शनिवार, 20 अगस्त 2011

राजीव गाँधी अक्षय उर्जा दिवस Akshya Urja Divas


राजीव गाँधी अक्षय उर्जा दिवस मनाया गया
 आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे राजीव गाँधी अक्षय उर्जा दिवस मनाया गया इस अवसर पर स्कूल के बच्चों को अक्षय उर्जा के बारे मे बताया गया | और बच्चो को सोलर कूकर की कार्य प्रणाली भी प्रयोग कर के बतायी गयी |
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि में वे सारी उर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनःभरण होता रहता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोमास, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं।
इस अवसर पर प्रवक्ता संजय शर्मा ने बच्चों को अक्षय उर्जा के महत्व को बताया उन्होंने बताया कि ऊर्जा का महत्व दिन प्रतिदिन जीवन मे बढ़ता जा रहा है परन्तु जीवाश्म ईंधन अब इस असीमित मांग की पूर्ति करने मे सक्षम नहीं रहें है इस के लिए हमे उर्जा के वैकल्पिक साधनों की तरफ जाना ही पडेगा अतः  हमें सौर उर्जा ,जल उर्जा, पवन उर्जा का अधिकतम दोहन कर के जीवाश्म ईंधन और परम्परागत उर्जा के अन्य साधनों पर दबाव कम करना है| 
 प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

क्लब सदस्यों ने बनाया पर्यावरण मित्र पम्प Eco friendly Pump

अलाहर के छात्रों मे उत्साह 
बच्चो को बच्चा समझने की भूल अक्सर सब कर बैठते है परन्तु असल मे बच्चों मे एक गज़ब का कल्पनाशील दिमाग होता है बच्चा हर उम्र मे यह सोचता रहता है कि यदि यह काम ऐसे ना  हो कर ऐसे होता तो कितना अच्छा होता फिर वो अपनी कल्पना को अपने से बड़े के आगे रखता है तो लोग हस कर बच्चा कह कर टाल देते हैं परन्तु येही कल्पना ना होती तो मनुष्य की हवाई यात्रा दूर संचार की इच्छा कभी पूरी नहीं होती. बच्चो की कल्पना और कुछ नया करने की इच्छा पूर्ति के आगे धन और मार्गदर्शन की कमी आड़े आती है इसी को ध्यान मे रख कर केंद्रीय विज्ञानं और प्रोद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वाराएक योजना चलाई गयी है जी के अंतर्गत कल अलाहर के सरकारी स्कूल के विद्यार्थी जिले के अन्य सैकड़ों छात्र छात्राओं के साथ  इंस्पायर अवार्ड के विज्ञान माडल प्रस्तुत करेंगे.इस बारे जानकारी देते हुए अलाहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि इंस्पायर  यानि "इनोवेशन इन साईंस प्रसुइट फार इंस्पायर्ड रिसर्च” केंद्रीय विज्ञानं और प्रोद्योगिकी विभाग,भारत सरकार द्वारा प्रतिभाओ को विज्ञानं और अनुसन्धान के क्षेत्र कि ओर आकर्षित करने के लिए यह नवाचार प्रारम्भ किया गया है. इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य विज्ञानं अध्ययन के लिए प्रतिभाओ को प्राम्भिक अवस्था में ही आकर्षित कर भविष्य के विज्ञानं और तकीनीकी के क्षेत्र के लिए एक व्यापक प्रतिभाशाली मानव संसाधन विकसित करना है. विज्ञान आधारित विषय जैसे भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान आदि में अनुसंधान कम हो रहे है. युवाओं का ध्यान इस ओर से हट रहा है. विद्यालयों में अध्ययनरत उत्कृष्ट विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने एवं विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से इंस्पायरयोजना के तहत पांच हजार रुपए का पुरस्कार प्रदान किया जाता है.इसके अंतर्गत कक्षा 6 से 8 तथा 9 से 10 तक में अध्ययनरत मेधावी विद्यार्थियों का चयन किया जाता है.
इस योजना के तीन मुख्य घटक है पहले घटक मे विज्ञान के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए योजना है इस के तहत १० से १५ साल की प्रतिभाओ को भविष्य में विज्ञानं अध्यन के लिए आकर्षित करना है.|इस के अंतर्गत कक्षा ६ से १० के वे विधार्थी जिन्होंने कक्षा में विज्ञानं और गणित विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए है को ५००० रु. मौलिक मॉडल या विज्ञानं परियोजना बनाने के लिए दिए जाते है इन मोडलो को प्रदर्शनी के द्वारा ब्लाक ,जिला, और राज्यस्तर पर प्रदर्शित किए जाते है. माध्यमिक और प्रारम्भिक शिक्षा के समस्त विद्यालयों के कक्षा ६ से १० के प्रतिभाशाली विधार्थियो को इस योजना का लाभ मिल रहा है.

