तीन दिवसीय इको क्लब मास्टर ट्रेनर्स कार्यशाला 3 days workshop for Eco club master trainers
चंडीगढ़ स्थित राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान (सेक्टर 12) में 4 से 6 दिसंबर 2018 तक तीन दिवसीय 'स्कूल इको क्लब मास्टर ट्रेनर्स हरियाणा' (नेशलन ग्रीन क्रॉप्स) की एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण एवं
जलवायु परिवर्तन विभाग, हरियाणा द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में हरियाणा के सभी 22 जिलों से 2-2 मास्टर ट्रेनर्स का भाग लेना प्रस्तावित था। कार्यशाला का उद्घाटन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के जॉइन्ट डायरेक्टर डॉक्टर श्री आर. के. चौहान ने किया। श्री चौहान ने अपने उद्घाटनीय संबोधन में राज्य भर के विभिन्न जिलों से पधारे मास्टर ट्रेनर्स से आव्हान किया कि 'आओ विद्यालयों में स्थापित इको क्लब्स को पर्यावरण संरक्षण के मजबूत स्तंभ के रूप में एक शक्तिशाली एजेंसी के रूप में तैयार किया जाए', उन्होंने मास्टर ट्रेनर्स से कहा कि वह अपने जिले में विद्यालयों स्थित इको क्लब्स को और अधिक शक्तिशाली बनाने का प्रयास करें ताकि विद्यार्थियों को उनकी इस मौजूदा उम्र में ही पर्यावरण संरक्षण की महत्ता के बारे में पता चल सके। अब क्योंकि पृथ्वी का भविष्य उनके लिए और उनके ही हाथों में है। सभी उपस्थितों को यह भी संदेश दिया कि आपके द्वारा पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत घर से ही की जा सकती है। हम सब मात्र घरेलू कूड़े को ही अलग अलग करके सूखा व गीला में बाँट कर व उसका उचित निपटान करके पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन योगदान कर सकते हैं। श्री चौहान ने यह भी बताया कि आज भारत में पर्यावरण प्रदूषण के आंकड़े, स्वीकार्य मानकों की तुलना में काफी खतरनाक स्थिति पर है। इस स्थिति में हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। इस सब के लिए विद्यालय के बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है और यह जिम्मेदारी आपको दी जाती है कि आप अपने अपने जिले में स्थापित 250 इको क्लब्स के माध्यम से हरियाणा राज्य को पर्यावरण मित्र व हराभरा बनाने में सहयोग करें। श्री चौहान ने कहा कि 'जुनून पैदा करो, मुहिम चलाओ फिर देखो कैसे नहीं बचती है धरती'
चंडीगढ़ से ही एनवायरमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट श्री एन के झिंगन ने प्रशिक्षुओं को शनिवार हमारा पर्यावरण दिवस की गतिविधियों बारे बताया। साथ ही यह भी बताया कि उनकी सोसायटी ने चंडीगढ़ के सेक्टर-7 में 3000 पौधे लगाए और उनकी शत-प्रतिशत उत्तरजीविता भी सुनिश्चित की। अपने वक्तव्य में उन्होंने घग्गर नदी में चलाए गए स्वच्छता अभियान के बारे में विस्तार से बताया। यह भी बताया कि इस पावन कार्य के लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा परंतु उनके सहयोगियों ने हार नहीं मानी और घग्गर नदी में से तमाम कचरा निकाल कर नदी को साफ करके साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय के आगे पर्यावरण प्रदूषण कहीं नहीं टिक सकता।
