गुरुवार, 24 मार्च 2011

विश्व जल दिवस मनाया गया World Water Day

विश्व जल दिवस मनाया गया World Water Day
आज राजकीय व.मा.विद्यालय अलाहर में इमली इको क्लब के सदस्यों द्वारा विश्व जल दिवस मनाया गया,इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया| विश्व जल दिवस के बारे में बताते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि प्रत्यक वर्ष 22 मार्च का दिन जल को बचाने के संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाता है, जल जीवन की एक बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है, छोटे से लेकर बड़े बड़े कार्यों में जल नितांत आवश्यक है, हमारे इलाके में जल की कोई कमी नहीं है परन्तु यदि उचित जल प्रबन्धन ना किया गया तो वह समय दूर नहीं है जब हमे भी भयंकर जल संकट से रूबरू होना पडेगा  हमारे पास जल के उचित प्रबंधन का ज्ञान नहीं है जिस कारण हम जल को व्यर्थ करते है कुछ ऐसी जानकारियाँ दी गयी जिन कार्यों को हम अनजाने में कर रहे है और कीमती जल को बर्बाद कर रहे है|
अपने वाहनों बाईक,कार आदि को धोने में कितना ही शुद्ध जल बर्बाद कर रहें है,पानी संग्रहण टैंक के ओवरफ्लो से पानी की बर्बादी हो रही है,नलों व पाईप लाईनों की लीकेज से पानी की बर्बादी हो रही है |
स्कूल में बच्चों द्वारा ओक(चुल्लू) से पानी पीने से दोगुना जल लगता है और हाथ अच्छी तरह से धुले हुए ना होने के कारण बीमारियों का खतरा अलग से रहता है पानी गिलास से ही पीया जाए|
टूथ ब्रश ओए शेव करते वक्त नल खुला रखने से पानी की बर्बादी हो रही है,नहाने के लिए शावर और बाथ टब के प्रयोग से पानी की बर्बादी हो रही है,धान की साठी फसल लेने के लिए किसान बेइंतहा जल प्रयोग करते है यहाँ जल स्तर नीचे जाने का यह एक मुख्य कारण है |
अध्यापक सुनील कुमार ने बताया कि हमारी पृथ्वी पर एक अरब चालीस घन किलो लीटर पानी है. इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो कि खारा(नमकीन)  है, शेष 1.5  प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुवीय प्रदेशों में है। इसमें से बचा 1 % पानी नदी, सरोवर,तलाबो, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में प्रयुक्त होता है। शेष का 40वाँ हिस्सा हम नहाने, कपड़े धोने,पीने, भोजन बनाने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं।
अध्यापक मनोहर लाल जी ने एक रोचक जानकारी देते हुए बताया कि एक  लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है शहरी इलाको में दूध के तबेले यानी डेयरी वाले पशुओ के मल-मूत्र को भी पानी से ही बहाते है जिस कारण वहां एक लीटर दूध के पीछे खर्च जल का अनुपात और भी  बढ़ जाता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। जल के उचित प्रबंधन के अंतर्गत पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
अध्यापिका गगनज्योति ने बताया कि  इज़राइल देश में औसत प्रतिवर्ष 10 सेंमी वर्षा होती है, इतनी ही वर्षा के जल के प्रबंधन से वहां के किसान  इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात भी कर लेता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है। भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन 4 मील पैदल चलती है।
आज इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों शिल्पा,दिव्या,सोनम,रवि,नेहा,दिलबाग,रुबिता,शिवकुमार,मंजुल,मोहित,अंजली दत्त,सोनिया,शुभम को प्रधानाचार्य साहिब सिंह जी ने पुनः पुरस्कार दे कर सम्मानित किया |
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इसी कड़ी में आज 23-03-2011 को  ग्रामीणों को बुला कर सोख्ता गड्डा बनाने बारे प्रेरित किया गया | सभी ने बहुत ध्यान से सोख्ता गड्डा बनाने की विधि को समझा और अपने घर-आंगन में इस को बनाने का निर्णय लिया इस अवसर पर प्राध्यापक संजय शर्मा ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि जो भी इसको अपने घर-आंगन में बनाएगा उस को कोई भी समस्या आने पर सारा तकनीकी ज्ञान मौके पर कल्ब प्रभारी द्वारा प्रदान किया जाएगा |
इस अवसर पर विद्यालय के सभी अध्यापको/प्राध्यापकों सुनील कम्बोज,मुकेश रोहिल,संजय शर्मा,सुभाष काम्बोज,रविन्द्र सैनी,मनोहर लाल,संदीप जी का योगदान सराहनीय रहा |
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 23 मार्च 2011

