सोमवार, 24 अगस्त 2015

योग एवं व्ययाम सीखा Yoga Training in School

अलाहर के राजकीय विद्यालय के विद्यार्थियों ने योग एवं व्ययाम सीखा   

कक्षा तत्परता कार्यक्रम में सभी विषयों के साथ योग, खेलकूद, दस्तकारी व सामान्य ज्ञान में भी  रूचि ले रहे हैं विद्यार्थी 
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में शिक्षा विभाग द्वारा चलाये गए सी आर पी कार्यक्रम के दौरान आज विद्यार्थियों ने योग एवं व्ययाम सीखा, विद्यालय में विशेष रूप से आमंत्रित योग विशेषज्ञ अनिल कुमार व विद्यालय के अध्यापक सुनील काम्बोज, दर्शन लाल, प्रदीप धीमान व संजीव कुमार ने बच्चों को योग का प्रशिक्षण दिया विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार ढींगड़ा ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि तंदरुस्ती हजार नियामत है इस लिए हमे खुद को तंदरुस्त रखना चाहिये जिसके लिए हमे अपनी दिनचर्या में योग व्ययाम व प्रात कालीन सैर जरूर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह विद्यालय के बच्चों व अध्यापको के प्रयासों की सराहना करते हैं की वो बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत हैं।
आज बच्चों को आलोम विलोम, कपालभाती, प्राणायाम, सूर्यनमस्कार, सर्वांगासन, हलासन, चक्रासन, वज्रासन, पश्चिमोतासन, धनुरासन करने सिखाये गए।
विद्यालय के अध्यापक दर्शन लाल, संजय गौतम, रविंदर सैनी, लवलीन कौर, जसविन्द्र कौर, प्रदीप धीमान, धर्मेन्द्र सिंह, संदीप कुमार विद्यालय में बच्चों को खेल खेल में विज्ञान, मेहंदी लगाओ प्रतियोगिता, पर्यावरण व कन्या भ्रूण हत्या व  अन्य सामाजिक बुराइयों पर जागरूकता कार्यक्रम, कम लागत से विज्ञान माडल, खो-खो व पीटी-योगा अभ्यास, गणित, कम्प्यूटर, सामान्यज्ञान व विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान पजल्स, प्रकृति भ्रमण, कोलाज मेकिंग, क्ले मोडलिंग, बैंकिग व पोस्टल कार्यप्रणाली का ज्ञान, कविता रचना व कविता पाठ, नाटक, रोल प्ले, जागरूकता रैलियाँ, आपदा प्रबंधन व प्राथमिक चिकित्सा बाक्स आदि गतिविधियां करवा कर शिक्षण-अधिगम को बहुत रुचिकर तरीके से अंजाम दे रहे हैं।
अखबारों में