इसके दूसरे घटक मे उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ती की योजना है इस के तहत १७ से २२ साल की युवा प्रतिभाओ को मूल विज्ञानं स्ट्रीम में अध्यन हेतु प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृति प्रदान की जाती है.
इसके तीसरे घटक मे अनुसंधान मे कॅरिअर के लिए निश्चित अवसर योजना है इस के तहत २२ से ३२ साल के विधार्थियो को फेलोशिप प्रदान की जाती है. यह फेलोशिप बेसिक और अप्लाइड विज्ञानं दोनों में अनुसन्धान करने वालो को दे जाती है.|
प्रधानाचार्य  श्री साहिब सिंह ने बताया कि  अलाहर  स्कूल के बच्चो विज्ञान की विभिन्न गतिविधियों मे बहुत  बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और इस स्कूल से बच्चो ने गत ५ वर्षों मे विज्ञान की विभिन्न प्रतियोगिताओं मे राज्य और राष्ट्रीय स्तर  पर भाग लेकर स्कूल व जिले का नाम रोशन किया है. इस प्रदर्शनी मे भी विद्यालय से दो माडल प्रस्तुत किये जा रहें हैं. वंशिका और कपिल ने साइकिल पर एक पम्प फिट करके बिना बिजली से छत पर पानी चढ़ाने  की डिवाईस विकसित की है और जबकि शिवम और दिव्या ने कम बल से मशीन द्वारा खेत मे बीज और उर्वरक डालने की विधि विकसित की है और एक ऐसी मशीन बनाई है जिस से कम समय लगा कर बिजाई की जा सकती है और उर्वरक फैलाया जा सकता है .
  प्रधानाचार्य  एवं सभी अध्यापकों ने प्रदर्शनी मे भाग लेने वाले सभी बच्चो को शुभकामनाएं दी.     
अमर उजाला अखबार मे आज २०-०७-२०११ को 


प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान खुले मे शौच बीमारियों को न्योता TOTAL SANITATION CAMPAIGN

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान खुले मे शौच बीमारियों को न्योता
रा.व.मा.वि.अलाहर मे  सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान सप्ताह मनाया गया इस के अंतर्गत जागरूकता,स्वच्छता सम्बन्धित विभिन्न गतिविधियां की गयी.
समापन के अवसर पर आज के मुख्य मुद्दे खुले मे शौच बीमारियों को न्योता विषय  पर चर्चा की गयी इस विषय पर बोलते हुए विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि शौचालय सभ्यता के विकास का हिस्सा रहे हैं। 
यह विकास की न्यूनतम शर्त भी मानी जा सकती है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि हिंदुस्तान ऐसे देशों का सरगना है जहां खुले में लोग शौच जाते हैं क्योंकि उन्हें शौचालय की सामान्य सुविधाएं हासिल नहीं हैं। दुनिया में जितने लोग खुले में शौच जाते हैं उनमें से ५८ प्रतिशत भारतीय हैं। गांवों में तो यह प्रतिशत बढ़कर ६१ तक हो जाता है।  आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में आज भी एक अरब दस करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा ४४ प्रतिशत दक्षिण एशियाई देशों में हैं।
 भारत में ये ६४ करोड़ हैं। दुनिया के कुल ११ देशों में ८१ प्रतिशत आबादी शौच की उचित सुविधा से वंचित है जिनमें भारत और उसके चार पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल तथा बांग्लादेश भी शामिल हैं। वैसे भारत के बाद इस मामले में इंडोनेशिया तथा चीन का नंबर आता है लेकिन इन दोनों देशों में ऐसे लोगों की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। इंडोनेशिया में ५.८ करोड़ हैं तथा चीन में पांच करोड़। जाहिर है कि खुले में शौच जाने की अपनी स्वास्थ्यगत गंभीर समस्याएं हैं जिनमें दस्त लगना (डायरिया होना) तथा अंतड़ी संबंधी रोग होना शामिल है। खासतौर पर हमारे जैसे देश में स्त्रियों के लिए यह समस्या अधिक विकट है जो खुले में हर समय शौच नहीं जा सकतीं।
 उन्हें जबर्दस्ती अपने शरीर पर अत्याचार करना पड़ता है जिससे औरतें कई गंभीर बीमारियों की शिकार हो जाती हैं। हमारे शहरों की हालत गांवों से वैसे काफी ठीक है मगर शहरी आबादी का वह हिस्सा- जो झुग्गी झोपड़ियों में रहता है- इस सामान्य, मानवीय सुविधा से वंचित है। अनुमान है कि शहरों के १८ प्रतिशत लोग इन वंचितों में शामिल हैं। फिर हमारे ज्यादातर शहरों-कस्बों में सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल इतनी खराब है कि चाहकर भी उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अनेक सार्वजनिक स्थलों पर तो स्त्रियों के लिए ऐसी नाममात्र की सुविधा तक नहीं है। हम वैश्वीकरण पर, नई अर्थव्यवस्था पर, आर्थिक प्रगति की दर पर गौरव करते हैं मगर हमारे यहां साफ-सुथरे शौचालयों का घरों तथा सार्वजनिक स्थलों में भयानक अभाव है।
बच्चों को इस अवसर पर श्री संजय शर्मा ,मुकेश रोहिल,सुभाष चंद,संदीप कुमार,रविन्द्र कुमार,मनोहर लाल आदि अध्यापको ने भी सम्बोधित किया। 
  
