मंगलवार, 17 सितंबर 2013

विश्व ओजोन दिवस पर संगोष्ठी world ozone layer preservation day

विश्व ओजोन दिवस पर संगोष्ठी  world ozone layer preservation day
राजकीय उच्च विद्यालय  मंडेबरी(इमली इको क्लब राजकीय वरिष्ठ माध्य्मिल विद्यालय अलाहर के साथ सयुंक्त तत्वाधान में) मे विश्व ओजोन दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी में सम्बोधित करते विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि प्रत्येक वर्ष सोलह सितम्बर को विश्व भर में ओजोन दिवस मनाया जाता है। ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन की सुनिश्चितता के लिए अति महत्वपूर्ण है ओजोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले पच्चीस वर्षों से भी अधिक समय से इसे बचाने के लिए विश्व भर में जागरूकता अभियान चलाये जा रहें हैं। वैज्ञानिकों को सन् 1970 के दौरान ओजोन आवरण के पतले होने के प्रमाण मिले थे। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए सन् 1985 में संपूर्ण विश्व ने वियना में इस समस्या के निपटने के लिए प्रयत्न करने आरंभ किए। इस ऐतिहासिक पहल को वियना संधि के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद समूचे विश्व ने इस मुददे पर गंभीरता से प्रयास शुरू किया जिसके फलस्वरूप 1987 मॉन्ट्रियल संधि हुई। सन् 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन आवरण के संरक्षण के लिए हुई मॉन्ट्रियल संधि की स्मृति में सोलह सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। विश्व ओजोन दिवस को मनाने के पीछे यह उद्देश्य था कि विश्व समुदाय के जेहन में ओजोन की परत बचाने के लिए  जागरूकता जाती उत्पन्न की जाए और इस कार्य में उल्लेखनीय सफलताएं मिली भी हैं।
मौलिक मुख्याध्यापक प्रदीप सरीन ने बच्चो को सम्बोधित करते हुए कहा कि असल में ओजोन की परत को हानि पहुंचाने में मनुष्य की ओद्योगिक तरक्की और विलासता के साधन जिम्मेदार हैं। वे रसायन जो ओजोन परत को क्षति पहुंचाते है, उन्हें ओजोन क्षयक रसायन कहते हैं। इनमें क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स (सी एफ सी), मिथइल ब्रोमाइड आदि प्रमुख है । इनकी खोज सन् 1928 में हुई थी। क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स फ्लोरीन, क्लोरीन व कार्बन से मिलकर बनते है । सी एफ सी का उपयोग फ्रीज व एअर कंडीशनर में प्रशीतलक के रूप में होता है।
सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओजोन की मात्रा को कम करने में जिम्मेदार है।
क्या है ओजोन व ओजोन परत
ओजोन हल्के नीले रंग की सक्रिय वायुमंडलीय गैस है। यह समताप मंडल में प्राकृतिक रूप से बनती है। यह आक्सीजन का ही रूप है। एक ओजोन अणु में तीन आक्सीजन परमाणु होते है।जो कि पृथ्वी से 20-25  किमी की ऊँचाई पर सबसे अधिक है और लगभग 75 किमी की ऊचांई से ज्यादा पर यह न के बराबर हो जाता है। यह कवच दिन में सूर्य की तेंज पराबैगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है, और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है।
क्यों जरूरी है इसे बचाना 
ओजोन गैस रूपी यह कवच दिन में सूर्य की तेंज पराबैगनी विकिरणों से हमारी रक्षा करता है, और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है। यदि पृथ्वी पराबैगनी विकिरणों की चपेट मे आ जाए तो पृथ्वी पर जीवन खतरे मे पड़ जाएगा व मनुष्य समेत समस्त जीवों को त्वचा के कैंसर, ऑंखों का मोतियाबिंद अधिक होना, पाचन तंत्र में कमजोरी, पौधों की उपज घटना, समुद्रीय पारितंत्र में क्षति और मत्सय उत्पादन में कमी व अन्य खतरों से जूझना पड़ सकता है।
क्या है बचाव के उपाय 
ओजोन की परत को नष्ट होने से बचाने के लिए उद्योगो से कुछ हानिकारक रसायनों को बाहर करना होगा। चार प्रमुख रसायन क्लोरो फ्लोरों कार्बन, सीटीसी, हेलन्स और हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन को इस्तेमाल से बाहर करना होगा। वैश्विक प्रयासों से  विकासशील देशो को तकनीकी व वित्तीय मदद देकर उनकी इंडस्ट्री से इन क्षयकारी रसायनों को हटाकर वैकल्पिक अहानिकारक रसायनों के प्रयोग को बढ़ावा देने से वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक ओजोन परत सामान्य स्तर पर आ जाएगी। वैश्विक स्तर पर इस बारे सामूहिक प्रयास जारी हैं और आशानुरूप पृथ्वी पर जीवन को बचाने की सम्भावना हेतु आमजन के लिए जागरूकता संचार भी जारी  है।
अखबारों मे 



