शनिवार, 15 सितंबर 2012

विश्व ओजोन दिवस पर हुई संगोष्ठी एवं प्रतियोगिताएं World Ozone day Celebrations



विश्व ओजोन दिवस पर हुई संगोष्ठी एवं प्रतियोगिताएं World Ozone day Celebrations


ओजोन दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय  अलाहर मे विश्व ओजोन दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का का आयोजन किया गया।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में कपिल कुमार की टीम प्रथम, विशु की टीम द्वितीय व जतिन और ज्योति की टीम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन विजेता बच्चों को  प्रधानाचार्य ने पुरूस्कार व प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।
संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए क्लब प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि 16 सितम्बर को विश्व भर में ओजोन दिवस मनाया जाता है।
ओजोन दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी
ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन की सुनिश्चितता के लिए अति महत्वपूर्ण है ओजोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से इसे बचाने के लिए विश्व भर में जागरूकता अभियान चलाये जा रहें हैं। वैज्ञानिकों को सन् 1970 के दौरान ओजोन आवरण के पतले होने के प्रमाण मिले थे। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए सन् 1985 में संपूर्ण विश्व ने वियना में इस समस्या के निपटने के लिए प्रयत्न करने आरंभ किए। इस ऐतिहासिक पहल को वियना संधि के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद समूचे विश्व ने इस मुददे पर गंभीरता से प्रयास शुरू किया जिसके फलस्वरूप 1987 मॉन्ट्रियल संधि हुई। सन् 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन आवरण के संरक्षण के लिए हुई मॉन्ट्रियल संधि की स्मृति में 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।
विश्व ओजोन दिवस को मनाने के पीछे यह उद्देश्य था कि विश्व समुदाय के जेहन में ओजोन की परत बचाने के लिए  जागरूकता जाती उत्पन्न की जाए और इस कार्य में उल्लेखनीय सफलताएं मिली भी हैं।
विजेता बच्चों को पुरस्कार व प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया
प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि असल में ओजोन की परत को हानि पहुंचाने में मनुष्य की ओद्योगिक तरक्की और विलासता के साधन जिम्मेदार हैं। 
वे रसायन जो ओजोन परत को क्षति पहुंचाते है, उन्हें ओजोन क्षयक रसायन कहते हैं। इनमें क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स (सी एफ सी), मिथइल ब्रोमाइड आदि प्रमुख है । इनकी खोज सन् 1928 में हुई थी। क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स फ्लोरीन, क्लोरीन व कार्बन से मिलकर बनते है । सी एफ सी का उपयोग फ्रीज व एअर कंडीशनर में प्रशीतलक के रूप में होता है।
सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओजोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है।
इस संगोष्ठी में प्रवक्ता संदीप कुमार, संजय शर्मा, दर्शन लाल, सुनील कुमार, राम नाथ बंसल, सोनिया शर्मा ने अपने विचार रखे। 
मोंट्रियल संधि के 25 वर्ष 1987 से 2012  
16 of September 2012 marks the 25 anniversary of the most successful international environmental agreement ever undertaken by humans; The Montreal Protocol in which nations of the world committed themselves to ban the emission of so-called Ozone Depleting Substances (ODS). 
क्या है ओजोन व ओजोन परत
ओजोन हल्के नीले रंग की सक्रिय वायुमंडलीय गैस है। यह समताप मंडल में प्राकृतिक रूप से बनती है। यह आक्सीजन का ही रूप है। एक ओजोन अणु में तीन आक्सीजन परमाणु होते है।जो कि पृथ्वी से 20-25  किमी की ऊँचाई पर सबसे अधिक है और लगभग 75 किमी की ऊचांई से ज्यादा पर यह न के बराबर हो जाता है। यह कवच दिन में सूर्य की तेंज पराबैगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है, और रात में पृथ्वी को ठंडी होने से बचाता है। 
in news 
अखबार  में अमर उजाला 17-9-12 