      
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)


मंगलवार, 5 जुलाई 2011

मलेरिया जागरूकता पर गोष्टी mosquito attack


मलेरिया जागरूकता पर गोष्टी का आयोजन किया गया.
आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे मलेरिया रोग से बचाव के बारे मे बताते हुए प्रधानाचार्य श्री साहिब सिंह ने घोषणा की कि जुलाई का पूरा महीना मच्छर जनित रोगों के प्रति जागरूकता संचार के रूप मे मनाया जाएगा जिस मे छात्रों को मलेरिया,डेंगू,चिकन गुनिया आदि मच्छर जनित रोगों के बारे मे जागरूक किया जाएगा। विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने कहा कि मच्छरदानी सब से उत्तम और सरल उपाय है परन्तु अब मच्छरदानी प्रचलन से बाहर हो गयी है परन्तु व्यापक प्रचार के कारण लोग समझ  चुके हैं कि टिकिया,रिपेलेंट,स्प्रे आदि सब हानिकारक भी हैं इसलिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिये.मोटे तौर पर देखा जाए तो रोगों का वाहक मच्छर गंदगी में पनपता है। देश में आज भी बड़े भाग में शौचालय की सुविधाएं विशेषकर उसके निकास के तरीके उचित नहीं हैं जो गंदगी फैलाते हैं। वहीं दूसरी ओर खुले गटर, गड्ढे पानी भरी होदियां, नालियां सब कुछ खुला है और गंद लाता है। उस पर शहरों में कूलर, पानी की खुली टंकियां, टायर जैसा अन्य कबाड़ मच्छरों के इस परिवार को बढ़ाता है। मादा मच्छर क्योंकि दिन में ही काटता है, इसलिए दोपहर में मच्छरों से बचाव पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
 दर्शन लाल ने बच्चो को मच्छर और मलेरिया व अन्य रोगों के बारे मे भी विस्तार से  बताया मानसून के दिनों में जो बीमारी आमतौर पर देखने को मिलती है, उनमें मलेरिया का नाम प्रमुख है। मलेरिया का प्रमुख कारण प्लाज्मोडियम परजीवी है। वैज्ञानिक रॉनल्ड रॉस ने जब पहली बार यह बात उजागर की कि मलेरिया फैलाने के पीछे केवल मादा मच्छर का डंक है तो लोगों को हैरानी हुई थी। तब और शोध सामने आए पता चला कि मच्छर तो निमित्त मात्र है, वह केवल वाहक है। मलेरिया का दोषी तो कोई और ही है जो उसको और मनुष्य को अपना ठिकाना बनाए हुए है। मच्छर ने जब स्वस्थ मनुष्य को काटा तो यह आराम से उसके खून में उतर गया और अपना कहर दिखा गया। इसके बाद जब किसी रोगी को मच्छर ने काटा तो फिर परजीवी मच्छर के अंदर जा पहुंचा। इस तरह से मच्छर और मनुष्य के बीच दूषित रक्त का आदान-प्रदान होता रहा और आराम से रोग बढ़ता-फैलता रहा। इस परजीवी की चार प्रजातियां हैं, प्लाज्मो-डिपम वाईवेक्स, प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लाज्मोडियम मलेरियाई और प्लाज्मोडियम ओवेल।
संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम मरीज की लाल रक्त कणिकाओं को तेजी से प्रभावित करता है,वाईवेक्स आम है जबकि फाल्सीपेरम सबसे ज्यादा खतरनाक है जो सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। मच्छर की ही देन डेंगू बुखार भी है। मादा एडीस मच्छर के काटने का असर डेंगू बुखार के रूप में सामने आता है। 
यह जागरूकता कार्यक्रम पूरे माह तक चलेगा और इस कार्यक्रम मे  दर्शन लाल, संजय शर्मा, मुकेश रोहिल, सुभाष काम्बोज,मनोहरलाल, नित्यानंद,  रविंदर कुमार, सुनील कुमार आदि अध्यापको ने भी विशेष सहयोग दिया।  
अमर उजाला ६-७-२०११ 