विश्व वानिकी दिवस मनाया गया World Forestry Day

विश्व वानिकी दिवस मनाया गया World Forestry Day
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आज राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय अलाहर में विश्व वानिकी दिवस मनाया  गया इस उपलक्ष्य में  इको मार्च और गोष्टी का आयोजन किया गया, इमली इको क्लब के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि दुनिया भर में विश्व वानिकी दिवस प्रति वर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है । सन् 1872 में अमेरिका के नेबरास्का में इसकी शुरूआत हुई, इस दिवस को मनाये जाने का सारा श्रेय जे-र्स्टीलंग मार्टिन को जाता है| इन्होने नेबरास्का में बड़ी संख्या में पौधे लगाए थे । इसके बाद इन्होंने अन्य निवासियों को फल-फूल, छायादार,पर्यावरण सरक्षंण और खुबसूरती हेतु पौधे लगाने की सलाह दी । उन्होंने सरकार को पौधे लगाने के लिए एक अलग विशेष दिन रखने के लिए राज़ी कर लिया । इस प्रकार तब से इस दिन विश्व वानिकी दिवस की शुरूआत हुई । प्रथम वानिकी दिवस पर एक लाख से ज्यादा पौधे लगाये गए, धीरे-धीरे पुरी दुनिया में यह दिवस एक महापर्व के रूप में मनाया जाने लगा ।
tec_wfd_21-03-11-1 इस अवसर पर एक इको मार्च किया गया इस रैली का संचालन सुनील कुमार और मनोहर लाल अध्यापको ने किया,क्लब सदस्यों ने पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ के नारे लगा कर इस दिवस बारे जागरूकता संचार किया, इस अवसर पर एक गोष्टी भी की गयी जिस में अध्यापको ने क्लब सदस्यों को विश्व वानिकी दिवस और वनों के लाभों के बारे में बताया कि वनों से हमे आक्सीजन गैस मिलती है,वन वर्षा करवाने में सहायक हैं,वन भूमि कटाव रोकते है, वन,वन्य जीवों का आश्रय हैं,वन प्रदूषण दूर करते हैं और वनों से लकड़ी की प्राप्ती तो वनों का बहुत ही गौण लाभ है परन्तु मानव इस को ही सबसे बड़ा लाभ मान कर अंधाधुन्द वनों की कटाई कर रहा है जो कि धरती के लिए घातक है tec_wfd_21-03-11-4 उन्होंने बताया कि एक अनुमान है कि प्रति वर्ष १५ लाख हेक्टेयर वन कटते है । भारत की राष्ट्रीय वन नीति में कहा गया था कि देश एक-तिहाई हिस्से को हरा भरा वनों युक्त रखेंगे,लेकिन पिछले वर्षों में भू-उपग्रह के  चित्रों से पता चलता है कि है कि देश में 33 प्रतिशत के बजाय 13 प्रतिशत ही वन क्षेत्र रह गया है। क्लब प्रभारी एवं क्लब ग्रुप लीडर दिलबाग सिंह ने सभी क्लब सदस्यों के साथ विचार विमर्श कर के यह निर्णय लिया कि इस वर्ष जुलाई अगस्त में विद्यालय के खेल के मैदान में उचित जगहों पर फल-फूल ,छाया दार एवं औषधीय पेड़ पौधे लगाएं जाएँगे
इस अवसर पर सभी सदस्यों व अध्यापकों संजय शर्मा,मुकेश रोहिल,संदीप कुमार,रविंदर कुमार का योगदान सराहनीय था |
अखबार में 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 14 मार्च 2011