प्रस्तुती : दर्शन लाल बवेजा, विज्ञान अध्यापक रवमावि अलाहर   

आपदा प्रबंधन के गुर सीखे विद्यार्थियों ने Disaster Management Training in School

आपदा प्रबंधन के गुर सीखे विद्यार्थियों ने Disaster Management Training in School
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में विद्यार्थियों को आपदाओं के बारे में बताया गया और उन्हें आपदा प्रबंधन बारे टिप्स दिए गए, शिक्षा विभाग द्वारा चलाये गए सी आर पी कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जीवनोपयोगी गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक मानव-जनित आपदाओं का ज्ञान दिया गया जिस में बच्चों ने बहुत रूचि दिखाई। इस जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार धींगड़ा ने किया। सीआरपी के तहत यह आपदा प्रबंधन कार्यक्रम कईं दिन तक चलेगा बालको को हर रोज विभिन्न आपदाओं के बारे में बताया जाएगा और इससे बचाव के तरीके भी बताये जायेंगे ताकि ऐसी कोई स्थिति आये तो बच्चे अपनी जान बचा सकें और साथ ही दूसरो की भी मदद कर सकें।
आपदा के विभिन्न प्रकार
विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने विद्यार्थियों को विभिन्न आपदाओं के बारे में बताया और कहा की केदारनाथ के बाद नेपाल की आपदा ने एक बार फिर बता दिया है कि प्रकृति की मार सबसे भयंकर होती है ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम आपदा आने पर हम किस प्रकार बच सके और दूसरों की भी जान बचा सके। आपदा प्रबंधन के द्वारा ही हम यह सब जान सकते है। बवेजा ने बताया की आपदा एक असामान्य घटना है जो थोड़े ही समय के लिए आती है और अपने विनाश के चिन्ह लंबे समय के लिए छोड़ जाती है। प्राकृतिक आपदा को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि एक ऐसी प्राकृतिक घटना जिस में एक हज़ार से लेकर दस लाख लोग तक प्रभावित हों और उनका जीवन खतरे में हो तो वो प्राकृतिक आपदा कहलाती है प्राकृतिक आपदाएं मनुष्य व अन्य जीवों को बहुत प्रभावित करती है।
प्राकृतिक आपदा के हैं कई रूप
हरिकेन, सुनामी, सूखा, बाड़, टायफून, बवंडर, चक्रवात सब मौसम से सम्बन्धित प्राकृतिक आपदाएं हैं। भूस्खलन और हिमघाव ऐसी प्राकृतिक आपदा हैं जिस में स्थलाकृति बदल जाती है। भूकम्प टेक्टोनिक प्लेट विवर्तनिकी के कारण और ज़्वालामुखी के कारण अग्निकांड, दावानल आदि आते हैं। टिड्डीदल का हमला, कीटो के प्रकोप को भी प्राकृतिक आपदा माना गया है। मानवकृत आपदा के बारे में भी बताया गया की मानवीय दखल से नित नए नए प्रकार की आपदाओं से मनुष्य को दो चार होना पड़ रहा है जिनमे से पर्यावरणीय आपदा वैश्विक ऊष्मन और वैश्विक शीतलन जैसी नयी मुसीबते मुहँ खोले खड़ी हैं।
आपदा प्रबंधन कैसे करें?
बवेजा ने बताया की हमारे स्कूली पाठ्यक्रम में ऐसा कोई ख़ास इंतजाम नहीं है की बालक पाठ्यक्रम से आपदा प्रबंधन सीख सकें फिर भी अध्यापक बच्चों को आपदा के समय, पहले व बाद के इंतजामात बारे बताते हैं जिसमे बाड़, भूकंप और अतिवृष्टि से होने वाले नुकसानों से बचने के उपाय बताये गए। बालको को इस बारे प्रशिक्षित भी किया गया यह गतिविधि पूरे सप्ताह चलेगी जिस में बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। बच्चों को आपदा प्रबंधन से सम्बंधित वीडियो एनिमेशन फिल्मे भी दिखाई जायेंगी जिन के द्वारा बच्चे व अध्यापक सीखेंगे। कार्यक्रम में संजय गौतम, सुनील काम्बोज, रविंदर सैनी, लवलीन कौर, जसविन्द्र कौर, प्रदीप धीमान, धर्मेन्द्र सिंह, संदीप कुमार, मनीष कुमार शर्मा, पवन सचदेवा, भगवती शर्मा, रीना काम्बोज सहित विद्यालय के बच्चों इतेश, गौरव, सुमित, वंशिका, रजनीश, महक, नैन्सी, दिव्या, ज्योति, अरुण, संतोष, सूर्या, गगन, हिमांशु, अनिकेत, अंशुल, आकाश, साहिल, प्रीती, साक्षी ने भाग लिया।
अख़बारों में