प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा   
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

नाटक, क्लेमोड्लिंग, संगीत कार्यशाला drama, clay moulding and music workshop

नाटक, क्लेमोड्लिंग, संगीत कार्यशाला drama, clay moulding and music workshop
8आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में एक दिवसीय नाटक, संगीत, क्ले मोडलिंग कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य श्री नरेंद्र धींगडा ने किया।
कार्यशाला प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत इस कार्यशाला में नाटक का प्रशिक्षण बृजमोहन शर्मा, क्ले मोडलिंग का प्रशिक्षण अमित भारद्वाज व संगीत गायन का प्रशिक्षण आकाशवाणी कलाकार महावीर ग्रोवर ने दिया ने दिया। विद्यालय से सोलह छात्र छात्राओं का चयन दूसरे चरण की नाटक, क्ले मोडलिंग व संगीत कार्यशाला के लिए किया गया है। कक्षा 9 व 10 कुल 152 छात्र छात्राओं में प्रशिक्षण प्राप्त किया।

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इस अवसर पर प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की कार्यशालाएं प्रतिभाओं की खोज में बहुत सहायक होती हैं गावों में भी बहुत से ऐसे बच्चे हैं हो बहुत अच्छा अभिनय कर सकते हैं परन्तु उचित प्लेटफार्म ना मिलने के कारण उन की यह कला दब के रह जाती है।
इस अवसर पर सुनील, रणजीत, राजेश, प्रदीप,जसविंदर कौर अध्यापकों का योगदान सराहनीय रहा
अमरउजाला अखबार में 

प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा 
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)


बुधवार, 22 अगस्त 2012

इमली इको क्लब के सदस्यों ने वर्षा मापी Rain Guage

इमली इको क्लब के सदस्यों ने वर्षा मापी Rain Guage
आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर के इमली इको क्लब के सदस्यों ने वर्षा को मापना सीखा। क्लब प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बच्चों को रेन गेज से वर्षा मापने की गातिविधि करवाई। क्लब सदस्यों को यह वर्षामापी यंत्र विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग भारत सरकार से प्राप्त हुआ है। प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगड़ा ने बताया कि यदि वर्षा मापने की गातिविधि व मौसम के अन्य पैरामीटर्स मापने की गतिविधियां स्कूली बच्चों को करवाई जाए तो वह आंकड़ों की तुलना से मौसम के तीव्र बदलाव के प्रति गंभीर होंगे और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे।
अलाहर स्कूल के इको क्लब सदस्य अपना वर्षामापी यंत्र स्थापित करते हुए
सबसे पहले इसकी बनावट एवं इसके पार्ट्स बारे समझाया गया और फिर वर्षा के दौरान एकत्र जल को नापना बताया गया। हालांकि इस बार मानसून ने निराश किया है परन्तु अब हो रही वर्षा से काफी राहत मिली है आज सुबह से ही हल्की हल्की फुहार ने मौसम खुशगवार बना दिया था जैसे ही वर्षा हुई बच्चों ने अपना रेन गेज खुले मैदान में लगा दिया है जिसमे 24 घंटे की वर्षा मापी जा सकेगी। यदि आज रात को वर्षा भी होती है तो कल दोपहर 1 बजे जितना पानी वर्षामापी यंत्र के बर्तन में एकत्र होगा वही कुल 24 घंटे में हुई वर्षा की माप होगी।  
बारिश को मापने के लिए वर्षामापी यंत्र को खुले स्थान पर रख दिया जाता है। यह यंत्र प्लास्टिक का बेलनाकार डिब्बा जैसा होता है जिस के मुहं पर उसी नाप की एक कीप लगी होती है। यंत्र को खुली जगह पर इस तरह रखा जाता है कि उसमें हर तरफ से आती वर्षा की बूंदें गिरें और यह भी ध्यान रखा जाता है कि तेज हवाएं आने पर वह  वर्षामापी यंत्र गिरे नहीं। यंत्र की ऊंचाई 30 से 40 सेंटीमीटर होती। वर्षा के दौरान 24 घंटे में जितना पानी उस में भरता है  उसे मापक सिलेंडर से माप कर पाठ्यांक नोट कर लेते हैं। वही बारिश का माप होता है जिसकी तुलना मानक माप से करके विस्तृत परिणाम घोषित किये जाते हैं। आमतौर पर एक दिन में 25 सेमी. से अधिक वर्षा नहीं होती। वर्षा मापी यंत्र कभी पेड़ या भवन के पास नहीं रखना चाहिए। इससे वर्षा का सही सही माप  नहीं मिल पाता। यंत्र हमेशा खुले स्थान पर ही रखना चाहिए ताकि वर्षा की बूंदें उसमे नियमित रूप से गिरती रहें। 
amrujala news my city date 26-8-2012
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