चंडीगढ़ स्थित पीजीआई से आमंत्रित रिसोर्स पर्सन डॉ रविंद्र खेवाल ने प्रदूषित जल व सेनिटेशन के बारे में अपने विचार व शोध कार्य को प्रस्तुत किया। डॉ रविन्द्र ने बताया कि विश्व मे बहुत जल्द ही शुद्ध पेयजल की भयंकर कमी होने वाली है। जहाँ हम भारतीय अपने शुद्ध जल के स्रोतों को दूषित करने पर लगे हुए हैं और वहां दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात अंटार्टिका से पानी मंगवाने के लिए प्रयास कर रहा है। किसी देश के विकास एवं पर्यावरण जागरूकता का आकलन का आकलन इस बात से किया जाता है कि उस देश में 5 वर्ष से कम बच्चों के जीवित रहने का प्रतिशत कितना है? उन्होंने कहा कि बच्चे यदि अपने हाथों को ही अच्छी तरह धोना सीख जाए तो वह काफी हद तक बीमारियों से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमें शुद्ध जल प्राप्त करने के लिए हर हालत में पर्यावरण प्रदूषण को दूर भगाना होगा अन्यथा जल्द ही हम अशुद्ध वायुमंडल के साथ साथ अशुद्ध जल पर भी आ जॉएँगे।
रिसोर्स पर्सन डॉ भाविका शर्मा ने अपने वक्तव्य में विद्यालय के मौजूदा प्रदूषक स्टेटस को बदल कर 'शून्य कचरा विद्यालय' (जीरो वेस्ट स्कूल) बनाने की तैयारियों हेतु प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि सिर्फ हम अपनी कार्यशैली में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन करके ही अपने विद्यालय को 'जीरो वेस्ट स्कूल' बना सकते हैं। डॉ शर्मा ने विद्यालयों में कंपोस्ट बिन लगाने की सलाह दी लगाने की सलाह दी।
|
डॉ के सुरेश |
राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर यूथ डेवलपमेंट चंडीगढ़ के कॉर्डिनेटर डॉक्टर के0 शेखर ने अपने वक्तव्य में युवाओं के व्यवहार के संदर्भ के में बहुत से उदाहरण देते हुए देश को उनसे पर्यावरण संरक्षण उपेक्षाओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि शायद ही कोई युवा अपनी मुख्य पसन्दों (मेन पैफरेंसिज) में पर्यावरण संरक्षण को पहला स्थान देता हो। यदि समाज के युवाओं अंदर इस तरह की जागृति आ जाए कि कि युवा अपनी सभी प्राथमिकताओं में पहले स्थान पर पर्यावरण संरक्षण को रखे तो उस दिन इस देश को हरा-भरा और पर्यावरण खुशहाल बनाने से कोई नहीं रोक सकता। डॉ शेखर ने होस्ट संस्थान के बारे में व संस्थान द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमो के बारे में भी विस्तार से बताया।
रिसोर्स पर्सन डॉ रनजीत कौर ने अपने प्रस्तुतीकरण में उपस्थित प्रशिक्षुओं को मेडिशनल प्लांट्स व जियो टैगिंग के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि हम कोई भी किसी प्रकार की अद्भुत पर्यावरणीय हलचल या परिवर्तन अपने आसपास देखते हैं तो हमें उसे जियो टैगिंग के द्वारा वैश्विक रूप से जरूर बताना चाहिए। उनकी इस गतिविधि से उनके पर्यावरण जागरूक होने का प्रमाण मिलेगा। यह भी हो सकता है कि वो किसी नई वैरायटी या कोई लुप्त प्रायः स्पीशीज का पता लग सके। उन्होंने एंड्रॉयड एप्प व वेब पर गूगल अर्थ पर समसपुर स्कूल की लाइव जियो टैगिंग करके उक्त प्रशिक्षण दिया। डॉ कौर ने बताया कि जियो टैगिंग की अन्य भी बहुत सी एप्स है जिस पर आम आदमी भी अपने द्वारा खोजे गए किसी पेड़ पौधे या वनस्पति को टैग कर सकता है। हमें इस प्रकार की प्रैक्टिस में जरूर शामिल होना चाहिए ताकि हम अपनी विशाल व विलक्षण भारतीय प्राकृतिक संपदा को पहचान सकें व बचा सके।
|
डॉ राधेश्याम शर्मा |
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन विभाग के साइंटिस्ट डॉ राधेश्याम शर्मा ने प्लास्टिक प्रदूषण व उससे बचाव के बारे में प्रशिक्षण दिया। उन्होंने अपने द्वारा किए गए कुछ नवाचारी प्रयोगों का भी जिक्र किया। डॉ शर्मा पानी व भोज्य पदार्थों की पैकिंग में प्लास्टिक के प्रयोग को एकतरफा नकार दिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक और से होने वाले कैंसर व अन्य रोगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें प्लास्टिक को पूरी तरह से ना कहना होगा। उन्होंने प्लास्टिक पेट-बॉटल्स की हानियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे प्रयास करने चाहिए कि हम प्लास्टिक के स्थान पर अन्य विकल्पों का प्रयोग करें।