प्रस्तुती : दर्शन लाल बवेजा, विज्ञान अध्यापक रवमावि अलाहर


बुधवार, 27 मई 2015

विज्ञान विषय में रूचि Interest in Science

कक्षा तत्परता कार्यक्रम के अंतर्गत विज्ञान गतिविधियाँ सीखी बच्चों ने
कक्षा तत्परता कार्यक्रम के दौरान विज्ञान विषय में रूचि उत्त्पन करने में जुटे अध्यापक
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में शिक्षा विभाग द्वारा चलाये गए सी आर पी कार्यक्रम के दौरान विज्ञान में रूचि जगाने के लिए विभिन्न विज्ञान गतिविधियां चलाई जा रही हैं इन विज्ञान गतिविधियों का उदघाटन विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र धींगड़ा ने किया और बताया कि सारे साल स्लेबस पूरा कराने की उलझनों में फसे विज्ञान अध्यापक के पास अब एक बेहतरीन अवसर है कि वो सी आर पी कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विज्ञान गतिविधियां करवा कर बच्चो को विज्ञान शिक्षा के प्रति आकर्षित कर सकता है और साथ ही अपने हुनर का प्रदर्शन करके शिक्षा जगत में अपनी योग्यता भी सिद्ध कर सकता है।
इस विज्ञान संचार व जागरूकता कार्य की कमान उन्होंने विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल को सौपी उन्होंने बालको को खेल खेल में विज्ञान, कम लागत से विज्ञान माडल, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान पजल्स, प्रकृति भ्रमण आदि गतिविधियां करवा कर विज्ञान शिक्षण को और भी मजेदार बना दिया है। आजकल विद्यालय में विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बच्चों को भौतिकी की समझ बढ़ाने के लिए विधुतचुम्बकत्वगतिआघूर्णबलगुरुत्वआवेशवायु
दबावबरनौली के सिद्धांतपास्कल के नियमआर्कमिडिज के सिद्धांतन्यूटन के नियमोंप्रकाश का अपवर्तनप्रकाश का परावर्तनप्रकाश का विक्षेपणविधुत मोटर व डायनमोविधुत फ्लस्कआवेश विसर्जनघर्षणचलचित्रपम्पध्वनि की उत्पत्ति एवं संचरण आदि पर आधारित विभिन्न नवाचारी कम लागत के उपकरणों से विभिन्न गतिविधियाँ करवा रहे हैं जिनको कि सी आर पी के अंतर्गत बच्चे खुद भी करके देख रहे हैं।

सी आर पी गतिविधियों में विज्ञान किटस् का भी बेहतर उपयोग हो रहा है  
दर्शन लाल ने यह भी बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत शिक्षा विभाग द्वारा सभी विद्यालयों को दो दो विज्ञान प्रयोगिक किट्स भी उपलब्ध करवाई गयी हैं जिनमें सौ से भी अधिक विज्ञान गतिविधयां करवाए जाने की सामग्री दी गयी है और यह सामान विज्ञान पाठ्य पुस्तक में वर्णित सभी गतिविधियों को करवाए जा सकने में सक्षम हैं। इन विज्ञान किट्स का उपयोग सी आर पी के दौरान किया जा रहा है।
यह विज्ञान किट्स बहुत ही बेहतरीन और सम्पूर्ण है जिनके द्वारा बहुत से प्रयोग कम समय में व भारी उपकरणों  के बगैर ही करवाए जा सकते हैं।  आजकल भी समाज में विभिन्न अंधविश्वास व्याप्त है, अंधविश्वास एक वैश्विक समस्या बनी हुई है। कुछ शातिर लोग समाज में कार्यरत हैं जो कि यदाकदा अपना शिकार फांस कर उस परिवार का भविष्य बर्बाद कर देते हैं। सी आर पी के दौरान विज्ञान शिक्षक बच्चों को अंधविश्वास निवारण के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
दर्शन लाल बवेजा
 विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल अन्य विज्ञान अध्यापको के मार्गदर्शन के लिए हमेशा तत्पर रहते है और जिले व अन्य प्रान्तों के विज्ञान शिक्षक व विद्यार्थी इमेल, पत्राचार, दूरभाष व विज्ञान गतिविधियों पर आधारित उनके द्वारा संचालित वेबसाईट साइंसदर्शन डाट इन के माध्यम से उनसे जुड़े रहते हैं व अपने अनुभव आपस में सांझे करके विज्ञान संचार में योगदान करते हैं।   


अख़बारों में 


  

