्यर्थ करते है कुछ ऐसी जानकारियाँ दी गयी जिन कार्यों को हम अनजाने में कर रहे है और कीमती जल को बर्बाद कर रहे है|
अपने वाहनों बाईक,कार आदि को धोने में कितना ही शुद्ध जल बर्बाद कर रहें है,पानी संग्रहण टैंक के ओवरफ्लो से पानी की बर्बादी हो रही है,नलों व पाईप लाईनों की लीकेज से पानी की बर्बादी हो रही है |
स्कूल में बच्चों द्वारा ओक(चुल्लू) से पानी पीने से दोगुना जल लगता है और हाथ अच्छी तरह से धुले हुए ना होने के कारण बीमारियों का खतरा अलग से रहता है पानी गिलास से ही पीया जाए|
टूथ ब्रश ओए शेव करते वक्त नल खुला रखने से पानी की बर्बादी हो रही है,नहाने के लिए शावर और बाथ टब के प्रयोग से पानी की बर्बादी हो रही है,धान की साठी फसल लेने के लिए किसान बेइंतहा जल प्रयोग करते है यहाँ जल स्तर नीचे जाने का यह एक मुख्य कारण है |
अध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि हमारी पृथ्वी पर एक अरब चालीस घन किलो लीटर पानी है. इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो कि खारा(नमकीन)  है, शेष 1.5  प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुवीय प्रदेशों में है। इसमें से बचा 1 % पानी नदी, सरोवर,तलाबो, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में प्रयुक्त होता है। शेष का 40वाँ हिस्सा हम नहाने, कपड़े धोने,पीने, भोजन बनाने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं।
अध्यापक मनोहर लाल जी ने एक रोचक जानकारी देते हुए बताया कि एक  लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है शहरी इलाको में दूध के तबेले यानी डेयरी वाले पशुओ के मल-मूत्र को भी पानी से ही बहाते है जिस कारण वहां एक लीटर दूध के पीछे खर्च जल का अनुपात और भी  बढ़ जाता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। जल के उचित प्रबंधन के अंतर्गत पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
अध्यापिका गगनज्योति ने बताया कि  इज़राइल देश में औसत प्रतिवर्ष 10 सेंमी वर्षा होती है, इतनी ही वर्षा के जल के प्रबंधन से वहां के किसान  इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात भी कर लेता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है। भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन 4 मील पैदल चलती है।
आज इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों शिल्पा,दिव्या,सोनम,रवि,नेहा,दिलबाग,रुबिता,शिवकुमार,मंजुल,मोहित,अंजली दत्त,सोनिया,शुभम को प्रधानाचार्य साहिब सिंह जी ने पुनः पुरस्कार दे कर सम्मानित किया |
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इसी कड़ी में आज 23-03-2011 को  ग्रामीणों को बुला कर सोख्ता गड्डा बनाने बारे प्रेरित किया गया | सभी ने बहुत ध्यान से सोख्ता गड्डा बनाने की विधि को समझा और अपने घर-आंगन में इस को बनाने का निर्णय लिया इस अवसर पर प्राध्यापक संजय शर्मा ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जो भी इसको अपने घर-आंगन में बनाएगा उस को कोई भी समस्या आने पर सारा तकनीकी ज्ञान मौके पर कल्ब प्रभारी द्वारा प्रदान किया जाएगा |
इस अवसर पर विद्यालय के सभी अध्यापको/प्राध्यापकों सुनील कम्बोज,मुकेश रोहिल,संजय शर्मा,सुभाष काम्बोज,रविन्द्र सैनी,मनोहर लाल,संदीप जी का योगदान सराहनीय रहा |
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 23 मार्च 2011