प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)


मंगलवार, 21 जून 2011

हमारा पर्यावरण: बचपन और हमारा पर्यावरण---दर्शन बवेजा

हमारा पर्यावरण: बचपन और हमारा पर्यावरण---दर्शन बवेजा
बचपन जीवन का वो भाग जिस के लिए आदमी तब भी तरसता है जब वो बड़ा होता है जगजीत सिंह की वो गजल 'कागज की कशती' सुन कर बचपन की याद किस को ना आयी होगी| एक बचपन हमारा था अब हमारे अपने बच्चों का है और एक बचपन है 'कचरा बीनने वाले बच्चों का' जी एक सच जिस से नजरे नहीं फेरी जा सकती| सुबह तड़क वेला में कंधे पर कट्टा/बोरी लटकाए मैले गंदे बिना नहाये ये बच्चे दुकाने खुलने से पहले बाज़ारों में कालोनियों में स्कूलों के पास पहुँच जाते है और कागज ,गत्ता ,पोलीथीन ,प्लास्टिक आदि फेंका हुआ कचरा उठाने लगते है उन को कोई सरोकार नहीं है कि उसने बहुत बड़ी कम्पनी के बच्चों के कपड़ो का जो डिब्बा/पोलीथीन उठाया,अपने बोरे में डाला और फिर अगले शिकार(डिब्बे) की और भागा उस के पास वक्त नहीं है की वो ये जाने ५० पैसे में बिकने वाले इस डिब्बे में उस के ही हमउम्र का ३००० रुपयों का कोट था| उसे इस काम में यानि कचरा बीनने में भी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है वो भाग भाग कर चीते की फुर्ती से आपने शिकार को पकड़ता है डिब्बा ,कागज ,अखबार ,पोलीथीन ,लोहा ,टीन गलनशील/अगलनशील कचरा और उस के बदले दिन को रोटी .. बचपन उनका और पर्यावरण हमारा जी हाँ ,मै कचरा बीनने वालों को सच्चा पर्यावरण हितैषी मानता हूँ वो छोटे छोटे बच्चों के झुण्ड दूर से ही अपने डिब्बे को भूखे बाज़ की तरह पहचान लेते है और दूर से ही बोल देते है वो मेरा,बड़े वे के प्रतिस्पर्धात्मक तिडकमों से अनजान इन के पेशे में बचपन की निश्छल,पाक,सहयोगात्मक भावना होती है......
आगे यहाँ..........