शनिवार, 9 मई 2015

प्रकृति को नजदीक से जाना Nature Watch

कक्षा तत्परता कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों ने प्रकृति को नजदीक से जाना
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में शिक्षा विभाग द्वारा चलाये गए सी आर पी कार्यक्रम के दौरान कक्षा सात ने बच्चों के बीच एक प्रतियोगिता  करवाई गयी जिस में बच्चों ने टोलियों में बंटकर विभिन्न गतिविधियों के जरिये  प्रकृति को नजदीक से समझा। इस गतिविधि आधारित प्रतियोगिता में बच्चों को कहा गया कि
वो आसपास के पेड़ पोधों व अन्य वनस्पति को पास जाकर देखें व वहां जो भी उन को रुचिकर या आश्चर्यचकित करने वाला लगे उस को नोट करें। बालको ने टोलियों में ऐसा किया व फिर उनका अध्ययन करके विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल व अन्य टोलियों के साथ समूह चर्चा करके अपने इन अनुभवों को सांझा किया। बच्चों को इस गतिविधि आधारित प्रतियोगिता में बहुत आनन्द आया उन्होंने पौधों, जड़ों, लार्वा-कोकून, अमरबेल, रंगबिरंगे फूल, मधुमक्खी व अन्य कीटों के बारे में जाना और जानकारियाँ एकत्र की।
विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार धींगड़ा ने नित नयी नयी गतिविधियों के माध्यम से बालको में पढ़ाई के प्रति रूचि जागृत करने के लिए बच्चों व अध्यापको के प्रयासों की सराहना की। विद्यालय के अध्यापक दर्शन लाल, संजय गौतम, सुनील कुमार, पवन सचदेवा, रीना काम्बोज, भगवती शर्मा, पवन कुमार, रणजीत सिंह विद्यालय में बच्चों को विभिन्न गतिविधियां करवा कर शिक्षण-अधिगम को बहुत ही रुचिकर तरीके से करवा रहे हैं। इस गतिविधी में गौरव, वंशिका, भारती, दिव्या, सूर्या व नैन्सी की टीमो ने भाग लिया।

प्रस्तुती : दर्शन लाल बवेजा विज्ञान अध्यापक 

  

शुक्रवार, 1 मई 2015

विश्व धरा दिवस World Earth Day Celebrations

उत्साह से मनाया गया विश्व धरा दिवस और हुए विभिन्न कार्यक्रम
ईंट गारे से बना मकान तो बस हमारा आश्रय है परन्तु हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे टेमारिंड इको क्लब द्वारा विश्व धरा दिवस धूमधाम से मनाया गया, जिसके जिसके अंतर्गत बहुत सी गतिविधियां करवाई गयी।  विद्यालय के प्रधानाचार्य नरेंद्र धींगड़ा ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी दिवस की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 (बाईस अप्रैल उन्नीस सौ सत्तर) से की गयी थी।  पर्यावरण से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित यह दिन विश्व भर में मनाया जाता है। पर्यावरण संकट की बढती चिंता राष्ट्रों को प्रभावित कर रही है और विश्वस्तर पर इस चिंता के निवारण के विभिन्न उपाय भी किये जा रहें हैं।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने कहा कि हमारे सौरमंडल में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है और इस आबाद ग्रह पर सब से विकसित हम मनुष्य भी रहते हैं परन्तु मनुष्य ईंटों गारे से बनाए गए अपने मकान को अपना घर समझ बैठा है वास्तव में वो हमारा आश्रय तो हो सकता है परन्तु हमारा असली घर तो हमारी पृथ्वी ही है आज मनुष्य पृथ्वी का अंधाधुंध दोहन कर रहा है, यह दोहन पृथ्वी के गर्भ  खनिजों के खनन से लेकर उसके शरीर से  वृक्ष रुपी गहने उतारने तक जाता है। मनुष्य अपने क्रियाकलापों से उसकी साँसों में वायु प्रदूषण रूपी जहर घोल रहा है और जनसंख्या वृद्धि कर के उस की ममतामयी गोद में अनावश्यक बोझ बढ़ा रहा है।
राजनिती शास्त्र के प्रवक्ता रविन्द्र कुमार सैनी ने कहा कि वैसे तो हर दिन विश्व धरा दिवस होना चाहिए हम कोई एक दिन धरा को समर्पित कर के अपने दायित्वों का समापन नहीं कर सकते हमें बहुत उचित कदम उठा कर धरती के कष्टों का निवारण करना होगा इसी में समस्त मानवता की भलाई है। एस एस मास्टर सुनील कुमार ने  ने कहा कि हम अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा ही बदलाव करके पृथ्वी पर जीवन को और बेहतर बना सकते है। पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और पानी का सिमित उपयोग करना चाहिए और तीसरी बात हमें आवश्यकता पड़ने पर ही ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। 
इन सब मुख्य बातों के अलावा पोलीथीन का कम से कम उपयोग, जल संरक्षण, फसलो पर कीटनाशकों का छिडकाव कम कर के कार्बनिक और जैविक विधि को अपनाना होगा नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम जीवनदायनी पृथ्वी को खो देंगे।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि इस अवसर पर पेंटिंग प्रतियोगिता, नारा लेखन प्रतियोगिता आयोजित करवाई गयी और नाटक का मंचन भी किया। इस अवसर पर जसविंदर कौर, लवलीन, सुनीता, भगवती शर्मा, रीना, मीना, पवन, पवन सचदेवा, सुनील, परदीप, संदीप कुमार, धर्मेन्द्र, रणजीत, संजीव अध्यापको ने सहयोग किया। 
द्वारा दर्शन लाल बवेजा विज्ञान अध्यापक  
अखबारों में खबर की कतरने 