मंगलवार, 4 जून 2013

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day



विश्व पर्यावरण दिवस पर क्लब सदस्यों ने किया चिंतन मनन व पौधारोपण 
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर  पर सी वी रमन विज्ञान क्लब व टेमारिंड इको क्लब के सदस्यों द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे एक पर्यावरण संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे  विश्व पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक मनुष्य के योगदान विषय पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण के उन बिन्दुओं पर चर्चा की जिन को जीवन मे अपना कर हम पर्यावरण संरक्षण कर अपना कर्त्तव्य निभा सकते हैं। इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पौधारोपण  किया और सोच समझ कर भोजन करने व भोजन बचाने की शपथ भी ली। 
क्लब संरक्षक व विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने सदस्यों को विश्व पर्यावरण दिवस के बारे मे बताते हुए कहा कि हम घर मे ही अपने स्तर पर बहुत सी अच्छी आदते अपना कर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं। इन बिन्दुओं पर चर्चा के दौरान क्लब सदस्यों के ज्ञानकोष से बहुत से क्रियाकलाप निकल कर आये जन्हें जीवन मे अपना कर व अपनी दैनिक गतिविधियों मे सुधार करके हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने कर्त्तव्यों को आसानी से निभा सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण मे क्लब सदस्यों के सुझाव
सभी व्यक्ति हर वर्ष यादगार अवसरों जैसे जन्मदिन आदि पर  पौधारोपण करे।
प्रत्येक गांव शहर में हर स्कूल व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनायी जाये।
निजी वाहनों को धोने मे कम से कम पानी प्रयुक्त  किया जाए।
टेलीविजन आवश्यकता अनुसार चलायें व उसकी की आवाज़ धीमी रखें।
जल व्यर्थ न बहायें और नलो की लीकेज ठीक करवाए।
सोलर उपकरणों का प्रयोग करना शुरू करें।
फर्श धोने में कम पानी का प्रयोग करें।
अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें।
कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरणों  को स्टैंडबाई ना छोड़े। 
पॉलीथिन का उपयोग न करें ना ही उसे जलाएं।
कचरा कूड़ेदान में ही डाले व ठोस कचरा प्रबंधन अपनाये।
पशु पक्षियों को पानी पिलायें।
नहाने व बर्तन कपड़े धोने मे जल का उचित प्रयोग करें।
घर मे किचन गार्डन बनाए नहीं तो गमलों मे पौधे अवश्य लगाए।
 कबसे शुरू हुआ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना
विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्यावरण पर्व है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्वीडन के स्टाकहोम में दुनिया भर के देशों का प्रथम पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन मे विश्व के एक सौ उन्नीस देशों ने भाग लिया था यहीं पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मना कर नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से रूबरू कराने का निश्चय किया गया। पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए नागरिक व राजनीतिक चेतना की आवश्यकता को समझा गया।
 पर्यावरण के प्रदूषित होने के मुख्य करण
लगातार बढ़ रही आबादी, उद्योगीकरण, अनियंत्रित शहरीकरण, कृषी अवशेषों का जलाया जाना, वनस्पति इंधन, वाहनों कारखानों द्वारा छोड़ा जाने वाला धुंआ, नदियों तालाबों में गिरता हुआ दूषित जल, वनों का कटान, खेतों में कीटनाशकों उर्वरकों  का असंतुलित प्रयोग, पहाड़ों में भूस्खलन, मिट्टी का कटाव, पालीथिन को जलना आदि।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
उन्नीस नवम्बर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ जिसके अंतर्गत, पर्यावरण मे जल, वायु, भूमि से सम्बन्धित मनुष्य पोधे, सूक्ष्म जीव  अन्य जीवित पदार्थ आदि आते है। इस अधिनियम के पर्यावरण संरक्षण व गुणवत्ता हेतु सभी आवश्यक क़दम उठाना। पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निधर्रित करना। पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना व उनका क्रियान्वन। उद्योगिक स्थलों का चयन व उद्योगों की स्थापना के मापदंड निर्धारित करना। अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान आदि।
 ना बनाये महज एक रस्म अदायगी
ऐसा नहीं है कि आमजन पर्यावरण संरक्षण मे योगदान नहीं दे सकता परन्तु यदि कहा जाए तो यह पुनीत कार्य शुरू ही यहीं से होता है। मनुष्य अपने स्तर पर अपनी सूझबूझ से दैनिक क्रियाकलापो मे आमूलचूल परिवर्तन से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत कुछ कर सकता है। बस आवश्यकता है तो सुझबुझ की न की महज रस्म अदायगी की।   
  