रविवार, 5 जून 2011

विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया World Environment Day (05-06-2011)


विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया World Environment Day (05-06-2011)
विश्व पर्यावरण दिवस पर इको मार्च करते क्लब सदस्य 
आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया  गया इस उपलक्ष्य में  इको मार्च ,पेंटिंग प्रतियोगिता और गोष्टी का आयोजन किया गया, इमली इको क्लब के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस प्रति वर्ष 5 जून  को मनाया जाता है पर्यावरण का दूषित होना आज वैश्विक चर्चा और चिंता का विषय बना हुआ है। इसके प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन 1972 से हर वर्ष 5 जून को संयुक्त राष्ट्रसंघ के द्वारा आरम्भ किया गया था । विश्व पर्यावरण दिवस मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य  पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना और आम जनता को पर्यावरण के प्रति प्रेरित करना था। मनुष्य को पृथ्वी पर आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रदूषण को कम करना ही होगा क्यूंकि प्रदूषण न केवल राष्ट्रीय बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। मनुष्य के आसपास जो वायुमंडल है वो पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण का जीवजगत  के स्वास्थ्य एवं जीवन निर्वाह से गहरा सम्बन्ध है। पर्यावरण को स्वच्छ  बनाए रखने में प्रकृति का विशेष महत्व है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ा  नहीं कि पर्यावरण दूषित हुआ नहीं। पर्यावरण के दूषित होते ही जीव- जगत रोग ग्रस्त हो जाता है।
पर्यावरण के प्रहरी 
पेंटिंग प्रतियोगिता 
पेंटिंग प्रतियोगिता 
  
समूह फोटो क्लब सदस्य 

जी हाँ ,हमने भी हटाना है 

पेड़ लगाओ - पर्यावरण बचाओ 
क्लब के सदस्यों के द्वारा इस अवसर पर एक इको मार्च का आयोजन किया गया इस रैली का संचालन विद्यालय के अध्यापको ने किया,क्लब सदस्यों ने पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ और पर्यावरण को बचाना है  के नारे लगा कर इस दिवस बारे जागरूकता संचार किया, इस अवसर पर एक गोष्टी भी की गयी जिस में अध्यापको ने क्लब सदस्यों को विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में बताया.जो चंद प्रयास हम अपने स्तर पर कर सकते हैं, उनमें प्रमुख हैं जन्मदिन,विवाह की वर्षगांठ जैसे प्रमुख अवसरों पर एक पेड़ लगायें, मित्रों को उपहार में एक पौधा दें, अनावश्यक नल खुला रख पानी बहता न छोडें, अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें,गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किया पानी का प्रयोग करें।इस अवसर पर सभी सदस्यों कपिल, हिमांशु,शिवम,ज्योति,निशा,काजल,किरण, का योगदान सराहनीय था
पेंटिंग प्रतियोगिता का परिणाम 
प्रथम : लवली कक्षा ७ 
द्वितीय : शिवानी कक्षा ८ 
तृतीय : अनु कक्षा ८ 
सांत्वना : दिव्या कक्षा ६ , अंजू कक्षा ६ 

प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक) 9416377166

मंगलवार, 24 मई 2011

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2011 International biodiversity day 2011



ibdaymay2011_18
ibdaymay2011_14
ibdaymay2011_13अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2011 International biodiversity day 2011
संयुक्त राष्ट्र ने 22 मई को जैव विविधता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस  की इस घोषणा करने के पीछे उद्देश्य जैव विविधता के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक विश्व्यापी समझ विकसित करना था| पहली बार 1993 के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा की समिति द्वितीय के द्वारा जैव विविधता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया. दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा आईडीबी के रूप में 22 मई को अपनाया है|जैव विविधता, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। सन् 2010 को जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष, घोषित किया गया है।
क्या है जैव विविधता
किसी भी स्थान पर वहां के वातावरण के अनुसार वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की उपलब्धता और उस मे विभिन्नता ही जैव विविधता कहलाती है। जैव विविधता वनस्पतियों और जीवों की उपलब्धता के साथ ही उनके आपसी संबंधों के बारे में भी बताती है। यह पूरा चक्र जैव विविधता के अंतर्गत आता है। जैव विविधता ही जीवन को आधार प्रदान करती है। विशेषज्ञों के अनुसार जहां पर जैव विविधता कम हो जाती है या फिर समाप्त हो जाती है, वहां पर जीवन की संभावनाएं भी समाप्त होती जाती हैं। अब वक्त बहुत कम है सभी देशों को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा। हमारे सामने प्रजातियों के विलुप्त होने का गंभीर खतरा है। यह सिर्फ विलुप्त होने वाली प्रजाति की समस्या नहीं यह पूरी धरती के लिए खतरनाक है।इस बारे एकदम किसी को पता नहीं चलता कि पेड़ों की जीव जंतुओं की प्रजातियाँ खत्म हो रही हैं, लेकिन जब हमें यह समझ में आता है, तो यह भी सामने आता है कि इस विलुप्त होने की इस प्रक्रिया के साथ पूरी प्रणाली खत्म हो सकती है।हरखत्म हो गई एक पीढ़ी भी यह सीखाती ही रह गई कि इन्सान को अगर जीना है तो दूसरे पेड़-पौधों को भी जीने देना होगा।