विश्व वानिकी दिवस मनाया गया World Forestry Day

विश्व वानिकी दिवस मनाया गया World Forestry Day
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आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर में विश्व वानिकी दिवस मनाया  गया इस उपलक्ष्य में  इको मार्च और गोष्टी का आयोजन किया गया, इमली इको क्लब के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि दुनिया भर में विश्व वानिकी दिवस प्रति वर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है । सन् 1872 में अमेरिका के नेबरास्का में इसकी शुरूआत हुई, इस दिवस को मनाये जाने का सारा श्रेय जे-र्स्टीलंग मार्टिन को जाता है| इन्होने नेबरास्का में बड़ी संख्या में पौधे लगाए थे । इसके बाद इन्होंने अन्य निवासियों को फल-फूल, छायादार,पर्यावरण सरक्षंण और खुबसूरती हेतु पौधे लगाने की सलाह दी । उन्होंने सरकार को पौधे लगाने के लिए एक अलग विशेष दिन रखने के लिए राज़ी कर लिया । इस प्रकार तब से इस दिन विश्व वानिकी दिवस की शुरूआत हुई । प्रथम वानिकी दिवस पर एक लाख से ज्यादा पौधे लगाये गए, धीरे-धीरे पुरी दुनिया में यह दिवस एक महापर्व के रूप में मनाया जाने लगा ।
tec_wfd_21-03-11-1 इस अवसर पर एक इको मार्च किया गया इस रैली का संचालन सुनील कुमार और मनोहर लाल अध्यापको ने किया,क्लब सदस्यों ने पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ के नारे लगा कर इस दिवस बारे जागरूकता संचार किया, इस अवसर पर एक गोष्टी भी की गयी जिस में अध्यापको ने क्लब सदस्यों को विश्व वानिकी दिवस और वनों के लाभों के बारे में बताया कि वनों से हमे आक्सीजन गैस मिलती है,वन वर्षा करवाने में सहायक हैं,वन भूमि कटाव रोकते है, वन,वन्य जीवों का आश्रय हैं,वन प्रदूषण दूर करते हैं और वनों से लकड़ी की प्राप्ती तो वनों का बहुत ही गौण लाभ है परन्तु मानव इस को ही सबसे बड़ा लाभ मान कर अंधाधुन्द वनों की कटाई कर रहा है जो कि धरती के लिए घातक है tec_wfd_21-03-11-4 उन्होंने बताया कि एक अनुमान है कि प्रति वर्ष १५ लाख हेक्टेयर वन कटते है । भारत की राष्ट्रीय वन नीति में कहा गया था कि देश एक-तिहाई हिस्से को हरा भरा वनों युक्त रखेंगे,लेकिन पिछले वर्षों में भू-उपग्रह के  चित्रों से पता चलता है कि है कि देश में 33 प्रतिशत के बजाय 13 प्रतिशत ही वन क्षेत्र रह गया है। क्लब प्रभारी एवं क्लब ग्रुप लीडर दिलबाग सिंह ने सभी क्लब सदस्यों के साथ विचार विमर्श कर के यह निर्णय लिया कि इस वर्ष जुलाई अगस्त में विद्यालय के खेल के मैदान में उचित जगहों पर फल-फूल ,छाया दार एवं औषधीय पेड़ पौधे लगाएं जाएँगे
इस अवसर पर सभी सदस्यों व अध्यापकों संजय शर्मा,मुकेश रोहिल,संदीप कुमार,रविंदर कुमार का योगदान सराहनीय था |
अखबार में 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 14 मार्च 2011

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया National Science Day 28 Feb