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

चमत्कारों का पर्दाफाश जागरूकता पर कार्यक्रम explaining miracles

चमत्कारों का पर्दाफाश जागरूकता पर कार्यक्रम explaining miracles
 आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में अंधविश्वास निवारण एवं चमत्कारों का पर्दाफाश विषय पर विद्यार्थियों को जागरूक किया गया।
इस अवसर पर विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने विद्यार्थियों को बताया कि भूत-प्रेत, दुष्टात्मा, जादू-टोना, आदि सब भ्रामक बातें है जिन का प्रयोग करके कुछ तथाकथित लोग अपना उल्लू सीधा करते है। उन्होंने बताया कि विज्ञान की तरक्की के इस युग में इन आधारहीन बातों को मनवाने के लिए ठग रूपी सयाने आदि कहलाने वाले लोग कुछ तथाकथित चमत्कार दिखा कर भोले भाले लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं और फिर उनका सब प्रकार से शोषण करते है और सब कुछ लुटवाने के बाद जब पता चलता है कि वो तो ठगे गए हैं तो उन्हें बहुत पछतावा होता है।
विज्ञान शिक्षण का महत्वपूर्ण उद्देश्य यह होना चाहिए कि समाज को इन तथाकथित चमत्कारों से मुक्ति दिलवाई जाए। 

इसी कड़ी के अंतर्गत आज विद्यार्थियों को कुछ चमत्कार कहे जाने वाले विज्ञान प्रयोग करके दिखाए गए जिन में रासायनिक पदार्थों और हाथ की सफाई का इस्तेमाल करके लोगो को मूर्ख बनाया जाता है। सोडियम व पोटाशियम परमेगनेट आधारित आग उत्पन्न करने वाले प्रयोग, द्रवों का रंग बदलना, हल्दी व चूने की अभिक्रिया के प्रयोग करके दिखाए गए। चमत्कारों और जादू के पीछे छिपे वैज्ञानिक सिद्धांतों, रासायनिक अभिक्रियाओं और हाथ की सफाई का खुलासा किया गया ताकि लोग इन चमत्कारों से प्रभावित होकर ठगे ना जा सकें।
इस कड़ी में कपिल कुमार व अंशुल काम्बोज ने ने 'भूत नहीं होता' नामक लघु नाटिका का मंचन करके बालकों के मन से भूत-प्रेत अदि अंधविश्वासों का उन्मूलन किया।
इको क्लब और सी वी रमण विज्ञान क्लब की मासिक गतिविधियों के अंतर्गत यह महीना अंधविश्वास उन्मूलन को समर्पित किया गया है। अगले महीने खाद्य पद्धार्थों में मिलावट बारे जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।


अखबारों  में 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 30 जनवरी 2013

सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना में प्रथम School Beautification award


सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना में प्रथम  School Beautification award
बधाइयां बधाइयां .......
मुख्यमंत्री स्कूल सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर को जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों की सुन्दरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्कूल सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना चलाई गयी है जिस में विभिन्न बिंदुओं के तहत स्कूलों का निरीक्षण किया जाता है और फिर ब्लाक स्तर, जिला स्तर व राज्य स्तर पर सबसे सुंदर स्कूल को चुना जाता है। इस योजना के बहुत ही बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे है। सभी अध्यापक व विद्यालय प्रबंधन समितियां अपने स्कूल का नाम रोशन करने के लिए काफी रूचि दिखा रहे है। ब्लाक स्तर पर पचास हजार रूपये, जिला स्तर पर एक लाख रूपये व राज्य स्तर पर पांच लाख रुपयों का नगद पुरस्कार दिया जाता है।
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि मुख्य संसदीय सचिव श्री राम किशन गुर्जर ने अलाहर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगड़ा को डेढ़ लाख रुपयों का चैक, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गणतंत्र दिवस की परेड के अवसर पर दर्शन लाल बवेजा, संजय शर्मा, संजय गौतम, नित्यानंद अध्यापक भी तेजली स्टेडियम में उपस्थित रहे। विद्यालय व गाव अलाहर में इस पुरस्कार को प्राप्त करके सभी बहुत खुश हुए।
जिले भर में अलाहर का सरकारी स्कूल विज्ञान, सांस्कृतिक, समाज सेवा, इको क्लब गतिविधियों और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों में अपना परचम लहरा चुका है
प्रधानाचार्य ने बताया कि यह उनके स्कूली अध्यापकों व बच्चों की मेहनत का ही परिणाम है कि उनके स्कूल को सौंदर्यीकरण के मामले में प्रथम स्थान हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि सौंदर्यीकरण के मामले में अब प्रदेशभर में प्रथम स्थान पर रहने वाले स्कूल का चयन किया जायेगा उसके लिए उनके स्कूल की तरफ से तैयारियां शुरू कर दी है। पुरस्कार में प्राप्त इस धनराशि का प्रयोग स्कूल में सौंदर्यीकरण को बढ़ाने के लिए किया जायेगा।
गौरतलब है कि जिला के एडीसी डाक्टर श्री सतबीर सिंह सैनी के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने गत दिनों विद्यालय का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में उन्होंने विद्यालय को बेहतर पाया था।
ग्राम पंचायत के सरपंच श्री महिंदर सिंह ने इस अवसर पर कहा सरकार की इस योजना से अध्यापकों एवं बच्चों का स्वच्छता व सौन्दर्यीकरण के प्रति रुझान बढ़ेगा और स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में प्रतियोगिता की भावना जागृत होगी।
जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती जगजीत कौर, उप जिला शिक्षा अधिकारी श्री तेजपाल, खंडशिक्षा अधिकारी श्री रामेश्वर सैनी ने विद्यालय की इस उपलब्धी पर स्टाफ सदस्यों व विद्यार्थियों को बधाइयां दी हैं। इस अवसर पर संजय शर्मा, संजय गौतम, सुभाष चंद, रविंदर कुमार, मनोहर लाल, सुनील कुमार, दर्शन लाल, सुनीता, लवलीन, संदीप आदि अध्यापकों का सराहनीय योगदान रहा।

अखबारां  मा .....