  

मंगलवार, 17 सितंबर 2013

विश्व ओजोन दिवस पर संगोष्ठी world ozone layer preservation day

विश्व ओजोन दिवस पर संगोष्ठी  world ozone layer preservation day
राजकीय उच्च विद्यालय  मंडेबरी(इमली इको क्लब राजकीय वरिष्ठ माध्य्मिल विद्यालय अलाहर के साथ सयुंक्त तत्वाधान में) मे विश्व ओजोन दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी में सम्बोधित करते विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि प्रत्येक वर्ष सोलह सितम्बर को विश्व भर में ओजोन दिवस मनाया जाता है। ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन की सुनिश्चितता के लिए अति महत्वपूर्ण है ओजोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले पच्चीस वर्षों से भी अधिक समय से इसे बचाने के लिए विश्व भर में जागरूकता अभियान चलाये जा रहें हैं। वैज्ञानिकों को सन् 1970 के दौरान ओजोन आवरण के पतले होने के प्रमाण मिले थे। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए सन् 1985 में संपूर्ण विश्व ने वियना में इस समस्या के निपटने के लिए प्रयत्न करने आरंभ किए। इस ऐतिहासिक पहल को वियना संधि के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद समूचे विश्व ने इस मुददे पर गंभीरता से प्रयास शुरू किया जिसके फलस्वरूप 1987 मॉन्ट्रियल संधि हुई। सन् 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन आवरण के संरक्षण के लिए हुई मॉन्ट्रियल संधि की स्मृति में सोलह सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। विश्व ओजोन दिवस को मनाने के पीछे यह उद्देश्य था कि विश्व समुदाय के जेहन में ओजोन की परत बचाने के लिए  जागरूकता जाती उत्पन्न की जाए और इस कार्य में उल्लेखनीय सफलताएं मिली भी हैं।
मौलिक मुख्याध्यापक प्रदीप सरीन ने बच्चो को सम्बोधित करते हुए कहा कि असल में ओजोन की परत को हानि पहुंचाने में मनुष्य की ओद्योगिक तरक्की और विलासता के साधन जिम्मेदार हैं। वे रसायन जो ओजोन परत को क्षति पहुंचाते है, उन्हें ओजोन क्षयक रसायन कहते हैं। इनमें क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स (सी एफ सी), मिथइल ब्रोमाइड आदि प्रमुख है । इनकी खोज सन् 1928 में हुई थी। क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स फ्लोरीन, क्लोरीन व कार्बन से मिलकर बनते है । सी एफ सी का उपयोग फ्रीज व एअर कंडीशनर में प्रशीतलक के रूप में होता है।
सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओजोन की मात्रा को कम करने में जिम्मेदार है।
क्या है ओजोन व ओजोन परत
ओजोन हल्के नीले रंग की सक्रिय वायुमंडलीय गैस है। यह समताप मंडल में प्राकृतिक रूप से बनती है। यह आक्सीजन का ही रूप है। एक ओजोन अणु में तीन आक्सीजन परमाणु होते है।जो कि पृथ्वी से 20-25  किमी की ऊँचाई पर सबसे अधिक है और लगभग 75 किमी की ऊचांई से ज्यादा पर यह न के बराबर हो जाता है। यह कवच दिन में सूर्य की तेंज पराबैगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है, और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है।
क्यों जरूरी है इसे बचाना 
ओजोन गैस रूपी यह कवच दिन में सूर्य की तेंज पराबैगनी विकिरणों से हमारी रक्षा करता है, और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है। यदि पृथ्वी पराबैगनी विकिरणों की चपेट मे आ जाए तो पृथ्वी पर जीवन खतरे मे पड़ जाएगा व मनुष्य समेत समस्त जीवों को त्वचा के कैंसर, ऑंखों का मोतियाबिंद अधिक होना, पाचन तंत्र में कमजोरी, पौधों की उपज घटना, समुद्रीय पारितंत्र में क्षति और मत्सय उत्पादन में कमी व अन्य खतरों से जूझना पड़ सकता है।
क्या है बचाव के उपाय 
ओजोन की परत को नष्ट होने से बचाने के लिए उद्योगो से कुछ हानिकारक रसायनों को बाहर करना होगा। चार प्रमुख रसायन क्लोरो फ्लोरों कार्बन, सीटीसी, हेलन्स और हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन को इस्तेमाल से बाहर करना होगा। वैश्विक प्रयासों से  विकासशील देशो को तकनीकी व वित्तीय मदद देकर उनकी इंडस्ट्री से इन क्षयकारी रसायनों को हटाकर वैकल्पिक अहानिकारक रसायनों के प्रयोग को बढ़ावा देने से वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक ओजोन परत सामान्य स्तर पर आ जाएगी। वैश्विक स्तर पर इस बारे सामूहिक प्रयास जारी हैं और आशानुरूप पृथ्वी पर जीवन को बचाने की सम्भावना हेतु आमजन के लिए जागरूकता संचार भी जारी  है।
अखबारों मे 