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया  National Science Day 28 Feb 
     आज 28 फरवरी को रा.व.मा.विद्यालय अलाहर,खंड रादौर जिला यमुना नगर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस  मनाया गया | जिला शिक्षा अधिकारी,हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक,हरियाणा स्टेट कौंसिल फार साईंस एंड टैक्नोलोजी चंडीगढ़ के दिशा निर्देशों के अंतर्गत इस  अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और एक विज्ञानं पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गयी | विद्यालय के विभिन्न छात्र/छात्राओं को जिन्होंने विभिन्न राज्य , राष्ट्रीय स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिताओं में भाग लिया उन को सम्मानित किया गया | 
इस अवसर पर बोलते हुए विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि विज्ञान से होने वाले लाभो के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी सन् 1928 को सर सी वी रमन ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
रमण प्रभाव के बारे में बोलते हुवे प्रधानाचार्य साहिब सिंह ने बताया कि “जब अणु प्रकाश को बिखरते हैं तो उस समय मूल प्रकाश में परिवर्तन हो जाता है नवीन किरणों की उपस्तिथि से हम यह परिवर्तन देख सकते है इस परिक्षिप्त प्रकाश में जो किरणे दिखाई पड़ी वही किरणे ‘रमण किरणे’ कहलाई” मात्र २०० रुपयों के उपकरणों पर की गयी महान खोज 28 फरवरी 1928 को देश के लिए यादगार दिन बन गया |
आज इस अवसर पर विज्ञान की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों शिल्पा,दिव्या,सोनम,रवि,नेहा,दिलबाग,रुबिता,शिवकुमार,मंजुल,मोहित,अंजलीदत्त,सोनिया,शुभम 
को प्रधानाचार्य साहिब सिंह जी ने पुरस्कार दे कर सम्मानित किया  |
इस अवसर पर विद्यालय के सभी अध्यापको/प्राध्यापकों सुनील कम्बोज,मुकेश रोहिल,संजय शर्मा,सुभाष काम्बोज,रविन्द्र सैनी,मनोहर लाल,संदीप जी का योगदान सराहनीय रहा |
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