सोमवार, 30 जुलाई 2012

सेहत बनाता नहीं बिगाडता है खुले मे शौच जाना total sanitation campaign

सेहत बनाता नहीं बिगाडता है खुले मे शौच जाना Total Sanitation Campaign

संगोष्ठी का आयोजन
रा.व.मा.वि.अलाहर मे  सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगड़ा की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस के अंतर्गत सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करते हुए वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे।
इमली इको क्लब के प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि सुबह की सैर सेहत के लिए बहुत जरूरी है परन्तु सैर पर जाने वाले यदि खेत या नजदीकी खुले स्थानों पर शौच भी जाते हैं तो ऐसी गातिविधि से सेहत बनती नहीं बिगड़ती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि केवल गरीब ही खुले में शौच को जाता है बल्कि सम्पन्न लोग भी खुले में शौच की परम्परा को सेहतवर्धक मानते हैं। इसी सोच को बदलने के लिए एक विशाल जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। अध्यापक सुनील कुमार ने अपने वक्तव्य में बताया कि गावों के साथ साथ शहरों में भी खुले में शौच जाने का प्रचलन यथावत बना हुआ है। यमुनानगर का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि यहाँ बहुत बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं जो यहाँ की विभिन्न इण्डस्ट्रीज में काम करते हैं और  छोटे छोटे कमरों में एक साथ रहते हैं जहां उन्हें शौचालय की सुविधा प्राय नहीं मिलती। पश्चिमी यमुना नहर के किनारे किनारे प्रात और शाम को बहुत से लोगों को खुले में शौच जाते देखा जा सकता है। मानसून के दिनों में नहर की पटरी पर गुजरना भी साहस का कार्य माना जा सकता है।
प्रवक्ता संजय शर्मा जी
प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि शौचालय किसी भी राष्ट्र के विकास की न्यूनतम शर्त मानी जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) तथा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत ऐसे देशों का मुखिया है जहां खुले में लोग शौच जाते हैं क्योंकि उन्हें शौचालय की सामान्य सुविधाएं हासिल नहीं हैं। भारत में 60 प्रतिशत लोग आज तक खुले में शौच को जाते हैं यानि कि दुनिया में जितने लोग खुले में शौच जाते हैं उनमें से 58 प्रतिशत भारतीय हैं। दुनिया के कुल 11 देशों में 81 प्रतिशत आबादी शौच की उचित सुविधा से वंचित है जिनमें भारत और उसके चार पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल तथा बांग्लादेश भी शामिल हैं। वैसे भारत के बाद इस मामले में इंडोनेशिया तथा चीन का नंबर आता है लेकिन इन दोनों देशों में ऐसे लोगों की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। खुले में शौच जाना बीमारियों के साथ साथ अन्य संगीन अपराधों को भी जन्म देता है।
श्रमदान करते क्लब सदस्य
इस अभियान के अंतर्गत इको क्लब सदस्यों ने श्रमदान किया और खुद की व अपने आसपास के स्थानों वे सामुदायिक स्थलों की सफाई का महत्व समझा। क्लब सदस्यों व अध्यापको ने महात्मा गांधी के सपने को साकार करने का प्रण लिया।
इस अवसर पर क्लब सदस्य कपिल, अंशुल, अरुण, शिवम, वंशिका, सोनम, मानक दिव्या का योगदान सराहनीय रहा।
अखबारों  में 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