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया National Science Day 28 Feb

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया  National Science Day 28 Feb 
     आज 28 फरवरी को रा.व.मा.विद्यालय अलाहर,खंड रादौर जिला यमुना नगर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस  मनाया गया | जिला शिक्षा अधिकारी,हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक,हरियाणा स्टेट कौंसिल फार साईंस एंड टैक्नोलोजी चंडीगढ़ के दिशा निर्देशों के अंतर्गत इस  अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और एक विज्ञानं पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गयी | विद्यालय के विभिन्न छात्र/छात्राओं को जिन्होंने विभिन्न राज्य , राष्ट्रीय स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिताओं में भाग लिया उन को सम्मानित किया गया | 
इस अवसर पर बोलते हुए विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि विज्ञान से होने वाले लाभो के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी सन् 1928 को सर सी वी रमन ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
रमण प्रभाव के बारे में बोलते हुवे प्रधानाचार्य साहिब सिंह ने बताया कि “जब अणु प्रकाश को बिखरते हैं तो उस समय मूल प्रकाश में परिवर्तन हो जाता है नवीन किरणों की उपस्तिथि से हम यह परिवर्तन देख सकते है इस परिक्षिप्त प्रकाश में जो किरणे दिखाई पड़ी वही किरणे ‘रमण किरणे’ कहलाई” मात्र २०० रुपयों के उपकरणों पर की गयी महान खोज 28 फरवरी 1928 को देश के लिए यादगार दिन बन गया |
आज इस अवसर पर विज्ञान की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों शिल्पा,दिव्या,सोनम,रवि,नेहा,दिलबाग,रुबिता,शिवकुमार,मंजुल,मोहित,अंजलीदत्त,सोनिया,शुभम 
को प्रधानाचार्य साहिब सिंह जी ने पुरस्कार दे कर सम्मानित किया  |
इस अवसर पर विद्यालय के सभी अध्यापको/प्राध्यापकों सुनील कम्बोज,मुकेश रोहिल,संजय शर्मा,सुभाष काम्बोज,रविन्द्र सैनी,मनोहर लाल,संदीप जी का योगदान सराहनीय रहा |
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