विश्व नमभूमि दिवस पर तालाब का भ्रमण World Wetland Day

                       विश्व नमभूमि दिवस पर तालाब का भ्रमण
                                      World Wetland Day
                                          02 फरवरी 2011
आजविश्व नमभूमि दिवस पर क्लब सदस्यों ने नजदीकी तालाब का भ्रमण करके नम भूमि के बारे में जाना और नम भूमि की वनस्पति और जलीय जीवन के बारे में भीजाना |
विद्यालय से कुछ ही दूरी पर इस तालाब को स्थानीय लोग गंगा सागर कह देते है  यह तालाब काफी बड़ा है और काफी पुराना है परन्तु आज इस की दशा सोचनीय बनी हुई है |
गावों में आज से २० - ३० साल पहले तालाबो का बहुत महत्व होता है तालाब जल के महत्वपूर्ण स्रोत हुआ करते थे पशुपालन बहुत होता था कई घरों के पास तो १००-१०० पशु हुआ करते थे दुधारू पशुओं के अलावा बैल बोझा ढोने वाले पशु भेड़-बकरी,घोड़े आदि भी हुआ करते थे
इन सब को पानी पिलाने , नहलाने के लिए तालाबों पर ही लाया जाता तब तालाब को साफ़ सुथरे रखने की सामूहिक जिम्मेवारी बनती थी नए तालाब खोदना पुराने तालाबों से गाद निकाल कर गहरा करना आदि कार्य सब ग्रामीण मिल जुल कर किया करते थे
पुराने समय में हरियाणा के गावों में एक पुराना भाईचारे व सामूहिकता का रिवाज रहा है कि जब भी तालाब (जोहड़) कि खुदाई का काम होता तो पूरा गाँव मिलकर इसको करता था रिवाज यह रहा है कि गाँव के हर एक  घर से एक आदमी तालाब कि खुदाई के लिए आता है  पहले हरियाणा के गावों क़ी जीविकापार्जन पशुओं पर  ज्यादा निर्भर थी, गाँव के कुछ घरों के पास १०० से अधिक पशु होते थे | इन पशुओं का जीवन गाँव के तालाब के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा होता था | गाँव क़ी बड़ी आबादी के पास न ज़मीन होती थी न पशु होते थे प्रत्येक घर एक आदमी खुदाई के लिए भेजता था और बिना ज़मीन व पशु वाला भी एक आदमी भेजता था| यह सामूहिक कारसेवक तालाब खोदा और गहरा किया करते थे परन्तु समय के साथ साथ ना तो उतने पशु ही रहे और ना ही तालाबो की अन्य आवश्यकता ही| 
आज जब क्लब सदस्य नम भूमि भ्रमण के लिए तालाब पर गए तो वहां किनारे पर बड़ी संख्या में मछलियाँ और सांप मरे हुए देखे, इतने ज्यादा सख्यां में इनकी मृत्यु का कारण बच्चो,क्लब सदस्यों की समझ में नहीं आ रहा था तब उन्होंने वहां जाल ठीक कर रहे एक मछुवारे से पूछा तो उसने अपने ज्ञान/अनुभव के अनुसार जवाब दिया की पानी में गैस बन गयी है जिस कारण ये मछलियाँ,सांप और अन्य जीव कछुवे आदि मर रहे है|
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मछुवारे से बातचीत करते क्लब सदस्य
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क्लब सदस्यों ने यह जाना की मछलियों के मरने का क्या कारण है
तालाब बहुत प्रदूषित है
तालाबों का अतिक्रमण कर भूमि का रूप दे दिया जा रहा है।
यहाँ वहां कचरा,पोलिथिन,पशु अपशिष्ट,जूते चप्पल और पानी में कालापन देख कर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह तालाब प्रदूषण से ग्रसित है
तालाब में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा न्यूनतम से भी कम हो गयी है|ऐसा जलीय संदूषण के कारण हुआ है
कैसे होता है संदूषण
जलराशियों में कार्बनिक पदार्थ व खनिज लवण बढ़ जाने पर संदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है। पोषक तत्वों की अधिकता जलीय पौधों को अत्याधिक पोषण व अनुकूल दिशा देता है जिस पूरी जलराशि ही जलीय पौधों व प्लवक से ढंक जाती है। जलराशि में बाहरी स्रोतों से वर्षा जल द्वारा (एन आफ प्रोसेस) निरंतर आते रहते हैं और पौधे अविरल वृद्धि करते रहते हैं। इसी घटनाक्रम के दौरान जलीय पौधों व प्लवक के मृत भाग टूटकर तली पर बैठ जाते हैं जो पुन: जल में पोषक तत्वों की वृद्धि करते हैं। और तलछट के तल को भी लगातार बढ़ाते रहते हैं। तलछट में अपनी जड़े जमाकर रखने वाले पौधे इन तत्वों को पुन: प्राप्त करते हैं। इस तरह पोषक तत्वों की निरंतर वृद्धि से जलराशि अत्यधिक संदूषित हो जाती है।
एल्गी,जलीय खरपतवार सूर्य के प्रकाश की बाधक है जिस कारण जल में आक्सीजन का स्तर कम हो गया है |
घरों व नालियों से आने वाले वेस्ट वाटर में अकार्बनिक अशुद्धियाँ(डिटर्जेन्ट,शैम्पू और साबुन) भी तालाब को अशुद्ध कर रहे है|
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प्राध्यापक रविंदर जी ने क्लब सदस्यों को विस्तार से नम भूमि के बारे में समझाया और नम स्थलों पर उगने वाली वनस्पतियों व वहां रहने वाले जीव जंतुओं के बारे में बताया |




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क्लब सदस्यों ने तालाब के किनारे पर एक खोह 
देखी जो किसी जंगली कुत्ते की थी जो इस में घात लगा कर रात को अपना शिकार जैसे खरगोश,छछुंदर,कछुआ आदि पकड़ते है|
इस प्रकार क्लब सदस्यों ने नम भूमि भ्रमण करके अपना ज्ञानवर्धन किया और प्रदूषण  का जलीय जीवों पर प्रभाव का अध्ययन किया
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)