बुधवार, 6 जून 2012

विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया World Environment Day

विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया  World Environment Day
आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया  गया इस उपलक्ष्य में  इको रैली ,पेंटिंग प्रतियोगिता और गोष्ठी का आयोजन किया गया, इमली इको क्लब के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए क्लब प्रभारी दर्शन लाल विज्ञान अध्यापक ने बताया कि दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस प्रति वर्ष 5 जून  को मनाया जाता है पर्यावरण का दूषित होना आज वैश्विक चर्चा और चिंता का विषय बना हुआ है। इसके प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन 1972 से हर वर्ष 5 जून को संयुक्त राष्ट्रसंघ के द्वारा आरम्भ किया गया था । विश्व पर्यावरण दिवस मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य  पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना और आम जनता को पर्यावरण के प्रति प्रेरित करना था। मनुष्य को पृथ्वी पर आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रदूषण को कम करना ही होगा क्यूंकि प्रदूषण न केवल राष्ट्रीय बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। मनुष्य के आसपास जो वायुमंडल है वो पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण का जीवजगत  के स्वास्थ्य एवं जीवन निर्वाह से गहरा सम्बन्ध है। पर्यावरण को स्वच्छ  बनाए रखने में प्रकृति का विशेष महत्व है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ा  नहीं कि पर्यावरण दूषित हुआ नहीं। पर्यावरण के दूषित होते ही जीव- जगत रोग ग्रस्त हो जाता है।
  क्लब के सदस्यों के द्वारा इस अवसर पर एक इको मार्च रैली का आयोजन किया गया क्लब सदस्यों ने पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ और पर्यावरण को बचाना है के नारे लगा कर इस दिवस बारे जागरूकता संचार किया, इस अवसर पर एक गोष्टी भी की गयी जिस में अध्यापको ने क्लब सदस्यों को विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में बताया। 
जो चंद प्रयास हम अपने स्तर पर कर सकते हैं, उनमें प्रमुख हैं जन्मदिन,विवाह की वर्षगांठ जैसे प्रमुख अवसरों पर एक पेड़ लगायें, मित्रों को उपहार में एक पौधा दें, अनावश्यक नल खुला रख पानी बहता न छोडें, अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें, गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किया पानी का प्रयोग करें। इस अवसर पर सभी सदस्यों कपिल, हिमांशु,शिवम,ज्योति,निशा,काजल,दिव्या,रणबीर सिंह,
किरण, का योगदान सराहनीय था।
दैनिक  जागरण
 अमर उजाला
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)
 

रविवार, 27 मई 2012

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस International Biodiversity Day

