शुक्रवार, 1 मई 2015

विश्व धरा दिवस World Earth Day Celebrations

उत्साह से मनाया गया विश्व धरा दिवस और हुए विभिन्न कार्यक्रम
ईंट गारे से बना मकान तो बस हमारा आश्रय है परन्तु हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे टेमारिंड इको क्लब द्वारा विश्व धरा दिवस धूमधाम से मनाया गया, जिसके जिसके अंतर्गत बहुत सी गतिविधियां करवाई गयी।  विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र धींगड़ा ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी दिवस की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 (बाईस अप्रैल उन्नीस सौ सत्तर) से की गयी थी।  पर्यावरण से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित यह दिन विश्व भर में मनाया जाता है। पर्यावरण संकट की बढती चिंता राष्ट्रों को प्रभावित कर रही है और विश्वस्तर पर इस चिंता के निवारण के विभिन्न उपाय भी किये जा रहें हैं।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने कहा कि हमारे सौरमंडल में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है और इस आबाद ग्रह पर सब से विकसित हम मनुष्य भी रहते हैं परन्तु मनुष्य ईंटों गारे से बनाए गए अपने मकान को अपना घर समझ बैठा है वास्तव में वो हमारा आश्रय तो हो सकता है परन्तु हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है आज मनुष्य पृथ्वी का अंधाधुंध दोहन कर रहा है, यह दोहन पृथ्वी के गर्भ  खनिजों के खनन से लेकर उसके शरीर से  वृक्ष रुपी गहने उतारने तक जाता है। मनुष्य अपने क्रियाकलापों से उसकी साँसों में वायु प्रदूषण रूपी जहर घोल रहा है और जनसंख्या वृद्धि कर के उस की ममतामयी गोद में अनावश्यक बोझ बढ़ा रहा है।
राजनिती शास्त्र के प्रवक्ता रविन्द्र कुमार सैनी ने कहा कि वैसे तो हर दिन विश्व धरा दिवस होना चाहिए हम कोई एक दिन धरा को समर्पित कर के अपने दायित्वों का समापन नहीं कर सकते हमें बहुत उचित कदम उठा कर धरती के कष्टों का निवारण करना होगा इसी में समस्त मानवता की भलाई है। एस एस मास्टर सुनील कुमार ने  ने कहा कि हम अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा ही बदलाव करके पृथ्वी पर जीवन को और बेहतर बना सकते है। पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और पानी का सिमित उपयोग करना चाहिए और तीसरी बात हमें आवश्यकता पड़ने पर ही ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। 
इन सब मुख्य बातों के अलावा पोलीथीन का कम से कम उपयोग, जल संरक्षण, फसलो पर कीटनाशकों का छिडकाव कम कर के कार्बनिक और जैविक विधि को अपनाना होगा नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम जीवनदायनी पृथ्वी को खो देंगे।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि इस अवसर पर पेंटिंग प्रतियोगिता, नारा लेखन प्रतियोगिता आयोजित करवाई गयी और नाटक का मंचन भी किया। इस अवसर पर जसविंदर कौर, लवलीन, सुनीता, भगवती शर्मा, रीना, मीना, पवन, पवन सचदेवा, सुनील, परदीप, संदीप कुमार, धर्मेन्द्र, रणजीत, संजीव अध्यापको ने सहयोग किया। 
द्वारा दर्शन लाल बवेजा विज्ञान अध्यापक  
अखबारों में खबर की कतरने 



  

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