आज विद्यालय मे दिन सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2011 के उपलक्ष्य मे एक फिल्ड विजिट पर ले जाया गया;जहां कल्ब सदस्यों ने स्थानीय जैव विविधता को समझा और परपोषी,स्वपोषी पौधो के बारे मे जाना अमरबेल के बारे मे सदस्यों को विस्तार से बताया गया कल्ब सदस्यों ने काफी नजदीकी से अमरबेल के जीवन चक्र और निर्वाह के बारे मे समझा |
ibdaymay2011_1 ibdaymay2011_2
 ibdaymay2011_3 ibdaymay2011_4
 ibdaymay2011_5 ibdaymay2011_8 
 ibdaymay2011_6ibdaymay2011_7 
 ibdaymay2011_10 ibdaymay2011_12
ibdaymay2011_9ibdaymay2011_11          ibdaymay2011_15
और बाद मे विद्यालय मे आकर बच्चो ने विभिन्न जीवों की विविधता के बारे ने सीखा बायो लैब से विभिन्न स्पेसिमेन लाये गए और बच्चों ने झींगा,आक्टोपस,स्टारफिश,स्नेल,सीप,एस्केरिस,फीताकृमि,मेंडक का जीवनचक्र,घरेलू मक्खी का जीवनचक्र,काक्रोच का जीवनचक्र,तितली का जीवनचक्र आदि को समझा.
ibdaymay2011_16 ibdaymay2011_17 
इस दिवस को मनाने मे सोनिया,किरण,अरुण,कपिल,विशु,शिवम आदि क्लब सदस्यों का विशेष योगदान रहा.

प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

शुक्रवार, 13 मई 2011

राष्ट्रीय तकनीकी दिवस National Technology Day

राष्ट्रीय तकनीकी दिवस National Technology Day
तकनीक से कोई काम आसान करने का इतिहास आदि काल से है मगरमच्छ के डर से चटान के उपर बैठे आदि मानव ने जब सब से पहले सरकंडे को खोखला कर के पानी पीया होगा या फिर २०वीं सदी  मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख कर चाँद पर अपने कदम रखें होंगे; एक जैसा सुखद अहसास हुआ होगा | 
विभिन्न ओज़ारो और उँगलियों का प्रयोग करता मानव आज पृथ्वी का सबसे विकसित जीव बन गया है | तकनीकी का प्रयोग काम को आसान बनाने के लिए भले ही सदियों से हो रहा हो परन्तु भाषा लिपि के लिए यह शब्द  २० वीं सदी की ही देन है ; विज्ञान ,अभियांत्रिकी और तकनीकी मे गहरा सम्बन्ध है यहाँ विज्ञान आविष्कार,नवाचार और सिद्धांत प्रदान करती है तो तकनीक विज्ञान का व्यवहारिक रूप और इस तकनीक का व्यवसायिक उपयोग जो है  वो है अभियांत्रिकी, इस का ज्ञाता कहलाया अभियंता |
पहीयें का बनाया जाना और फिर उसके  अनगिनत उपयोग तकनीक के विकास मे अगुआ साबित हुआ | ऊर्जा और परिवहन मे पहीयें क्रान्ति ला दी |  प्रथम औद्योगिक क्रान्ति और  द्वितीय औद्योगिक क्रांति के बाद तकनीकी के छुपे योगदान को नाम सहित पर्दे पर लाया जा सका |

मेलिन क्रांजबर्ग (Melvin Kranzberg) ने छ: "प्रौद्योगिकी के नियम" प्रतिपादित किये हैं जो निम्नवत् हैं-