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस International Biodiversity Day 
22 मई 2012 को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया गया इस अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इमली इको क्लब के सदस्यों ने बड़े ही उत्साह के साथ इस विचार गोष्ठी में भाग लिया और वक्ताओं के वक्तव्य सुने। इस अवसर पर क्लब सदस्यों को जैव विविधता के बारे में बताया गया और इसके संरक्षण के प्रति संकल्प लिया गया।
क्षेत्र भ्रमण करते और जैव विविधता को समझते सदस्य
विज्ञान अध्यापक व क्लब इंचार्ज श्री दर्शन लाल ने बताया कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ज्ञात ग्रह है जहां जीवन है और जीवन के साथ साथ इसके के असंख्य रूप विद्यमान हैं। जीवन में यही विविधता जैव विविधता कहलाती है। जैव विविधता के अंतर्गत पृथ्वी पर पाए जाने वाले सारे  जीव-जंतु, वनस्पतियां और सूक्ष्मजीव सम्मिलित होते हैं। पृथ्वी पर जीवन के असंख्य रूप पाए जाते हैं असंख्य   प्रजातियां पाई जाती हैं।  चम्पा, चमेली, कनेर, कमल एवं गुलाब फूलदार पौधे और नागफनी व खेजड़ी  रेगिस्तानी पौधे नीम, पीपल और वट जैसे विशाल वृक्ष, हिरण, खरगोश और मोर जैसे सुंदर जीवों के साथ शेर एवं बाघ, हाथी, मोर, कबूतर, मैना, गौरैया उपस्थित हैं जो पृथ्वी पर जीवन की विविधता बताते है। पृथ्वी का कोई भी स्थान गिस्तान , महासागर, हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्र या फिर बर्फीली धरती, जीवन सभी दूर-दराज जगहों पर जीवन अपने अनगिनत रूपों में खिलखिला रहा है। ज़मीन से कहीं गुणा अधिक जैव विविधता समुद्रों-महासागरों में मिलती है।महासागरों में कोरल रीफ की आश्चर्यजनक रंग-बिरंगी दुनिया उपस्थित है। महासागरों में मिलने वाली वाली हज़ारों किस्म की मछलियां और अनेक जीव जीवन की विविधता का अनुपम उदाहरण हैं। अब तक पृथ्वी पर जीवों एवं वनस्पतियों की करीब 18 लाख प्रजातियों की पहचान हो चुकी है और यह अनुमान है कि इनकी वास्तविक संख्या इससे दस गुना अधिक हो सकती है । सूक्ष्मजीव पृथ्वी पर दिखाई देने वाले जीव जगत से कहीं अधिक तादाद तो सूक्ष्म जीवों की है जिन्हें हम नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं । एक ग्राम मिट्टी में करीब 10 करोड़ जीवाणु और पचास हज़ार फफूंद जैसे जीव होते हैं । अत्यंत छोटे होने के बावजूद जीवन के स्थायित्व में सूक्ष्मजीव जटिल अपशिष्ट पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित करके पर्यावरण स्वच्छ करते हैं। यदि सूक्ष्मजीव न हों तो पृथ्वी पर जीवों की लाशों व पत्तों का ढेर इतना बढ़ जाएगा कि पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं रहेगा। सूक्ष्मजीव ही तो खाद्य सुरक्षा का आधार होते हैं। सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियां मिट्टी से विभिन्न पोषक तत्वों खास तौर पर नाइट्रोजन को फसलों तक पहुंचाते हैं जिससे फसल को पोषण प्राप्त होता हैं। यह सूक्ष्म जीव बस इतना ही नहीं करते बल्कि यह भूमि से नाइट्रोजन को वायुमंडल में पहुंचाने की क्रिया में भी महत्वपूर्ण योगदान देते है। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में सूक्ष्मजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैव विविधता के स्तर प्रकृति में जीव-जंतु वनस्पति प्रजातियों की सही-सही संख्या का अनुमान लगाना कदापि संभव नहीं है।
pH ज्ञात करना
इस  अवसर पर सभी क्लब सदस्यों को जैव विविधता किट के प्रयोग भी करवाए गए, जिसमे क्लब सदस्यों ने निम्न प्रयोग करके देखे। 
मिट्टी में वायु की उपस्तिथि का प्रयोग
लिटमस पेपर से अम्ल क्षार में अंतर। 
दालों के नमूने एकत्र करना
तलाब के पानी की pH ज्ञात करना
गावों में पाले जाने वाले पशू-पक्षियों की सूचि बनाना
आस पास की वनस्पति की जानकारी एकत्र करना
पत्तों का जैविक विघटन समझना
इस अवसर पर 60 क्लब सदस्य व अध्यापक उपस्तिथ थे 
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)
    