मंगलवार, 4 जून 2013

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day



विश्व पर्यावरण दिवस पर क्लब सदस्यों ने किया चिंतन मनन व पौधारोपण 
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर  पर सी वी रमन विज्ञान क्लब व टेमारिंड इको क्लब के सदस्यों द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर मे एक पर्यावरण संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे  विश्व पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक मनुष्य के योगदान विषय पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण के उन बिन्दुओं पर चर्चा की जिन को जीवन मे अपना कर हम पर्यावरण संरक्षण कर अपना कर्त्तव्य निभा सकते हैं। इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पौधारोपण  किया और सोच समझ कर भोजन करने व भोजन बचाने की शपथ भी ली। 
क्लब संरक्षक व विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने सदस्यों को विश्व पर्यावरण दिवस के बारे मे बताते हुए कहा कि हम घर मे ही अपने स्तर पर बहुत सी अच्छी आदते अपना कर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं। इन बिन्दुओं पर चर्चा के दौरान क्लब सदस्यों के ज्ञानकोष से बहुत से क्रियाकलाप निकल कर आये जन्हें जीवन मे अपना कर व अपनी दैनिक गतिविधियों मे सुधार करके हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने कर्त्तव्यों को आसानी से निभा सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण मे क्लब सदस्यों के सुझाव
सभी व्यक्ति हर वर्ष यादगार अवसरों जैसे जन्मदिन आदि पर  पौधारोपण करे।
प्रत्येक गांव शहर में हर स्कूल व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनायी जाये।
निजी वाहनों को धोने मे कम से कम पानी प्रयुक्त  किया जाए।
टेलीविजन आवश्यकता अनुसार चलायें व उसकी की आवाज़ धीमी रखें।
जल व्यर्थ न बहायें और नलो की लीकेज ठीक करवाए।
सोलर उपकरणों का प्रयोग करना शुरू करें।
फर्श धोने में कम पानी का प्रयोग करें।
अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें।
कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरणों  को स्टैंडबाई ना छोड़े। 
पॉलीथिन का उपयोग न करें ना ही उसे जलाएं।
कचरा कूड़ेदान में ही डाले व ठोस कचरा प्रबंधन अपनाये।
पशु पक्षियों को पानी पिलायें।
नहाने व बर्तन कपड़े धोने मे जल का उचित प्रयोग करें।
घर मे किचन गार्डन बनाए नहीं तो गमलों मे पौधे अवश्य लगाए।
 कबसे शुरू हुआ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना
विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्यावरण पर्व है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्वीडन के स्टाकहोम में दुनिया भर के देशों का प्रथम पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन मे विश्व के एक सौ उन्नीस देशों ने भाग लिया था यहीं पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मना कर नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से रूबरू कराने का निश्चय किया गया। पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए नागरिक व राजनीतिक चेतना की आवश्यकता को समझा गया।
 पर्यावरण के प्रदूषित होने के मुख्य करण
लगातार बढ़ रही आबादी, उद्योगीकरण, अनियंत्रित शहरीकरण, कृषी अवशेषों का जलाया जाना, वनस्पति इंधन, वाहनों कारखानों द्वारा छोड़ा जाने वाला धुंआ, नदियों तालाबों में गिरता हुआ दूषित जल, वनों का कटान, खेतों में कीटनाशकों उर्वरकों  का असंतुलित प्रयोग, पहाड़ों में भूस्खलन, मिट्टी का कटाव, पालीथिन को जलना आदि।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
उन्नीस नवम्बर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ जिसके अंतर्गत, पर्यावरण मे जल, वायु, भूमि से सम्बन्धित मनुष्य पोधे, सूक्ष्म जीव  अन्य जीवित पदार्थ आदि आते है। इस अधिनियम के पर्यावरण संरक्षण व गुणवत्ता हेतु सभी आवश्यक क़दम उठाना। पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निधर्रित करना। पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना व उनका क्रियान्वन। उद्योगिक स्थलों का चयन व उद्योगों की स्थापना के मापदंड निर्धारित करना। अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान आदि।
 ना बनाये महज एक रस्म अदायगी
ऐसा नहीं है कि आमजन पर्यावरण संरक्षण मे योगदान नहीं दे सकता परन्तु यदि कहा जाए तो यह पुनीत कार्य शुरू ही यहीं से होता है। मनुष्य अपने स्तर पर अपनी सूझबूझ से दैनिक क्रियाकलापो मे आमूलचूल परिवर्तन से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत कुछ कर सकता है। बस आवश्यकता है तो सुझबुझ की न की महज रस्म अदायगी की।   
  