प्रथम - प्रौद्योगिकी न अच्छा है, न बुरा और न ही तटस्थ (neutral)।
द्वितीय - अनुसंधान, आवश्यकता की जननी है।
तृतीय - प्रौद्योगिकी छोटे-बड़े पैकेजों के रूप में आती है।
चतुर्थ - यद्यपि बहुत से लोहहित के मुद्दों में प्रौद्योगिकी प्रमुख अवयव (prime element) होती है किन्तु प्रौद्योगिकि-नीति सम्बन्धी निर्णय लेते समय गैर-तकनीकी बातों को अधिक महत्व दे दिया जाता है।
पंचम - सारा इतिहास महत्वपूर्ण (relevant) है किन्तु प्रौद्योगिकी का इतिहास सबसे महत्वपूर्ण है।
षष्टम् - प्रौद्योगिकी बहुत ही मानवीय क्रियाकलाप (human activity) है; इसी तरह प्रौद्योगिकी का इतिहास भी मानवीय क्रियाकलाप है।(सोजन्य विकी)
      आज 11मई को  राष्ट्रीय राष्ट्रीय तकनीकी दिवस पर कल्ब सदस्यों को आदिम युग से लेकर अत्याधुनिक टैक्नोलोजी से अवगत किया गया और स्कूली शिक्षा पूरी करने  कर बाद तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना भी बहुत जरूरी है |

इस गोष्टी मे सभी ने वाद विवाद किया और निष्कर्ष निकाला कि विज्ञान और तकनीकी ने जीवन को आसान और लंबा बना दिया है | 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 4 मई 2011

धरती पर बढ़ता शहरीकरण का बोझ : गोष्ठी Urbanization

धरती पर बढ़ता शहरीकरण का बोझ : गोष्ठी Urbanization
कल्ब सदस्य 
महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि आज़ाद भारत से कुटीर उद्योग नहीं समाप्त होने चाहियें परन्तु आज उस से उल्ट हुआ है| आज गावं में लुहार के पास काम नहीं है क्यूंकि हल बैल के स्थान पर आ गए टरेक्टर,आज दर्जी के पास काम नहीं है क्यूंकि रेडीमेड गारमेंट्स की धूम मची है आज मोची,जुलाहा,भड्भुन्जा,कुम्हार,मुश्की,सुनार,बुनकर,खेत मजदूर सब के सब काम से खाली है आबादी बढ़ी है और काम कम हुआ है ऐसी स्तिथि में गावं से मंगत रामू श्यामू हर कोई भागा है शहर की और इसमें  चाहे शहरी चकाचौंध का आकर्षण हो या रोटी कमाने की मजबूरी शहर सब को खीच रहा है अपनी और,फिर शुरू होता है  स्लम बस्तियों का घुटन से भरा जीवन, दुनिया की आधी आबादी शहरों में बसने लगी है विकासशील देशों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है शहरों में सीवरेज,जलापूर्ति,बिजली व अन्य सेवाएं अनावश्यक तनाव ग्रसित हो रही हैं |
 भारत जैसे विकासशील देशों के संदर्भ में यह स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर है। वजह यह कि विश्व संसाधन संस्थान के मुताबिक विकासशील देशों में शहरी आबादी साढ़े तीन प्रतिशत  सालाना की दर से बढ़ रही है, जबकि विकसित देशों में यह दर एक प्रतिशत से भी कम है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक अगले 20 सालों में शहरों की आबादी जितनी बढ़ेगी, उसका 95 प्रतिशत बोझ विकासशील देशों पर ही पड़ेगा। यानी 2030 तक विकासशील देशों में दो अरब और लोग शहरों में रहने लगेंगे। शहरों पर ज्यों-ज्यों बोझ बढ़ रहा है, लोगों को मिलने वाली सुविधाएं घट रही हैं। बेहतर जिंदगी की चाह में लोग शहरों की ओर भागते हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें मुसीबतें ही मिलती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विकासशील देशों में 70 प्रतिशत से ज्यादा करीब 90 करोड़ आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है। वर्ष 2020 तक यह संख्या दो अरब हो जाने का अनुमान है। ऐसे में जहां उनके लिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ती हैं, वहीं पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर शहरों पर बढ़ रहे बोझ और प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले बड़े शहरों पर भविष्य में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा काफी बढ़ जाएगा। दुनिया के ऐसे 21 बड़े शहरों में से 75 फीसदी विकासशील देशों में ही हैं। कुछ आंकड़ों के मुताबिक 2015 तक ऐसे 33 में से 27 शहर विकासशील देशों में होंगे।
शहरों में विकास और बढ़ती जनसंख्या के चलते प्रदूषण भी खूब बढ़ रहा है। तेजी से विकास कर रहे चीन के खाते में दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 16 शहर हैं। प्रदूषण के चलते शहरों में हर साल करीब दस लाख लोग समय से पहले मर जाते हैं। इनमें ज्यादातर विकासशील देशों के ही होते हैं।
कल्ब सदस्य