विश्व नमभूमि दिवस पर तालाब का भ्रमण World Wetland Day

                       विश्व नमभूमि दिवस पर तालाब का भ्रमण
                                      World Wetland Day
                                          02 फरवरी 2011
आजविश्व नमभूमि दिवस पर क्लब सदस्यों ने नजदीकी तालाब का भ्रमण करके नम भूमि के बारे में जाना और नम भूमि की वनस्पति और जलीय जीवन के बारे में भीजाना |
विद्यालय से कुछ ही दूरी पर इस तालाब को स्थानीय लोग गंगा सागर कह देते है  यह तालाब काफी बड़ा है और काफी पुराना है परन्तु आज इस की दशा सोचनीय बनी हुई है |
गावों में आज से २० - ३० साल पहले तालाबो का बहुत महत्व होता है तालाब जल के महत्वपूर्ण स्रोत हुआ करते थे पशुपालन बहुत होता था कई घरों के पास तो १००-१०० पशु हुआ करते थे दुधारू पशुओं के अलावा बैल बोझा ढोने वाले पशु भेड़-बकरी,घोड़े आदि भी हुआ करते थे
इन सब को पानी पिलाने , नहलाने के लिए तालाबों पर ही लाया जाता तब तालाब को साफ़ सुथरे रखने की सामूहिक जिम्मेवारी बनती थी नए तालाब खोदना पुराने तालाबों से गाद निकाल कर गहरा करना आदि कार्य सब ग्रामीण मिल जुल कर किया करते थे
पुराने समय में हरियाणा के गावों में एक पुराना भाईचारे व सामूहिकता का रिवाज रहा है कि जब भी तालाब (जोहड़) कि खुदाई का काम होता तो पूरा गाँव मिलकर इसको करता था रिवाज यह रहा है कि गाँव के हर एक  घर से एक आदमी तालाब कि खुदाई के लिए आता है  पहले हरियाणा के गावों क़ी जीविकापार्जन पशुओं पर  ज्यादा निर्भर थी, गाँव के कुछ घरों के पास १०० से अधिक पशु होते थे | इन पशुओं का जीवन गाँव के तालाब के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा होता था | गाँव क़ी बड़ी आबादी के पास न ज़मीन होती थी न पशु होते थे प्रत्येक घर एक आदमी खुदाई के लिए भेजता था और बिना ज़मीन व पशु वाला भी एक आदमी भेजता था| यह सामूहिक कारसेवक तालाब खोदा और गहरा किया करते थे परन्तु समय के साथ साथ ना तो उतने पशु ही रहे और ना ही तालाबो की अन्य आवश्यकता ही| 
आज जब क्लब सदस्य नम भूमि भ्रमण के लिए तालाब पर गए तो वहां किनारे पर बड़ी संख्या में मछलियाँ और सांप मरे हुए देखे, इतने ज्यादा सख्यां में इनकी मृत्यु का कारण बच्चो,क्लब सदस्यों की समझ में नहीं आ रहा था तब उन्होंने वहां जाल ठीक कर रहे एक मछुवारे से पूछा तो उसने अपने ज्ञान/अनुभव के अनुसार जवाब दिया की पानी में गैस बन गयी है जिस कारण ये मछलियाँ,सांप और अन्य जीव कछुवे आदि मर रहे है|
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मछुवारे से बातचीत करते क्लब सदस्य
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क्लब सदस्यों ने यह जाना की मछलियों के मरने का क्या कारण है
तालाब बहुत प्रदूषित है
तालाबों का अतिक्रमण कर भूमि का रूप दे दिया जा रहा है।
यहाँ वहां कचरा,पोलिथिन,पशु अपशिष्ट,जूते चप्पल और पानी में कालापन देख कर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह तालाब प्रदूषण से ग्रसित है
तालाब में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा न्यूनतम से भी कम हो गयी है|ऐसा जलीय संदूषण के कारण हुआ है
कैसे होता है संदूषण
जलराशियों में कार्बनिक पदार्थ व खनिज लवण बढ़ जाने पर संदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है। पोषक तत्वों की अधिकता जलीय पौधों को अत्याधिक पोषण व अनुकूल दिशा देता है जिस पूरी जलराशि ही जलीय पौधों व प्लवक से ढंक जाती है। जलराशि में बाहरी स्रोतों से वर्षा जल द्वारा (एन आफ प्रोसेस) निरंतर आते रहते हैं और पौधे अविरल वृद्धि करते रहते हैं। इसी घटनाक्रम के दौरान जलीय पौधों व प्लवक के मृत भाग टूटकर तली पर बैठ जाते हैं जो पुन: जल में पोषक तत्वों की वृद्धि करते हैं। और तलछट के तल को भी लगातार बढ़ाते रहते हैं। तलछट में अपनी जड़े जमाकर रखने वाले पौधे इन तत्वों को पुन: प्राप्त करते हैं। इस तरह पोषक तत्वों की निरंतर वृद्धि से जलराशि अत्यधिक संदूषित हो जाती है।
एल्गी,जलीय खरपतवार सूर्य के प्रकाश की बाधक है जिस कारण जल में आक्सीजन का स्तर कम हो गया है |
घरों व नालियों से आने वाले वेस्ट वाटर में अकार्बनिक अशुद्धियाँ(डिटर्जेन्ट,शैम्पू और साबुन) भी तालाब को अशुद्ध कर रहे है|
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प्राध्यापक रविंदर जी ने क्लब सदस्यों को विस्तार से नम भूमि के बारे में समझाया और नम स्थलों पर उगने वाली वनस्पतियों व वहां रहने वाले जीव जंतुओं के बारे में बताया |