|
श्री नरेश कुमार |
विभाग के इको क्लब नोडल अधिकारी श्री नरेश कुमार जी ने बताया कि हमें विद्यालयों में 'सिंगल यूज़ प्लास्टिक एंड पॉलिथीन' को पूर्णतया नकारना होगा/रोकना होगा। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष हजारों टन पॉलिथीन का प्रयोग बच्चे अपनी कॉपी-किताबों पर जल्द बांधने के लिए कर देते हैं। जबकि अन्य बहुत से वैकल्पिक तरीकों से भी कॉपी-किताबों को बचाया जा सकता है। इससे बहुत से बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा जो जिल्दसाजी का काम करते हैं। पहले जमाने जरूरतमंद बच्चे जिल्द चढ़ा कर साल भर का पढ़ाई का खर्चा निकाल लेते थे। आजकल विद्यार्थियों में सिंगल यूज पेनो का प्रयोग का रिवाज़ हैं और फिर इंक खत्म होने पर उन्हें फेंक देते हैं। इन्हें यूज एंड थ्रो पेन कहते हैं। इस प्रकार के पेनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जिन पेन्स में फिर से नया रिफिल डाला जा सके ऐसे पेनो का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने ऐसे बहुत से टिप्स दिए जिससे विद्यालय को 'सिंगल यूज़ प्लास्टिक' से मुक्त किया जा सके। प्रशिक्षुओं ने इस नई जानकारी से बहुत कुछ सीखा। प्रशिक्षुओं ने कहा कि यह वह बातें है जिन पर कभी उनका ध्यान ही नहीं गया कि हम केवल ऐसी प्रैक्टिसिस अपना कर पर्यावरण संरक्षण
में अपना बेहतर योगदान दे सकते हैं।
|
मैड़म अनया पूनम G |
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन विशेष रूप से पधारें मैडम अनया पूनम जी ने अपने ओजस्वी व क्रांतिकारी विचारों से प्रशिक्षुओं को अवगत करवाया, उन्होंने बताया कि हमें अपने देश को फिर से पर्यावरणीय समृद्धि की ओर ले जाने के लिए अथक प्रयास करने होंगे। हमें एक ऐसी चैन बनानी होगी कि हम अच्छी पर्यावरणीय गतिविधियों को एक हाथ से दूसरे हाथ में लेकर आगे बढ़ाएं। हमें अपनी इस चैन में एक भी कमजोर कड़ी की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति होनी चाहिये। पर्यावरण संरक्षण, नशा-मुक्ति व नैतिकता का विकास करना केवल किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है, इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे अन्यथा हमारा जीना इस धरती पर बहुत मुश्किल हो जाएगा।
|
मैड़म सोनल ढांडा |
डायरेक्टोरेट सेकेंडरी एजुकेशन हरियाणा पंचकूला से पहुंची इको क्लब नोडल अधिकारी मैडम सोनल ढांडा ने निदेशालय की तरफ से पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया। उन्होंने पौधागिरी में लगाए गए पौधों की जियो टैगिंग की ताजा रिपोर्ट प्रस्तुत की और उन्होंने कहा कि हरियाणा में दो लाख चौबीस हजार पौधे रोपे गए। जिनकी मॉनिटरिंग जियो टैगिंग द्वारा की जाएगी, पौधा लगाने वाले विद्यार्थी को उसकी देखरेख के लिए कुछ वित्तीय सहायता देने का भी प्रयास है जो सीधे उनके खातों में जाएगा। इससे विद्यार्थियों के अंदर पौधा लगाने व उसकी देखरेख करके उसे वृक्ष बनाने की कोशिशें बलवती होगी। मैडम सोनल ने उपस्थित मास्टर ट्रेनर्स को निर्देश दिये कि वह जिले के जो भी पूर्व पेंडिंग उपयोगिता प्रमाण पत्र है उनको जल्द भिजवाए। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के द्वारा जो वित्तीय सहायता इको क्लब्स को दी जानी है उसके लिए खाता संख्या संबंधित जानकारी भी उपलब्ध कराएं ताकि इको क्लब्स को दी जाने वाली वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थी तक पहुंचाई जा सके।
कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षुओं ने अपने विचार/जिज्ञासाऐं प्रशिक्षकों व अधिकारियों के समक्ष रखी। उन्होंने अपने जिलों में इको क्लब्स द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गये कार्यों के बारे में सभी उपस्थितों को बताया।
कार्यक्रम के समापन वक्तव्य में फिर से डॉक्टर आर के चौहान जो कि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर है ने कुछ खास जिम्मेदारियां अध्यापकों को सौंपी कि न्यूनतम तौर पर वे यह कार्य जिले के हर विद्यालय में करवा दें। जिनमें मुख्य थे! स्कूल में इको क्लब के नाम का बोर्ड, बैनर या वॉल राइटिंग अवश्य होनी चाहिये, हर विद्यालय में एक कंपोस्ट पिट अवश्य होनी चाहिये, विद्यालय एनर्जी ऑडिट भी करे जिसका उन्होंने प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालय को जीरो वेस्ट की ओर ले जाना है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में स्वनिर्मित पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए वे विभिन्न स्थानीय कंपनियों के सीएसआर भी आमंत्रित कर सकते हैं जिसके लिए विभाग भी उनकी सहायता करेगा। वे इन सीएसआर के द्वारा विद्यालय को पर्यावरणीय सुदृढ़ता प्रदान कर सकते हैं। डॉक्टर चौहान ने हर भविष्य में हर डिस्ट्रिक्ट से सबसे अच्छे इको क्लब चुनने की योजना पर भी प्रकाश डाला और उन्होंने यह भी कहा कि हर जिले में स्कूलों के इको क्लब प्रभारियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक-एक कैंप का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए प्रस्ताव शीघ्र मंगवायें जाएंगे। भविष्य में विद्यार्थियों के लिए भी पर्यावरण भ्रमण कराए जाने की योजना है।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर राधेश्याम शर्मा ने हरियाणा भर से पधारे सभी मास्टर ट्रेनर्स का धन्यवाद किया।
|
प्रतिभागिता/सम्मान पत्र |
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ आर के चौहान ने अपने सहयोगीयों के साथ मिलकर सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
|
विभिन्न जिलों से आये प्रतिभागी |
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दर्शन लाल बवेजा, दीपक कुमार शर्मा, तरुण गेरा, रविंद्र कुमार, सतबीर सिंह, राजेंद्र अग्निहोत्री, सुरेंद्र कुमार, रोहताश, चित्रा, कृष्णा देवी, अशोक कुमार, आनंद पाल,जसविंदर सिंह, सुरेंद्र सिंह, अशोक कुमार, चंद्र प्रकाश, सुरेंद्र मिगलानी, मोहन लाल मुंजाल, शेर मोहम्मद, सुरेंद्र कुमार, प्रकाशवीर, कुलदीप सिंह, जगबीर सिंह, आनंद वर्मा, अनिल कुमार, शरद पाल सिंह आदि ने जिला मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
Science Teacher Cum Science Communicator
Incharge Jamun Eco Club
Secretary C V Raman VIPNET science Club VP-HR 0006 (Platinum category Science club-2017) Yamuna Nagar
Distt. Coordinator NCSC-DST, Haryana Vigyan Manch Rohtak, Science Blogger,
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments, Simple Science Experiments, TLM (Science) Developer
http://www.sciencedarshan.in/
http://kk.sciencedarshan.in/
http://darshansandbox.blogspot.com/
http://gsssalahar.blogspot.com/
https://www.facebook.com/Darshan.Baweja
https://www.facebook.com/ScienceDarshan/