गावं यदि इतने सक्षम होते कि सब को काम दिलवा सकते तो शायद आज यह स्तिथि ना आती निम्न कुछ उपाय जो किये जा सकते है शहरीकरण को रोकने के लिए,
1. कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए और इन के उत्पादों को प्रचारित किया जाए.
2. नयें शिक्षण संस्थान,मेडिकल कोलिज,व्यपारिक मंडियां ग्रामीण इलाको में स्थापित हों.
3. बिजली,पेयजल,शिक्षा,चिकत्सा,परिवहन और सड़कें आदि सेवाओं का गावं दर गावं विकास हो.
4. ग्राम निकायों का सुदृडीकरण किया जाए. 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)
    जनसत्ता मे 
 

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

विश्व धरा दिवस World Earth Day

 विश्व  धरा दिवस World Earth Day
 हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है|
पृथ्वी दिवस की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 से  की गयी पर्यावरण से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित यह दिन विश्व भर में मनाया जाता है | "पर्यावरण संकट" की बढती चिंता राष्ट्रों को प्रभावित कर रही है और विश्वस्तर पर इस चिंता के निवारण के विभिन्न उपाय किये जा रहें हैं |
हमारे सौरमंडल में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है और इस आबाद ग्रह पर सब से विकसित हम मनुष्य भी रहते हैं परन्तु मनुष्य ईंटों गारे से बनाए गए अपने मकान को अपना घर समझ बैठा है वास्तव में वो हमारा आश्रय स्थल तो हो सकता है परन्तु हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है आज मनुष्य पृथ्वी का अंधाधुंध दोहन कर रहा है,यह दोहन पृथ्वी के गर्भ  खनिजों के खनन से लेकर उसके शरीर से  वृक्ष रुपी गहने उतारने तक जाता है मनुष्य अपने क्रियाकलापों से उसकी साँसों में वायु प्रदूषण रूपी जहर घोल रहा है और जनसंख्या वृद्धि कर के उस की ममतामयी गोद में अनावश्यक बोझ बढ़ा रहा है |
समूह फोटो कल्ब सदस्य विश्व धरा दिवस के अवसर पर
समूह फोटो कल्ब सदस्य विश्व धरा दिवस के अवसर पर
वैसे तो हर दिन विश्व धरा दिवस होना चाहिए हम कोई एक दिन धरा  को समर्पित कर के अपने दायित्वों का समापन नहीं कर सकते हमें बहुत उचित कदम उठा कर धरती के कष्टों का निवारण करना होगा इसी में समस्त मानवता की भलाई है अब जानते है कि हम अपने जीवनशैली में थोड़ा सा ही बदलाव करके पृथ्वी पर जीवन को और बेहतर बना सकते है पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और पानी का सिमित उपयोग करना चाहिए और तीसरी बात हमें आवश्यकता पड़ने पर ही ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए | इन सब मुख्य बातों के अलावा पोलीथीन का कम से कम उपयोग,जल संरक्षण,फसलो पर कीटनाशकों का छिडकाव कम कर के कार्बनिक और जैविक पद्यति को अपनाना होगा नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम जीवनदायनी पृथ्वी को खो देंगे |विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि इमली इको कल्ब, रा. व. मा अलाहर में  हर वर्ष धरा दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करते है जागरूकता संचार के अंतर्गत रैली,इको मार्च,पेंटिंग,भाषण,वाद विवाद,निबन्ध लेखन प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं इन क्रियाकलापों से बालमन पर अपनी धरा पृथ्वी को बचाने और संरक्षित करने का जज्बा पैदा होता है|  विश्व धरा दिवस पर इको कल्ब अलाहर के बच्चे इको मार्च करते हुए गलियों में नारे लगाते हुऐ यह प्रचारित करते हैं कि हम सब थोड़ा थोड़ा योगदान दे कर अपनी पृथ्वी को बचा सकते हैं |  

विश्व धरा दिवस पर इमली इको कल्ब अलाहर के बच्चे इको मार्च करते हुए 
 

 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)