शनिवार, 10 नवंबर 2012

प्रदूषण मुक्त दिवाली Pollution Free Diwali

प्रदूषण मुक्त दिवाली Pollution Free Diwali


आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने में लिए इमली इको क्लब के सदस्यों ने एक जागरूकता इको मार्च गावं अलाहर में निकाला। इस रैली को विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने रवाना किया।
प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा
इस इको मार्च में बच्चों को सम्बोधित करते हुए प्रधानाचार्य ने कहा कि दिवाली भारतीयों का बहुत हर्षोल्लास का त्यौहार है । इस त्यौहार में आतिशबाजी पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाती है पटाखों से निकला धुंआ और ध्वनि जीव जंतु व वनस्पति सब को प्रभावित करता है। 
मानव को जितना प्रदूषण से कष्ट होता है, उसकी अपेक्षा सौ गुना अधिक कष्ट कुत्ते, बिल्ली, पशु-पक्षी एवं सूक्ष्म जीव-जंतुओं को होता है।
दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक
इको क्लब इंचार्ज दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि पटाखों का कुछ पल का मज़ा वातावरण में ज़हर घोल देता है। इनमें मौजूद नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड जैसी  हानिकारक प्रदूषक गैसे दमा व ब्रान्काइटिस जैसी सांस से संबंधी बीमारियों को जन्म देते हैं। पटाखोंमें बडी मात्रा में विषैले घटक होते हैं । उसमें विद्यमान तांबा, कैडनियम, सीसा, मैग्नेशियम, जस्ता, सोडियम इत्यादि घटकों के कारण पटाखे जलाने पर उससे विषैली वायु उत्सर्जित होती है।  ध्वनि का स्तर दिन के समय 55 डेसिबल तथा रात्रि के समय 45 डेसिबल तक होना चाहिए । रात्रि दस बजे से प्रातः छः बजे तक पटाखे जलाना प्रतिबंधित है । मनुष्य व प्राणी 70  डेसिबल तक ध्वनि सह सकता है । इस लिए इस बार की दिवाली पर सब पटाखों को चलाने से बचें और पर्यावरण की रक्षा करें। पटाखों में विद्यमान धातु तथा रासायनिक पदार्थों के संयोग से निर्माण होने वाला प्रदूषण मानवीय स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। इसी प्रकार पटाखे जलाते समय लगने वाली चोट अथवा दुर्घटना बच्चों के लिए चिंताजनक है। कार्बन मोनोआक्साईड एवं नाइट्रोजन डाइआक्साईड जैसी विषैली गैसें आतिशबाजी के जलने से से निर्माण उत्पन्न होती  है, जो मानवीय जीवन के लिए अत्यंत घातक है। 
प्रवक्ता संजय शर्मा
प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि वास्तव में सिर दर्द, बहरापन तथा मानसिक अशांति इत्यादि व्याधियां उत्पन्न होती हैं। हृदयरोग, रक्तदाब, अस्थमा, क्रोनिक ब्राँकायटिस इत्यादि से पीडित लोगों के लिए यह अधिक घातक है । गर्भवती स्त्रियां, वृद्ध मनुष्य, छोटे बच्चों के लिए भी अधिक खतरे की संभावना होती है।  पटाखे जलाते समय सर्वसाधारण निरोगी व्यक्तियों को भी अपच, सर्दी-खांसी, मानसिक अशांति, सिर दर्द, धडकन बढना इत्यादि रोग होते हैं।  मानव को जितना प्रदूषण से कष्ट होता है, उसकी अपेक्षा सौ गुना अधिक कष्ट कुत्ते, बिल्ली, पशु-पक्षी एवं सूक्ष्म जीव-जंतुओं को होता है। दीपावली में पटाखे जलाने के प्रचलन के संदर्भ में हिंदु धर्म शास्त्र  में कोई भी आधार नहीं है। आनंद के क्षणों में पटाखे जलाने की प्रथा विदेशी है, परंतु अब पर्यावरण के लिए यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गई है।
श्री नित्यानन्द
श्री नित्यानन्द ने बताया कि हिंदू देवता एवं राष्ट्रपुरुषों के चित्र अथवा उनके नाम वाले पटाखोंका उत्पादन बडी मात्रा में किया जाता है। दीपावली तथा अन्य उत्सवों के अवसर पर पटाखे जलाने से देवता एवं राष्ट्रपुरुषों के चित्रों का अनादर होता है और हमें इस पाप से बचना चाहिए। 
जागरूकता रैली
इस अवसर पर संजीव कुमार, दर्शन लाल गगन ज्योति, सोनिया शर्मा, नित्यानन्द, संजय गौतम, जसविंदर कौर अध्यापकों का योगदान सराहनीय रहा। 


पंजाब  केसरी अखबार में ........

दैनिक  जागरण अखबार में ........ 