गुरुवार, 3 मई 2012

शुक्र पारगमन की प्रशिक्षण कार्यशाला TOV Workshop


शुक्र पारगमन की प्रशिक्षण कार्यशाला TOV Workshop

सैद्धांतिक कक्षा 
शुक्र पारगमन का सुरक्षित एवं भव्य अवलोकन के लिए आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर में एक दिवसीय शुक्र पारगमन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र धींगडा ने बताया कि  इस कार्यशाला में दो विद्यालयों के  ४० छात्र-छात्रओं को पिनहोल कैमरा,बाक्स कैमरापानी में सूर्य का प्रतिबिम्ब बनानाटेलीस्कोप व बाइनाकुलर से प्रतिबिम्ब प्राप्त करना और सोलर फिल्टर से सूर्य को देखना आदि का प्रशिक्षण दिया गया। जैसा कि पता ही है कि 6 जून 2012 को शुक्र पारगमन होने जा रहा है।
बाक्स व पिनहोल कैमरा 
जून 2012 को शुक्र ग्रह का पारगमन होने जा रहा हैअर्थात् शुक्र ग्रह सूर्य के सामने से होकर गुजरेगा। यह बहुत दुर्लभ खगोलीय घटना होने के कारण खगोलविज्ञानियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने इस  दुर्लभ खगोलीय घटना के सुरक्षित अवलोकन के लिए देश भर में व्यापक प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। इसी के अंतर्गत मास्टर ट्रेनर्स द्वारा स्कूलों में शुक्र पारगमन के सुरक्षित अवलोकन का प्रशिक्षण  दिया जाना है।
टेलीस्कोप से प्रतिबिम्बन 
मास्टर दर्शन लाल ने इस बारे बच्चो को विस्तार से बताया और सूर्य का प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के बहुत से तरीके बताए।
क्या करें?
केवल सौर डिस्क का प्रक्षिप्त बिम्ब देंखे।
दूरबीन/बाइनाक्यूलर और पिनहॉल कैमरा से सूर्य के बिम्ब का प्रेक्षेपण पिन होलदूरबीन या बाइनाक्यूलर की एक जोड़ी द्वारा एक छायादार दीवार पर सूर्य के प्रतिबिम्ब को प्रेक्षिपित करें।
सुरक्षित सोलर फ़िल्टर 
केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गये सौर फिल्टर का इस्तेमाल करक ही सूर्य की ओर देखना चाहिए। ध्यान देने वाली बात है कि सिर्फ तीक्ष्ण दृष्टि वाले व्यक्ति ही सूर्य के डिस्क पर शुक्र को एक छोटे काले धब्बे के रूप में देख सकेंगे। पारगमन के दौरान काला धब्बा सौर डिस्क के उत्तरी भाग में पूर्व से पश्चिम की ओर पार करता दिखाई देगा।
क्या न करें?
बिना सुरक्षित सौर फिल्टर केखुली आंखों से पारगमन की किसी भी कला को देखने का प्रयास न करें।
दूरबीन या बाइनाक्यूलर से सीधे कभी न देखें।
धुएंदार कांचरंगीन फिल्मधूप के चश्मेअनवरित श्वेत-श्याम फिल्मफोटोग्राफिक ट्रल डेन्सिटी फिल्टर तथा पोलराइजिंग फिल्टरों का इस्तेमाल न करें। ये सभी सुरक्षित नहीं हैं।
फिल्टर के साथ भी सूर्य की ओर लगातार न देखेंकुछ सकेंड के अंतराल पर देखें।
इस अवसर पर कपिल,विशु,शिल्पा,दिव्या,शिवम,सोनम,प्रियंका,मनीष,जतिन,आकाश ने विशेष योगदान दिया 
अमर  उजाला मई ४ २०१२ माई सिटी यमुनानगर पेज-१
प्रस्तुति: ईमली इको क्लब रा.व.मा.वि.अलाहर जिला,यमुना नगर हरियाणा  
द्वारा: दर्शन लाल बवेजा(विज्ञान अध्यापक)