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क्लब सदस्यों ने तालाब के किनारे पर एक खोह 
देखी जो किसी जंगली कुत्ते की थी जो इस में घात लगा कर रात को अपना शिकार जैसे खरगोश,छछुंदर,कछुआ आदि पकड़ते है|
इस प्रकार क्लब सदस्यों ने नम भूमि भ्रमण करके अपना ज्ञानवर्धन किया और प्रदूषण  का जलीय जीवों पर प्रभाव का अध्ययन किया
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर,जिला यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 10 जनवरी 2011

सोख्ता गडढा काम कर रहा है Soakage pit follow up

सोख्ता गडढा काम कर रहा है    Soakage pit  follow up


क्लब सदस्यों द्वारा हर रोज यह जांचा जाता है की क्या उन के द्वारा बनाया गया सोख्ता गडढा काम कर रहा है या नहीं
बनाने  के ठीक 5 दिन के बाद यह लगातार वेस्ट जल को सोख रहा है एक भी बूंद पानी नहीं बेकार गया है और ना ही एक ही कीचड बन के जमा हुआ है यह सोख्ता गडढा  लगातार प्रतिदिन लगभग 200 लीटर बेकार पानी को 5-6 सालों तक सोख्ता रहेगा और जब यह चोक हो जाएगा तब इस् की मुरम्मत कर दी जाएगी इस  काम के लिए गड्ढे से सारा मटीरियल बाहर निकाल कर पानी से धो कर धुप में सुखा कर फिर से भर देंगे | 
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 5 जनवरी 2011

सोख्ता गडढा बनाया गया Soakage pit for proper disposal of waste water

                     सोख्ता गडढा  बनाया गया
                          Soakage pit for proper disposal of waste water
                               (जनवरी 2011 की क्लब गतिविधि)     
हैंडपम्प,पानी पीने की जगह पर शुद्ध जल की एक बड़ी मात्रा बेकार जाती है जो की नाली में बह  जाती है या फिर वहीँ आस पास एकत्र हो कर कीचड बनाती है इन स्रोतों के पास जल एकत्र होता रहता है जो मच्छरों को खुला निमंत्रण देता है जिस कारण बीमारियाँ फैलती है
क्लब सदस्यों ने विद्यालय में ये ही समस्या देखी और फैसला लिया के जल पीने के स्थान पर एक सोख्ता गड्ढा बनाया जाएगा |
आओ जाने सोख्ता गड्ढा  क्या होता है ?
1mx1mx1m का एक गड्ढा जो की बेकार हुए शुद्ध जल को पुनः भूमि के भीतर पहुंचाने का कार्य करता है
इस को घरों में भी बनाया जा सकता है|
यह सोख्ता गड्ढा हैण्डपम्पो के पास बनाया जाए तो बहुत लाभ होता है |
बनाने की विधि:-निम्न बिंदुओं के अनुरूप कार्य कर के हम इसको बना सकते है|
1.सोख्ता गडढा वहीँ बनायें जहाँ पानी वेस्ट होता हो |
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2. सोख्ता गडढा  की लम्बाई,चोड़ाई और गहराई =1मीx1मीx1मी  
3.इस् गड्ढे के बीचो बीच 6इंच व्यास  का 15 फीट का बोर करें(उपर के दो चित्र)
soakage_pit-3 IMG_3592 soakage_pit-5
4.अब इस् बोर में पिल्ली ईंटों (नरम ईंटों) की रोड़ी भरें|
5.अब नीचे 1/4 भाग में 5इंचx6इंच साईज़ के ईंटों के टुकड़े,फिर1/4 भाग में 4इंचx5इंच साईज़ के ईंटों के टुकड़े भर देते है| (उपर के तीन चित्र)
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6.शेष 1/4 भाग में बजरी (2इंचx2इंच साईज़) भर देते है|
7.अब 6 इंच की एक परत मोटे रेत की बना देते है|(उपर के दो चित्र)
8.एक मिट्टी का घड़ा या पलास्टिक का डिब्बा लेकर उस में सुराख कर देते है फिट उस में नारियल की जटाएं या सुतली जूट भर देते है यह इसलिए कि पानी के साथ आने वाला ठोस गंद उपर ही रह जाएगा और कभी कभी सफाई करने के लिए भी सुविधा हो जाएगी
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9.अब निकास नाली को इस घड़े या डिब्बे के साथ जोड़ देते है वेस्ट पानी इस में सबसे पहले आएगा|   
10.खाली बोरी से गड्ढे को ढक देते है|
11.बोरी के उपर मिट्टी डाल कर गड्ढे को ईंटों से बंद कर देते है|
12.अब तैयार हो गया सोख्ता गड्ढा(उपर के तीन चित्र)
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अब यह गड्ढा प्रतिदिन लगभग 200 लीटर बेकार पानी को 5-6 सालों तक सोख्ता रहेगा|कक्षा दशम के छात्र दिलबाग सिंह ,योगेश ,अक्षय ,गुरदीप व साथीयों ने बनाया |
soakage_pit-14   नोट : गड्ढे की गहराई एक मीटर से कम ना हो क्यूँकी 0.9 मीटर तक जमीन में एरोबिक जीवाणु aerobic bacteria होते है ये जीवाणु वेस्ट पानी के कार्बनिक पदार्थों का विघटन करते है और पानी को स्वच्छ करते है |
गड्ढे की लम्बाई चोड़ाई बडाई जा सकती है पर गहरी 1मी. से अधिक ना हो क्यूँकी एरोबिक जीवाणु 0.9 मी.से नीचे वायु के आभाव में जीवित नहीं रहते और तब जीवाणु द्वारा होने वाली प्रक्रिया नहीं हो पाती और गन्दा जल ही जमीन में चला जाएगा|
 