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

चमत्कारों का पर्दाफाश जागरूकता पर कार्यक्रम explaining miracles

चमत्कारों का पर्दाफाश जागरूकता पर कार्यक्रम explaining miracles
 आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में अंधविश्वास निवारण एवं चमत्कारों का पर्दाफाश विषय पर विद्यार्थियों को जागरूक किया गया।
इस अवसर पर विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने विद्यार्थियों को बताया कि भूत-प्रेत, दुष्टात्मा, जादू-टोना, आदि सब भ्रामक बातें है जिन का प्रयोग करके कुछ तथाकथित लोग अपना उल्लू सीधा करते है। उन्होंने बताया कि विज्ञान की तरक्की के इस युग में इन आधारहीन बातों को मनवाने के लिए ठग रूपी सयाने आदि कहलाने वाले लोग कुछ तथाकथित चमत्कार दिखा कर भोले भाले लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं और फिर उनका सब प्रकार से शोषण करते है और सब कुछ लुटवाने के बाद जब पता चलता है कि वो तो ठगे गए हैं तो उन्हें बहुत पछतावा होता है।
विज्ञान शिक्षण का महत्वपूर्ण उद्देश्य यह होना चाहिए कि समाज को इन तथाकथित चमत्कारों से मुक्ति दिलवाई जाए। 