प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 15 अक्टूबर 2012

विश्व खाद्य दिवस World Food Day oct 16, 2012

विश्व खाद्य दिवस World Food Day oct 16, 2012  
प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा
आज रा.व.मा.वि. अलाहर में विश्व खाद्य दिवस 2012  के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिस में इको क्लब के सदस्यों को विश्व खाद्य दिवस के बारे में बताया गया। प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने बताया कि यह दिन पूरे विश्व में इस लिए मनाया जाता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया में भूख के खिलाफ लड़ाई में किए गए प्रयासों को जाना जा सके। गत वर्ष  संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की पहल पर दुनिया भर में विश्व खाद्य दिवस के मौके पर ‘बढ़ती खाद्य कीमतों’ को मुख्य विषय बनाया गया था, और इस वर्ष का थीम ‘खाद्य कीमते - संकट से स्थिरता के लिए’ चुना गया है। खाद्य पदार्थो की बढ़ती वैश्विक कीमतों से जूझ रहें दुनिया के अधिकतर देश आज चिंता ग्रसित हैं।
दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक
दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया  कि दुनिया के देशों में नित  नए नए हथियारों को प्राप्त करने की होड़ चल रही है और इस पर अरबों-खरबों  रुपए खर्च हो रहे हैं तो दूसरी ओर आज भी 85.5 करोड  लोग पुरुष, महिलाएं और बच्चे हैं जो भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भरपूर खाद्यान्न भंडार है जो सभी का पेट भरने के लिए पर्याप्त है लेकिन इसके बावजूद आज 85.50 से अधिक ऐसे लोग हैं जो दीर्घकालिक भुखमरी और कुपोषण या अल्प पोषण की समस्या से जूझ रहे हैं। हमारे देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर आबादी खाद्य पदार्थो के अनियमित बटंवारे से जूझ रही है। एक अरब से भी अधिक वैश्विक आबादी दैनिक आधार पर भूखी है और चौकाने की हद तक आबादी कुपोषण का शिकार है।

लोगो WFD
इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस आयोजन के निम्न लक्ष्य व उद्देश्य निर्धारित किये गये हैं। 
कृषि खाद्य उत्पादन बढाने के लिए राष्ट्रीय
, द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और गैर - सरकारी प्रयासों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना;
विकासशील देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना;
खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहन सहन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण फैसलों और गतिविधियों में महिलाओं और निम्न विशेषाधिकार प्राप्त श्रेणियों की प्रतिभागिता बढ़ाने को प्रोत्साहन देना;
दुनिया भर में भूख की समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना;
विकासशील देशों को प्रौद्योगिकियों  के हस्तांतरण को बढ़ावा देना;
भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना, खाद्य और कृषि विकास के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए ध्यान आकर्षित करना।
अध्यापक मनोहर लाल
इस गोष्ठी में समाजसेवी, अध्यापक, प्राध्यापकों ने अपने विचार सांझा किये अध्यापक मनोहर लाल  ने बच्चों को बताया गया कि एक ओर हमारे और आपके घर में रोज सुबह रात का बचा हुआ खाना बासी समझकर फेंक दिया जाता है तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें एक वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता और वह भूख से मर रहे हैं इसलिए वो अपनी थाली में उतना ही भोजन लें जितना वो खा सकते हैं जूठन के रूप में भोजन बर्बाद ना करने की शपथ दिलवाई गयी। 
प्रवक्ता संदीप कुमार
इतिहास प्रवक्ता संदीप कुमार ने कहा की आर्थिक मंदी की मार के कारण पूरी दुनिया त्रसित है जिस कारण महंगाई बेकाबू हो रही है जमाखोरी और ज्यादा मांग कीमतों को टिकने नहीं दे रही हैं इसीलिए यह मुद्दा वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता और बहस का विषय बन गया है। सत्तर के दशक से सन 2000 तक अनाज की कीमते इतनी तेज़ी से नहीं बढ़ी जितनी कि गत 5-6 वर्षों में बढ़ी हैं इस कारण रोटी तक भी गरीब की पहुँच मुश्किल होती जा रही है।
इको क्लब सदस्य
अमर उजाला अखबार में..........
दैनिक जागरण अखबार में ......

इस अवसर पर सभी स्टाफ सदस्य और इको क्लब सदस्य मौजूद थे।

प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)