प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 3 जनवरी 2011

ईको क्लब्स का राज्यस्तरीय कैम्प State Level Camp Of Eco Clubs

                         इको  क्लब्स का राज्यस्तरीय कैम्प
                          State Level Camp Of Eco Clubs
                                         (18-19 दिसंबर 2010)
इस  बार NGC (National Green Corps) का राज्य स्तरीय कैम्प यमुनानगर में लगा |
यमुनानगर के टैगोर पब्लिक स्कूल में यह कैम्प शुरू हुआ जिस के अंतर्गत कईं कार्यक्रम संचालित किये गए |
कार्यक्रम का उदघाटन जिला उपायुक्त श्री अशोक सांगवान ने किया |
उन्होंने बच्चों को बताया की पर्यावरण की रक्षा करना सबका मुख्य कार्य होना चाहिये  हम अपने दैनिक जीवन में कुछ नियम बना कर भी यह कार्य सुचारू रूप से कर सकते है | 
इस उदघाटन समारोह को डा. शुभ किरण शर्मा ,वैज्ञानिक ,पर्यावरण विभाग जी ने भी संबोधित किया ,डा. आर.के.चौहान जी ने भी अपना लेक्चर डिलीवर किया |   विभाग के ही अजेश जी ,जगदीश जी का सहयोग सराहनीय था |

Eco Clubs urged to spread green awareness

Chandigarh, Dec 21 : Members of Eco Clubs set up in Haryana have been urged to play a vital role in creating awareness about clean environment and plant more trees.
Stating this here today, a spokesman for theenvironment department  Haryana said a two-day camp of eco clubs concluded successfully at Yamuna Nagar with a resolve by the participants to keep environment clean and motivate others to join the drive.
Yamuna Nagar Deputy Commissioner Ashok Sangwan, who inaugurated the camp, lauded the efforts being made by the Environment Department to create awareness among the children. He stressed the need for complete ban on use of polythene and stressed afforestation to keep the environment clean.
Dr Shubh Kiran Sharma, Scientist, Environment Department, said there were 500 Eco clubs established throughout the state to create awareness with regards to environment.
The clubs were working in schools and children were being educated about the importance of environment.
--UNI 
कार्यक्रम  के तहत राज्य भर से आये इको क्लब सदस्यों व अध्यापक इंचार्ज व जिला मास्टर ट्रेनर्स को स्थानीय श्री गोपाल बळलारपुर लिमिटिड पेपर मिल दिखाई गयी वहां के एंजीनियर साहेबान ने सब को पेपर मिल की कार्यप्रणाली को विस्तार से दिखाया व समझाया 
  इसके  बाद सभी इको क्लब सदस्य वापस आ गए और स्थानीय बाजारों का भ्रमण किया
 सब इको क्लब सदस्यों को अब ले जाया गया ताऊ देवी लाल हर्बल गार्डन दिखाने के लिए यहाँ से 40 किलोमीटर दूर शिवालिक पर्वतों के तराई इलाके में 