इसी कड़ी के अंतर्गत आज विद्यार्थियों को कुछ चमत्कार कहे जाने वाले विज्ञान प्रयोग करके दिखाए गए जिन में रासायनिक पदार्थों और हाथ की सफाई का इस्तेमाल करके लोगो को मूर्ख बनाया जाता है। सोडियम व पोटाशियम परमेगनेट आधारित आग उत्पन्न करने वाले प्रयोग, द्रवों का रंग बदलना, हल्दी व चूने की अभिक्रिया के प्रयोग करके दिखाए गए। चमत्कारों और जादू के पीछे छिपे वैज्ञानिक सिद्धांतों, रासायनिक अभिक्रियाओं और हाथ की सफाई का खुलासा किया गया ताकि लोग इन चमत्कारों से प्रभावित होकर ठगे ना जा सकें।
इस कड़ी में कपिल कुमार व अंशुल काम्बोज ने ने 'भूत नहीं होता' नामक लघु नाटिका का मंचन करके बालकों के मन से भूत-प्रेत अदि अंधविश्वासों का उन्मूलन किया।
इको क्लब और सी वी रमण विज्ञान क्लब की मासिक गतिविधियों के अंतर्गत यह महीना अंधविश्वास उन्मूलन को समर्पित किया गया है। अगले महीने खाद्य पद्धार्थों में मिलावट बारे जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।


अखबारों  में 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 30 जनवरी 2013

सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना में प्रथम School Beautification award


सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना में प्रथम  School Beautification award
बधाइयां बधाइयां .......
मुख्यमंत्री स्कूल सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर को जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों की सुन्दरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्कूल सौन्दर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना चलाई गयी है जिस में विभिन्न बिंदुओं के तहत स्कूलों का निरीक्षण किया जाता है और फिर ब्लाक स्तर, जिला स्तर व राज्य स्तर पर सबसे सुंदर स्कूल को चुना जाता है। इस योजना के बहुत ही बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे है। सभी अध्यापक व विद्यालय प्रबंधन समितियां अपने स्कूल का नाम रोशन करने के लिए काफी रूचि दिखा रहे है। ब्लाक स्तर पर पचास हजार रूपये, जिला स्तर पर एक लाख रूपये व राज्य स्तर पर पांच लाख रुपयों का नगद पुरस्कार दिया जाता है।
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि मुख्य संसदीय सचिव श्री राम किशन गुर्जर ने अलाहर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगड़ा को डेढ़ लाख रुपयों का चैक, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गणतंत्र दिवस की परेड के अवसर पर दर्शन लाल बवेजा, संजय शर्मा, संजय गौतम, नित्यानंद अध्यापक भी तेजली स्टेडियम में उपस्थित रहे। विद्यालय व गाव अलाहर में इस पुरस्कार को प्राप्त करके सभी बहुत खुश हुए।
जिले भर में अलाहर का सरकारी स्कूल विज्ञान, सांस्कृतिक, समाज सेवा, इको क्लब गतिविधियों और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों में अपना परचम लहरा चुका है
प्रधानाचार्य ने बताया कि यह उनके स्कूली अध्यापकों व बच्चों की मेहनत का ही परिणाम है कि उनके स्कूल को सौंदर्यीकरण के मामले में प्रथम स्थान हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि सौंदर्यीकरण के मामले में अब प्रदेशभर में प्रथम स्थान पर रहने वाले स्कूल का चयन किया जायेगा उसके लिए उनके स्कूल की तरफ से तैयारियां शुरू कर दी है। पुरस्कार में प्राप्त इस धनराशि का प्रयोग स्कूल में सौंदर्यीकरण को बढ़ाने के लिए किया जायेगा।
गौरतलब है कि जिला के एडीसी डाक्टर श्री सतबीर सिंह सैनी के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने गत दिनों विद्यालय का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में उन्होंने विद्यालय को बेहतर पाया था।
ग्राम पंचायत के सरपंच श्री महिंदर सिंह ने इस अवसर पर कहा सरकार की इस योजना से अध्यापकों एवं बच्चों का स्वच्छता व सौन्दर्यीकरण के प्रति रुझान बढ़ेगा और स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में प्रतियोगिता की भावना जागृत होगी।
जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती जगजीत कौर, उप जिला शिक्षा अधिकारी श्री तेजपाल, खंडशिक्षा अधिकारी श्री रामेश्वर सैनी ने विद्यालय की इस उपलब्धी पर स्टाफ सदस्यों व विद्यार्थियों को बधाइयां दी हैं। इस अवसर पर संजय शर्मा, संजय गौतम, सुभाष चंद, रविंदर कुमार, मनोहर लाल, सुनील कुमार, दर्शन लाल, सुनीता, लवलीन, संदीप आदि अध्यापकों का सराहनीय योगदान रहा।

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