यहाँ सब ने सैकड़ों जड़ीबूटी के पौधे देखे और डा. ऐ.पी.जे.अब्दुल कलाम जी के हाथों से लगाया गया रुद्राक्ष का पौधा भी देखा जो अब एक बड़ा पेड़ बन चुका है इसके  बाद सभी इको क्लब सदस्यों को यहाँ से 14 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश हरियाणा के बार्डर पर स्थित  कालेश्वर महादेव मठ में ले जाया गया जहां मठ में क्लब सदस्यों ने पेंटिंग प्रतियोगिता और क्विज प्रतियोगिता में भाग किया यहाँ पर बच्चों को रिफ्रेशमेंट भी दी गयी |
यहाँ बच्चों ने यहाँ की प्रसिद्ध लोहे की गदा को वैज्ञानिक तरीके से उठा कर देखा  और अभ्यास किया|   
कालेश्वर मठ में एक मशहूर त्रिवेणी पेड़ लगा है|



और अब सभी क्लब सदस्यों को कलेसर नेशनल पार्क ले जाया गया यह बच्चों के लिए अविस्मरणीय पल थे
हालंकि बच्चे कोई जीव जंतु तो नहीं देख सके परन्तु फिर भी असीम जैव विविधता वनस्पतियां देखने लायक थी 
कलेसर नेशनल पार्क में हाथी ,बाघ ,तेंदुआ ,नील गायें ,साम्भर ,हिरन ,जंगली सूअर ,विभिन्न पक्षी ,रोझ-माहे आदि जीव जंतु पाए जाते है | 



कलेसर नेशनल पार्क देखने के बाद अब बारी थी हथनी कुंड बैराज देखने की ,यह बैराज यमुना नदी पर बनाया गया है यहाँ पर यमुना के पानी को रेगुलेट किया जाता है दिल्ली के लोग इस  बैराज (बाँध) से भली भांति परिचित है जब भी मानसून में दिल्ली यमुना में बाड़  की स्तिथि बनती है तब इसी बाँध से पानी छोड़ा  जाता है इस  वर्ष यमुना ने यमुनानगर जिले में भारी तबाही मचाई उस बाद के अवशेष चिन्ह भी सब ने देखे | 
यमुना नगर जिले में बाड़ आने का एक कारण बजरी रेत का अवैध खनन भी बताया जाता है यहाँ 80-90 फीट तक खुदाई की जा चुकी है|
बच्चों ने इस बारे भी जाना कि अब आजकल अवैध खनन व स्टोन क्रेशर बंद है पर साथ लगती यू. पी. में अवैध खनन व स्टोन क्रेशर चालु है रोजाना हज़ारों ट्रक-ट्राले,डम्पर,ट्रैक्टरट्राली यू. पी. से माल ले कर यमुना नगर शहर से गुजर कर हरियाणा के अन्य जिलों व दिल्ली जाते है जिस कारण पिछले कईं सालो से यमुना नगर में काफी प्रदूषण हो गया है|  
और अब अंत में सब वापिस आ गए यमुनानगर क्लोजिंग सेरामनी के लिए 
सब विजेता बच्चों को पुरस्कार दिए गए 
और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखे
  इस प्रकार यह दो दिवसीय इको क्लब्स का राज्यस्तरीय  कैम्प सम्पन्न हुआ |      
प्रस्तुति:- इमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा--दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)